जानें कब से शुरू होगा आषाढ़ माह, क्या हैं इसका महत्त्व

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Ashadh Month 2023: हिंदू पंचांग का चौथा महीना आषाढ़ होता है। इसे संधि काल का महीना कहा जाता है। इस महीने भगवान सूर्य की विशेष रूप से पूजा अर्चना करने के साथ मंगल देव की पूजा करने की परंपरा मानी जाती है। इसके अलावा आषाढ़ का महीना भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा और समर्पण का महीना भी कहलाता है क्योंकि विष्णु जी इसी माह में चार माह के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं तब सृष्टि का संचालन शिवजी करते हैं। इस बार 2023 का आषाढ़ मास 5 जून से 3 जुलाई तक रहेगा।

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आषाढ़ माह की व्रत लिस्ट

7 जून: संकष्टी चतुर्थी
14 जून:योगिनी एकादशी
15 जून: मिथुन संक्रांति
15 जून:प्रदोष व्रत
17 जून: दर्श अमावस्या
17 जून: आप धन
18 जून: इष्टि
18 जून: आषाढ़ अमावस्या
19 जून: आषाढ़ नवरात्रि
19 जून:चंद्र दर्शन
20 जून: जगन्नाथ रथ यात्रा
25 जून: भानु सप्तमी
29 जून: देवयानी एकादशी
3 जुलाई: गुरु पूर्णिमा
3 जुलाई: व्यास पूजा
3 जुलाई :आषाढ़ पूर्णिमा।

आषाढ़ माह के पहले दिन खड़ाऊ, छाता, नमक और आवाले का दान किसी ब्राह्मण को किया जाता है। इसी महीने में श्री जगन्नाथ जी की रथ यात्रा भी निकल जाती है। इस महीने में सूर्य और देवी की भी उपासना की जाती है। इस महीने में तंत्र और शक्ति उपासना के लिए गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है और इसी महीने से श्री हरि विष्णु चयन के लिए चले जाते हैं और अगले चार माह तक शुभ कार्यों की वजन रहती है। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का महान उत्सव भी मनाया जाता है।

 

सबसे खास होती है जगन्नाथ यात्रा

आषाढ़ माह की सारी पूजा में से सबसे खास पूजा जगन्नाथ यात्रा होती है। जिसका इंतजार लोगों को बड़ी शिद्दत से होता है। आपको बता दे, कि हिंदुओं के चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण को समर्पित है। यह भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है और ये वैष्णव संप्रदाय को समर्पित है। आपको बता दें, जगन्नाथ शब्द का अर्थ जगत का स्वामी होता है।

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