मुनिराज ऋषभरत्नविजयजी ने अपने उद्बोधन में बताया कि, इस संसार में तीन प्रकार की शक्तियां हैं पहले ‘देव’, दूसरे ‘गुरुदेव’ एवं तीसरे ‘देवादि देव’ जिनको अनंत शक्तिमान परमात्मा कहते हैं। मंदिर में प्रभु दर्शन के समय एक स्त्रोत बोला जाता है “दर्शनम देव देवस्य, दर्शनम पाप नाशनं, दर्शनम स्वर्ग सोपानं, दर्शनम मोक्ष साधनं। अर्थात प्रभु दर्शन मात्र से पापों का नाश होता है, वह स्वर्ग पहुँचने की सीढ़ी एवं मोक्ष जाने का साधन है।
दूसरे ‘गुरुदेव’ जो हमारे सत्य मार्ग दर्शक है एवं जिन्होंने ज्ञान का प्रकाश दिया है, एवं तीसरे ‘देव’ है जिस धर्म मार्ग पर हम चलते हैं उसकी विघ्न बाधाओं को दूर करने का कार्य ‘देव’ ही करते हैं। क्योंकि वे जाग्रत हैं, सम्यकधारी हैं व एकावतरी हैं। आज जिन ‘देव’ (मणिभद्र वीर) का पूजन-हवन हो रहा है वे भी यही धर्म रक्षक देव हैं। प. पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वीररत्नसूरीश्वरजी महाराजा की मणिभद्र देव पर असीम आस्था थी जिनकी भक्ति एवं शक्ति से ही गुरुदेव महाराजा ने अनेकों मंदिर बनवाए एवं हाथ में लिये सभी कार्य निर्विघ्न पूर्ण किए।
श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर उपाश्रय में आज भव्य महा प्रभावशाली श्री मणिभद्रवीर की अष्टप्रकारी पूजा एवं हवन का आयोजन हुआ। प्रातः 9 बजे हवन एवं पूजा करने वाले सभी पुरुष एवं महिलाओं के 36 जोड़े पूजन के वस्त्रों में एकत्र हुए। श्री मणिभद्रवीर की अष्टप्रकारी पूजा बड़े ही उमंग, उत्साह के साथ सम्पन्न हुई। इस पूजा को विशेष रूप से आमंत्रित श्री नागेश्वरजी जो रियावन (म.प्र.) के निवासी है के द्वारा मधुर गीत व संगीत के साथ करवाई गयी। यह एक अनूठी प्रस्तुति थी। लगभग 3 घंटे चले इस पूजन-हवन के साक्षी 36 जोड़ों के अलावा अनेक धर्म प्रेमी नर-नारी एवं बच्चे थे। अपार जन समुदाय की उपस्थिति में ऐतिहासिक हवन की आहुति पूर्ण हुई। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे साक्षात श्री मणिभद्र की पूजा गुरुदेव श्री वीररत्नसूरीश्वरजी स्वयं करवा रहे हैं।
प. पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय वीररत्नसूरीश्वरजी महाराजा ने श्री तिलकेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर उपाश्रय के जिस कक्ष में स्वाध्याय करते हुए अंतिम श्वास ली एवं कालधर्म हुआ उसके ऊपर नाम लिखवाने के नखरे का लाभ श्री नवरतनचंदजी विनोदचंदजी कोठारी परिवार,बनारस साड़ी वालों ने लिया एवं गुरुवर व शिवपुर मणिभद्रवीर के फोटो कक्ष में स्थापित करने का नखरा विकासजी जयंतीलालजी जैन बाग वालों लिया सभी की बहुत-बहुत अनुमोदना एवं आभार। राजेश जैन युवा ने बताया की इस अवसर पर चातुर्मास समिति अध्यक्ष दिलीप भाई शाह ने सभी पधारे जा समुदाय एवं अथितियों का आभार प्रदर्शन किया एवं हवन-पूजन के लाभार्थी गुरु भक्त- उषाबेन पारसमलजी, निशांतजी -अर्चना कोठारी परिवार एवं अंजली-आलोक ड्रोलिया की खूब-खूब अनुमोदना की। कमलजी फुलेचा, मुकेशजी पोरवाल, अजयजी सुराना, राहुलजी कोठारी, समकितजी कोठारी (बनारस साड़ी), कावड़िया, शिल्पा विकास जैन, एवं संघ के कई पुरुष व महिलायें उपस्थित थीं।
मुनिवर का नीति वाक्य – “मणिभद्र वीर करेगा रक्षा जब आप सुधरोगे अपनी कक्षा”