स्नेह की डोर को कभी ढीली नहीं पड़ने देते थे स्व.दीक्षित- प्रो.द्विवेदी

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भोपाल 21 मार्च: उन्होंने मूल्यों को समर्पित जीवन जिया। वह सकारात्मक सोच के धनी थे। उनका व्यक्तित्व चुम्बकीय था। उनके जाने से मूल्यानुगत और सकारात्मक पत्रकारिता व मीडिया ने अपना आधार स्तंभ और पितामह खो दिया है।

इन शब्दों के साथ वरिष्ठ पत्रकार और मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति के संस्थापक प्रो. कमल दीक्षित को रविवार को आयोजित श्रद्धांजलि सभा में उनके शिष्यों, सहयोगियों और उनसे जुड़े लोगों ने याद किया। मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति ने ऑनलाइन इस श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया । प्रो .दीक्षित का गत 10 मार्च को भोपाल में निधन हो गया था।

मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने प्रो. दीक्षित को याद करते हुए कहा कि वह समान भाव से सबको स्नेह देते थे। स्नेह की डोर को कभी ढीली नहीं पड़ने देते थे। उन्होंने पत्रकारिता को आध्यात्म से जोड़ने में महती भूमिका अदा की। वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने स्व. दीक्षित को कर्म योग और ज्ञान योग के मिश्रण वाला आदर्श पुरुष निरूपित किया। संजीव भनावत ने कहा कि प्रो दीक्षित ने गुणवत्तापूर्ण जीवन जिया।

मूल्यानुगत मीडिया अभिक्रम समिति की सचिव बी.के. डाॅ. रीना ने कहा कि स्व. दीक्षित मीडिया में मूल्यों की स्थापना के लिये जीवन भर प्रयास करते रहे। सहज, सरल और सुन्दर व्यक्तित्व के वह धनी थे व मित्रता उनका व्यवहार मित्रता पूर्ण रहता था। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश दुबे ने स्व. दीक्षित को प्रयोगधर्मी और सब को जोड़ लेने वाले व्यक्तित्व के रूप में याद किया। कहा कि उनकी सादगी उनकी वास्तविकता थी विवशता या अभिनय नहीं। बी. के. हेमलता दीदी ने स्व. दीक्षित को मूल्यनिष्ठ और सकारात्मक पत्रकारिता का आधार स्तंभ बताया तो बी.के. कमला दीदी ने सरल, नम्र, गुणवान व्यक्तित्व के रूप में उनका स्मरण किया।

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय, रायपुर के पूर्व कुलपति डाॅ. मानसिंह परमार ने कहा कि स्व. दीक्षित का जाना मूल्यनिष्ठ और सकारात्मक पत्रकारिता के संस्थापक का जाना है। हमने पत्रकारिता का एक अच्छा प्राध्यापक भी खो दिया है। श्री संदीप कुलश्रेष्ठ ने कहा कि स्व. दीक्षित कभी किसी को छोटा-बड़ा महसूस नहीं होने देते थे। इंसानियत को गढ़ने का काम उन्होंने किया। वरिष्ठ पत्रकार श्री कीर्ति राणा ने स्व. दीक्षित के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि आंचलिक पत्रकारिता का स्तंभ नहीं रहा। ब्रह्मकुमार श्री नारायण जोशी ने स्व दीक्षित की अपने विद्यार्थियों के बीच लोकप्रिय को याद किया। बी. के. अनिता दीदी ने कहा कि मूल्यनिष्ठ पत्रकारिता की जो ज्योति स्व. दीक्षित ने जलाई है वह हमेशा प्रज्वलित रहे इस दिशा में प्रयास जरूरी हैं।

वरिष्ठ पत्रकार  मुकेश तिवारी ने कहा कि अपने से जुड़े हरेक व्यक्ति की वह लगातार चिंता करते थे। वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका कौशल यादव ने कहा कि अपने से छोटों को भी सम्मान देने वाला, अपने शिष्यों और अपने से जुड़े लोगों की कार्यक्षमता को जानने वाला व्यक्तित्व चला गया है। दिलीप बोरसे ने कहा कि स्व. दीक्षित जो काम अधूरे छोड़ गये उन्हें पूरा करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

प्रो. कमल दीक्षित के पुत्र और वरिष्ठ पत्रकार गीत दीक्षित ने इस मौके पर कहा कि स्व. दीक्षित ने मूल्यनिष्ठ और सकारात्मक पत्रकारिता का जो अभियान शुरू किया था वह आगे भी जारी रखा जाएगा। संचालन पत्रकार श्री सोहन दीक्षित ने किया। आभार श्री राजेश राजौरे ने माना।