किड्स न्यूट्रिशन मैनेजमेंट तभी संभव है जब अपने आहार में पोषण को स्वाद से ज्यादा महत्व दे : डॉ प्रीति शुक्ला

Shivani Rathore
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Indore : न्यूट्रिशन मैनेजमेंट फॉर किड्स विषय पर क्रिएट स्टोरीज सोशल वेलफेयर सोसाइटी द्वारा विद्यासागर स्कूल में आयोजित कार्यशाला में आहार विशेषज्ञ डॉ प्रीति शुक्ला ने परिचर्चा की। इंडियन डायटिटिक एसोसिएशन की नेशनल एक्जीक्यूटिव मेंबर सीनियर न्यूट्रीशनिस्ट डॉ प्रीति शुक्ला ने बताया आजकल बच्चो की जो डाइट हो गई है उससे पौष्टिक भोजन काफी कम और स्वाद के चक्कर में जंक का सेवन काफी अधिक हो रहा है जिसके कारण आजकल बच्चो में शारीरिक और बौद्धिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते है। जिंदगी में बड़े हो या बच्चे न्यूट्रिशन मैनेजमेंट तभी संभव है जब अपने आहार में पोषण को स्वाद से ज्यादा महत्व दे। बैलेंस डाइट लीजिये और इसे महत्त्व दीजिये यानी अपनी बॉडी को सही मात्र में फ्यूल देंगे तो वो सही चलेगी ।

बच्चो में स्क्रीनटाइम की वजह से डेढ़ गुना ओबेसिटी बढ़ी है एवं बच्चो में चिडचिडापन बढ़ने का कारण भी यही है। बच्चो का स्क्रीनटाइम काफी हद तक बढ़ गया है इसलिए इनकी शारीरिक क्रियाशीलता या फिजिकल एक्टिविटीज में कमी आई है। अधिकतर पेरेंट्स भी बच्चो को टीवी के सामने खाना परोस देते है और ऐसा करने से बच्चो का ध्यान खाना व खाने की क्वांटिटी दोनो पर से ही हट जाती है एवं को उनका इनटेक भी कई बार काफी ज्यादा हो जाता है एवं बच्चे ओबेसिटी का शिकार होना शुरू होते है।

इंप्रोपर ईटिंग पैटर्न की वजह से बच्चो में टाइप 2 डायबिटीज , पीसीओडी , इंसुलिन रेसिस्टेंस, स्लीप डिसऑर्डर , एंजाइटी डिसऑर्डर आदि बढ़ रहा है। आहार विशेषज्ञ डॉ प्रीति शुक्ला ने बताया आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में पौष्टिकता की तरफ कम ध्यान है और स्वाद या चटपटे भोजन के प्रति ललायित है जिस कारण पौष्टिक तथ्वों को नजरंदाज किया जाता है। उदाहरण के तौर पर बच्चों की पास्ता खाने की जिद यदि पूरी कर रहे है तो अकेले पास्ता ही सर्व न करें क्योंकि इसमें कैलोरी की अधिकता है इसलिए उस पास्ता में पनीर या सोयाबीन और सौते वेजिटेबल्स के साथ सर्व करें। नट्स और ऑयल सीड्स मूफा रिच होते है यानी मोनो अनसैचुरेटेड फैटी एसिड्स, अतः इसे थोड़ी मात्रा में बच्चो को दे ये ओवरन्यूट्रिशन और अंडरन्यूट्रिशन दोनो में फायदेमंद है। सभी तरह के अनाज। (ज्वार , बाजरा , रागी आदि ) अच्छे है इन्हे सीमित मात्रा में ही भोजन में शामिल करें।

उन्होंने कुछ जरूरी टिप्स देते हुए बताया कि बच्चे स्कूल खाली पेट न जाएं, स्कूल का भोजन सामान्यतः पौष्टिक ही होता है तो बच्चे को सभी प्रकार की दाल, सब्जियां खाने से उनके बहाने इग्नोर करें, स्कूल से घर आने पर स्मॉल स्नैक दें जिसमे प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट बैलेंस हो जैसे खमण, स्प्राउट चाट , पनीर सैंडविच , चीला आदि, रात को भारतीय पारंपरिक भोजन थाली दे , भारतीय पारम्परिक भोजन ( थाली ) लेते है तो सभी चीज़े यानि कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन और फैट उसमे रहते है। फैंसी फूड हफ्ते में एक बार दें।रोजाना व्यायाम, योगा एवं फिजिकल एक्टिविटी को हॉबी बनवाएं। बच्चो को साइकिल चलवाए।स्क्रीन टाइम कम करें एवं इनहोम रेडी जंक फूड अवॉइड करें।