• केवल सीने का दर्द ही नहीं है हार्ट अटैक का लक्षण-डॉ श्रीवास्तव
• वर्ल्ड हार्ट डे पर मेदांता हॉस्पिटल ने जारी किया इमरजेंसी नंबर 1068
• मात्र 10 मिनट है मेदांता हॉस्पिटल रिस्पांस टाइम
इंदौर, 28 सितंबर 2023। अनुचित खान पान और जीवन शैली से लगातार समस्याएं बढ़ रही है, और लोग तरह तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं लेकिन कुछ बीमारियां ऐसी हैं जो काफी गंभीर है इनमें से एक है हृदय रोग। दुनियाभर में हर साल करीब पौने दो करोड़ लोग ह्रदय रोग की वजह से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। पहले आमतौर पर यह माना जाता था कि यह समस्या सामान्यतः40 से अधिक वर्ष के लोगों में होती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से ह्रदय रोग युवाओं और यहाँ तक की किशोरों में भी तेजी से फ़ैल रहा है। इसके प्रति लोगों में जाकरूकता फैलाने के लिए हर साल 29 सितम्बर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाया जाता है।
मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ने वर्ल्ड हार्ट डे पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जहाँ एवं ह्रदय रोग में समय के महत्व को दर्शाया, कैसे अगर समय पर रोगी को इलाज मिल जाए तो न केवल जान बचाई जा सकती है बल्कि व्यक्ति को सामान्य स्थिति में लाया जा सकता है।
वर्ल्ड् हार्ट डे का इतिहास
दुनियाभर में ह्रदय की बीमारियों से मौत की संख्या बढ़ता देख वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से पहली बार 1999 में विश्व हृदय दिवस की स्थापना की गई। इस साल की वर्ल्ड हार्ट डे की थीम ‘दिल से दिल को जाने’ है, जिसका उद्देश्य है लोगों को दिल से यानी हर तरीक़े से अपने दिल की सेहत का ध्यान रखने और अपने दिल के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया जा सके, ताकि लोग दिल ठीक रखने के उपायों को समझ कर खुद को सतर्क एवं सुरक्षित रख सके।
वर्ल्ड हार्ट डे पर मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर एवं डायरेक्टर कार्डियक साइन्स डॉ संदीप श्रीवास्तव ने कहा, “युवाओं एवं किशोरों में हार्ट अटैक की समस्या अब चिंताजनक विषय बन गया है। आजकल 20-30 आयु वर्ग में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ह्रदय रोग का एक महत्वपूर्ण कारण अनुवांशिकता भी है, अगर माता पिता को हार्ट अटैक की समस्या हुई है तो बच्चों में इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। तनाव, अपर्याप्त नींद, शारीरिक शिथिलता, प्रदूषण, मोटापा भी ह्रदय को प्रभावित करती हैं, इसके अलावा ख़राब जीवन शैली, धूमपान और शराब की लत के कारण भी हर साल इसके मरीजों की संख्या का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। अनियमित लाइफस्टाइल और कम सोने का असर भी सीधे दिल पर पड़ता है, इसके अलावा युवाओं में हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल भी इसका कारण है। धूम्रपान, तम्बाकू का उपयोग, मादक द्रव्यों के सेवन जैसी बुरी आदतों से ह्रदय से जुड़ी समस्या और भी ज्यादा बढ़ रही है, इसको दूर रखने के लिए एक बैलेंस लाइफस्टाइल का पालन करना महत्वपूर्ण है।युवा अगर ये सोचकर लापरवाह है कि उनकी उम्र कम है और वे शारीरिक श्रम कर रहे हैं और उन्हें हार्ट अटैक से कोई खतरा नहीं है तो ऐसा बिल्कुल नहीं है, कभी भी, कहीं भी मेजर हार्ट अटैक या स्ट्रोक आ सकते हैं, इसलिए इसे समस्या को गंभीरता से लेने की जरूरत है।“
वर्ल्ड हार्ट डे के मौके पर असोसिएट डायरेक्टर कार्डियक सर्जन डॉ शिप्रा श्रीवास्तव ने कहा “हार्ट वाल्व ख़राब होने के बहुत सारे कारण होतें हैंI किसी भी उम्र में और किसी भी लिंग में हार्ट के वाल्व ख़राब हो सकते हैंI एशियाई देशों में रूमेटिक हार्ट डिसीज़ काफी फैली हुई है, जिसमें रूमेटिक फीवर के कारण हार्ट वाल्व स्थायी रूप से खराब हो जाता हैं। ये बीमारी बच्चों, बुजुर्गों, महिला, पुरुष और सभी उम्र में देखने को मिलती हैंI इनके इलाज के लिए बड़े ऑपरेशन कर वाल्व बदलना पड़ता है। हमारी कोशिश होती है कि हम वाल्व को बदलने की जगह उसे रिपेयर करें, इसके लिए मेदांता पूरे मध्यभारत में जाना जाता हैI इसमें मरीज़ अपने नेचुरल वाल्व को बचा पाते हैं और आर्टिफिशियल वाल्व से होने वाली समस्याओं के भी निज़ात पा सकते हैं। खून पतला करने की दवाईयाँ अक्सर गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे शिशु को हानि पहुंचाती है ऐसे में हार्ट वाल्व रिपेयर उनके लिए भी एक बेहतर विकल्प हो सकता है। साथ ही हम अपनी मिनिमली इनवेसिव वाल्व सर्जरी के लिए भी जाने जाते हैं जहाँ केवल एक छोटा सा चीरा लगाकर हार्ट की सर्जरी की जाती है।”
मेदांता सुपर स्पेशलिटी के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ भारत रावत ने कहा कि “यदि शाम 7 बजे तक खाने पीने से, रात्रि 10 बजे तक मोबाइल टीवी, और सवेरे 6 बजे तक बिस्तर से मुक्त हो जाएं तो हम ह्रदय रोग जैसी बीमारियों से स्वतः ही मुक्त हो जाएँगे।“
डॉ रावत ने एक स्वस्थ दिल के लिए M.A.D.E. का फार्मूला दिया जहाँ एम का अर्थ है मेंटल रीलैक्सेशन यानि कि ख़ुश रहें और ध्यान/योग करें, ए का अर्थ है अवॉयड एडिक्शन मतलब तम्बाकू शराब का सेवन न करें, डी का अर्थ है डाइट कंट्रोल यानि कि जीने के लिए खाएं, न की खाने के लिए जिएँ और ई का अर्थ एक्सरसाइज यानि कि नियमित व्यायाम। इसका पालन कर हम गंभीर बीमारियों से खुद को बचा सकते हैं।
मेदांता सुपर स्पेशलिटी के ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ अल्केश जैन के अनुसार “हार्ट अटैक के दौरान प्राइमरी एंजियोप्लास्टी का बहुत महत्त्व है यह ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें हृदय की मांसपेशियों तक ब्लड पहुँचाने वाली कोरोनरी आर्टरीज़ को खोला जाता है। हार्ट अटैक के एक से दो घंटे के भीतर मरीज की एंजियोप्लास्टी हो जाए तो मरीज को पूरी तरह से सुरक्षित किया जा सकता है। मेदांता हॉस्पिटल का डोर टू बैलून टाइम केवल 15 मिनट है यानी कि हम केवल 15 में रोगी का उपचार शुरू कर एंजियोप्लास्टी की प्रक्रिया शुरू कर बैलून के माध्यम से ब्लॉकेज खोलने की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं।
इमरजेंसी नंबर 1068
मेदांता हॉस्पिटल में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत आयुष्मान कार्ड धारक मरीजों का मुफ्त इलाज किया जाता है जन सेवा के इस अभियान में एक कदम आगे बढ़कर मेदांता हॉस्पिटल द्वारा कार्डियक मैनेजमेंट के लिए एक समर्पित इमरजेंसी हेल्पलाइन नंबर 1068 लॉन्च किया गया, जिसका उपयोग इमरजेंसी के दौरान किया जा सकता है।“ह्रदय रोग में समय का बहुत महत्त्व होता है, ज्यादातर मामलों में, मरीज को पता नहीं होता कि उन्हें क्या दिक्कत हो रही है, और मेडिकल हेल्प तक पहुंचने से पहले ही बहुत समय बर्बाद हो जाता है। यदि 60 मिनट के गोल्डन ऑवर पीरियड के दौरान अगर उपचार मिल जाए तो हार्ट अटैक को रिवर्स किया जाता है। इमरजेंसी के दौरान यदि मेदांता हॉस्पिटल के इमरजेंसी नंबर पर कॉल किया जाए तो मात्र 10 मिनट में एम्बुलेंस सभी सुविधाओं के साथ हॉस्पिटल से रवाना हो जाती है , मेदांता हॉस्पिटल की एम्बुलेंस केवल एक रोगी वाहन नहीं है बल्कि एक चलता फिरता मोबाइल आईसीयू है जिसमें डॉक्टर्स नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन इंजेक्शन, सिरिंज, पंप, ऑक्सीजन, ईसीजी, वेंटीलेटर और यहाँ तक कि डिफाइब्रिलेटर जैसी सारी सुविधाओं के साथ मौजूद होते हैं। इस समय सीनियर डॉक्टर्स भी फोन के द्वारा स्टाफ से जुड़ जाते हैं एवं प्राथमिक उपचार शुरू हो जाता है। अगर एक बार एंबुलेंस मौके पर पहुंच गई और मरीज एंबुलेंस के अंदर पहुंच गया तो उन्हें तमाम जरूरी इलाज की सुविधा मिल जाती है जो आईसीयू में उपलब्ध होती हैं।
मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में छोटे बच्चों(एक दिन) के हृदय में छेद से लेकर कोरोनरी एंजियोग्राफी, कोरोनरी एंजियोप्लास्टी, प्राइमरी एंजियोप्लास्टी, बाईपास सर्जरी, टोटल आर्टिरियल बायपास, हार्ट वाल्व रिपेयर कोरोनरी एंडारेक्टॉमी, कैरोटिड एंडारेक्टॉमी, फ्यूचर रेडी वाल्व का उपयोग कर किए हुए हार्ट वाल्व रिप्लेसमेंट, एंडोवैस्कुलर एन्यूरिज्म रिपेयर और इस प्रकार की अन्य नवीनतम प्रोसीजर जैसे कि बेटॉल ऑपरेशन, एसेडिंग एओर्टा रिप्लेसमेंट, एओर्टिक आर्च रिप्लेसमेंट, एलीफेंट ट्रंक प्रोसीजर, फ्रोजन एलीफेंट ट्रंक प्रोसीजर आदि से उपचार किया जाता है जिसके बेहतर परिणाम का लाभ पूरा मध्य भारत ले रहा है। इसके अलावा मेदांता हॉस्पिटल की कार्डियक टीम में डॉ संदीप श्रीवास्तव के साथ डॉ शिप्रा श्रीवास्तव, डॉ भारत रावत, डॉ अलकेश जैन, डॉ यतेन्द्र पोरवाल, डॉ रितेश गुप्ता, डॉ आशीष शर्मा और जैसे डॉक्टर्स शामिल हैं।