भोपाल : सात वर्षों तक इन्दौर निवासी सगे छोटे भाई ने सेलम (तमिलनाडु) निवासी बड़े भाई व उनके परिवार को गम्भीर सामाजिक – मानसिक यंत्रणाएं दी हैं, न्याय होने में सात वर्ष से भी अधिक लगे। सेलम स्थित साबू ट्रेड के मैनेजिंग डायरेक्टर श्री गोपाल साबु जो अपने ही सगे छोटे भाई द्वारा जबरन लगाए जा रहे तरह तरह के झूठे और मनगढ़ंत आरोपों से परेशान हैं, ने कहा कि अंततः मैं संतुष्ट हूँ किईश्वर तथा पुरखों की कृपा से हमें न्याय मिला।
5 जून 2016 को इन्दौर निवासी राजकुमार साबु ने अपने प्रभाव से इन्दौर के एक थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उसका ईमेल 3 जून को सेलम (तमिलनाडु) के एक आइपी एड्रेस से हैक कर लिया गया है जो बड़े भाई गोपाल साबु के घर का है, साथ ही उल्लेख किया कि उसका बड़े भाई के साथ व्यावसायिक विवाद चल रहा है अत: सन्देह है कि उसके बड़े भाई गोपाल साबु और उनके दोनों बेटे विकास साबु और विशाल साबु ने ही किया है।
उक्त शिकायत के पश्चात जब इन्दौर पुलिस ने गोपाल साबु और उनके पुत्रों से नोटिस भेज कर जवाब मांगा तो गोपाल साबु ने इस विषय में किसी भी तरह का हाथ होने से स्पष्ट इन्कार करते हुए वकील के मार्फत अपने निर्दोष होने का जवाब भी भिजवा दिया था. परन्तु उक्त आधारहीन नामजद शिकायत को आधार बनाकर मार्च 2017 में राजकुमार साबू ने भोपाल जिला एवं सत्र न्यायालय में साइबर एक्ट की धारा 66 सी के अंतर्गत एक मुकदमा दर्ज करवा दिया। इसके पश्चात इंदौर से टीम बनाकर तीन पुलिस कर्मियों को सेलम भेजा गया जिनके साथ गोपाल साबु व परिवार ने पूरा सहयोग देकर अपना वाइ- फाइ मोडम, टेलिफोन बिल की प्रतिलिपि और अन्य कागजात सौंप दिए। चूँकि यह मामला आपराधिक दृष्टिकोण से न्यायालय ने स्वीकार किया था और जमानत लेना जरूरी था, श्री गोपाल साबू और उनके दोनों बेटों ने इस प्रकरण (RCT/9909821/ 2017) में सेलम से भोपाल आ कर एडवोकेट श्री रवि शाहनी (संपर्क 9893437522) के मार्फत न्यायालय में जमानत ली और केस लड़ने का फेसला किया ।
इस बात का फायदा उठाकर राजकुमार साबू ने इन्दौर – भोपाल के अनेक समाचार पत्रों में सनसनीखेज हैडलाइन “इन्दौर के व्यापारी की मेल आइ डी हैक करने के जुर्म में तीन गिरफ्तार”वाली खबरें भेजकर बड़े भाई और परिवार को बदनाम करने में कोइ कसर नहीं रखी ।
उल्लेखनीय है कि राजकुमार साबु 2016 में सच्चामोती मार्का का विवाद शुरु करने के पहले तक और बड़े भाई की कम्पनी साबु ट्रेड से इस्तीफा देने तक कम्पनी मे डायरेक्टर था। साथ ही 02 – 03 जून 2016 को वह सेलम में ही था और उसे और उसके परिवार को उक्त आइ. पी. एड्रेस के वाइ-फाइ के पासवर्ड मालूम थे।
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भोपाल जिला व सत्र न्यायालय में पिछले तीन – चार महीनों में सभी गवाहों और आरोपियों के बयान दर्ज होने के बाद दिनांक 21 अगस्त 2023 को सरकारी तथा दोनों पक्षों के वकीलों की मौजूदगी में माननीय न्यायाधीश महोदय ने आदेश को संक्षिप्त में कहा कि:
(1) राजकुमार साबु जिस वाइ – फाइ का हवाला दे कर यह आरोप लगा रहे हैं, वह साबु ट्रेड कम्पनी के नाम से है, जिसमें लाइन लेते समय वह भी डायरेक्टर थे, कम्पनी कोइ हैक नहीं कर सकती, कोइ व्यक्ति ही कर सकता है।
(2) पुलिस जाँच में जिस मोबाइल नम्बर का जिक्र आया है वह मोबाइल हैंडसेट पुलिस द्वारा जब्त व पेश नहीं किया गया।
(3) उक्त मोबाइल नम्बर के धारक मणिकरणन को न तो अभियुक्त बनाया गया, न ही गिरफ्तार किया गया।
(4) राजकुमार साबु ने अपनी जिस इ-मेल का हवाला दिया है, कि वह उनका ही है और उन्हें कैसे-क्या नुकसान हुआ है, उसका कोइ साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।
(5) साइबर जाँच और पुलिस की जाँच के कागजात और बयानों में कइ कमियां है, अत: आरोप सिद्ध नहीं होते।
साबु ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के तीनों डायरेक्टर्स गोपाल साबु, विकास साबु और विशाल साबु को प्रकरण RCT/9909821/ 2017 में क्लीन चिट देकर बाइज्जत बरी किया गया है। पूरा फेसला करीब 40-50 पेज का है जो शीघ्र ही नेट पर अपलोड हो जायेगा ।
इन्दौर प्रवास के समय श्री गोपाल साबु ने बताया कि असत्य, अनाचारी आचरण कभी भी सद्गुणों का विकास नहीं होने देता, उम्र के ढलते दौर में परिवार के सदस्यों में प्रेम घटा कर मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट कर परिवारों का विघटन कर देता है । मेरा छोटा भाई राजकुमार साबु भटक गया है, किसी भी समझाइश को नहीं मानता है और पारिवारिक/ सामाजिक सुख-शांति से ज्यादा अपनी जिद पूरी करने में ही इज्जत समझता है। उसका बर्ताव पुराने बिगड़े सामन्तों जैसा हो गया है कि जो वह चाहे उसे येन केन प्रकरेण हासिल करो, बड़े-छोटे का कोइ लिहाज नहीं है, अहंकार के मोह में लिप्त हो कर, स्थानीय कानून और पुलिस – प्रशासन को गलत जानकारी दे कर, दबाव से कुछ ना कुछ करते रहो, ताकि सारे माले विलंबित होते रहे । इस दुष्प्रवृति के विकसित होने में बड़ा योगदान आसपास के उन लोगों का है जो उसकी कमियां उसे बताने या विरोध करने से डरते हैं, और सत्य को जानते हुए भी सत्य का साथ देने से कतराते हैं।