इंदौर। शहर में पांच दिवसीय नो भिक्षा संकल्प यात्रा की शुरुआत हो गई है। यह यात्रा 30 मई तक पूरे शहर में अलग-अलग स्थानों पर निकाली जाएगी। यात्रा के दौरान चौराहों पर भिक्षुक मुक्त शहर को लेकर आयोजन भी किए जाएंगे। जानकारी देते हुए संस्था प्रवेश की संचालक रूपाली जैन ने बताया इस यात्रा के दौरान शहर के विभिन्न वर्ग जिसमें व्यापार, प्रशासन,सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ और अन्य प्रोफैशंस को शामिल कर शहर को भिक्षुक मुक्त बनाने का संकल्प भी लिया जाएगा। नो भिक्षा संकल्प यात्रा लोगों में इसके प्रति जागरूकता लाने के मकसद से निकाली जा रही है ताकि यह लोग भी समाज के मुख्यधारा से जुड़ कर सम्मान पूर्वक जीवन व्यापन करें। इससे पहले अभी तक ऐसी यात्रा पूरे विश्व में नहीं निकाली गई है जहां लोग नो भिक्षा का संकल्प लेंगे।
सवाल. भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान क्या है इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई
जवाब. पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत केंद्र शासन द्वारा देश के 10 शहरों का चयन किया गया है जिसमें मध्य प्रदेश में इंदौर शहर को भिक्षुक मुक्त करने के लिए चयनित किया गया है इस आयोजन के अंतर्गत परदेशीपुरा में पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई है। वहीं नगर निगम इस आयोजन की नोडल एजेंसी के रूप में कार्यरत हैं। यह संकल्प 2022 के मार्च माह से शुरू हुआ जो अभी तक शतत जारी है। अभी तक हमने पुनर्वास केंद्र पर लाकर 1 हज़ार से ज्यादा लोगों को भिक्षा वृत्ति से मुक्त किया है और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का काम किया है। जिसमें ऐसे लोग शामिल थे जो कि फुटपाथ, चौराहों , मंदिर और अन्य जगह पर बैठकर भिक्षावृत्ति कर रहे थे उन सबको इससे मुक्त करने का कार्य इस इनिशिएटिव के तहत किया गया है।
टीम द्वारा भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों को पुनर्वास केंद्र पर लाया जाता है इसके बाद यहां पर उनकी काउंसलिंग की जाती है और उन्हें भिक्षावृत्ति से रोका जाता है। वर्तमान में चल रही इस पूरी यात्रा के दौरान लोगों को इस संबंध में जागरूक किया जाएगा कि वे भिक्षुओं को भिक्षा की जगह शिक्षा दे। ताकि यह भी सम्मान और स्वाभिमान का जीवन जी सकें। इसी संकल्प को लेकर मैं वर्षों से काम कर रही हू। मेरा सपना है कि इंदौर भिक्षुक मुक्त बने। लेकिन यह अभियान पूरी तरह से सफल तभी हो पाएगा। जब इस अभियान में हमें लोगों का भी साथ मिलेगा। मुझे पूरा यकीन है जिस तरह हमने स्वच्छता में नंबर वन स्थान प्राप्त किया इसी तरह भिक्षावृत्ति को रोकने में भी सफल होंगे।
सवाल. क्या रेस्क्यू के दौरान बाहरी देशों से से भी भिक्षुक मिलते हैं इन लोगों का स्वास्थ्य और भोजन संबंधित क्या सामग्री दी जाती है
जवाब. पिछले 1 साल से चल रहे इस संकल्प के दौरान हमने विभिन्न वर्ग के लोगों को भिक्षावृत्ति से मुक्त किया है। इन लोगों को हमारी टीम द्वारा रेस्क्यू कर पुनर्वास केंद्र पर लाया जाता है और इसके बाद इनके परिजनों को सौप दिया जाता है। वहीं कई मेंटल रूप से बीमार व्यक्तियों को पुनर्वास केंद्र पर रखकर उनका ट्रीटमेंट कर उन्हें रोजगार दिलवाने में सहायता की जाती है। हमारे द्वारा अब तक रेस्क्यू किए गए ऐसे 400 से ज्यादा लोग हैं जो बाहरी प्रदेशों के साथ-साथ नेपाल, काठमांडू, बांग्लादेश जैसे देशों से भी थे।
उन्हें भी काउंसलिंग और डॉक्यूमेंटेशन करने के बाद उनके परिजनों को सौंप दिया गया है। कई बार रेस्क्यू करने के दौरान ऐसे बीमार भी मिलते हैं जिन्हें कई शारीरिक समस्याएं होती है इसमें किडनी हड्डी, ब्रेन से संबंधित अन्य समस्याएं पाई जाती है। इसके लिए हम शहर के अरविंदो और एमवायएच हॉस्पिटल में इनका ट्रीटमेंट करवाते हैं।अभी वर्तमान में पुनर्वास केंद्र पर 90 लोग हैं जिनका देखरेख और उनके परिजनों की जांच की जा रही है।
यहां इनका मेडिकल ट्रीटमेंट भी किया जाता है। इनकी इम्यूनिटी चेकअप के बाद इन्हें दिन में 5 टाइम सात्विक भोजन दिया जाता है इसमें सुबह नाश्ते में 11 प्रकार के अन्न से बने बिस्किट, उपमा, पोहा और दिन का खाना, दोपहर में नाश्ता और शाम का खाना भी दिया जाता है। इसी के साथ फल फ्रूट, चाय, हल्दी का दूध, वेजिटेबल्स का ज्यूस और अन्य सामग्री भी दी जाती है। पुनर्वास केंद्र पर दिन में सुबह 4 घंटे डॉक्टर अपनी सेवा देते हैं इसी के साथ नर्स भी मौजूद रहती है। रेस्क्यू करने के दौरान भिक्षावृत्ति में कई बच्चे भी होते हैं। उनके माता-पिता का पता नहीं चलने पर उन्हें बाल संरक्षण केंद्र को सौंप दिया जाता है।
सवाल. अभी तक किस प्रकार के लोगों को भिक्षावृत्ति से मुक्त किया गया है
जवाब. भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए शुरू हुए इस अभियान में हमने पहला ड्राइव बुजुर्ग और बीमार अवस्था में भिक्षावृत्ति करने वालों के लिए चलाया जिसमें 250 लोगों को रेस्क्यू किया। दूसरी ड्राइव में मानसिक रूप से बीमार भिक्षावृत्ति करने वाले लोगों के लिए चलाया जिसके तहत 57 लोगों को रेस्क्यू किया गया। इसी के साथ तीसरी ड्राइव में सभी लोगों को शामिल कर भिक्षावृत्ति से मुक्त करवाने का काम किया गया। संस्था द्वारा एक महीने तक परामर्श ड्राइव चलाई गई जिसके तहत ऐसे लोगों को परामर्श दिया गया जिनके घर परिवार सब थे फिर भी वह भिक्षावृत्ति कर रहे थे ऐसे लोगों को चिन्हित कर शहर के 32 मंदिर और 16 चौराहों से भिक्षावृत्ति से मुक्त करने का कार्य किया गया है।
वहीं संस्था द्वारा एक और ड्राइव चलाई गई जिसमें शनिवार के दिन शनि कमंडल लेकर निकलने वाले 194 बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त किया गया वर्तमान में हमने शहर और बाहर से आकर शहर में भिक्षावृत्ति करने वाले 6 हजार से ज्यादा लोगों को चिन्हित किया है और इस पर कार्य किया जा रहा है जिसके तहत इस अभियान में यह मैसेज लोगों तक पहुंचाया जाएगा कि ना खुद भिक्षा दे और ना ही लोगों को देने दे।
सवाल. भिक्षावृत्ति से शहर को मुक्त करने का संकल्प आपने कैसे लिया
जवाब. में भारत सरकार के इस मिशन से पहले भी 2019 से भिक्षावृत्ति से मुक्ति को लेकर अभियान चला रही हूं। मेरा बचपन से ही यह सपना था कि मैं भिक्षावृत्ति बंद करने को लेकर कार्य करूं और मैं अपने स्तर पर यह कार्य कर रही थी।इसी बीच भारत सरकार के इस इनिशिएटिव की वजह से हमें काफी ज्यादा मदद मिल रही है। मैं अमेरिका की एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की जॉब कर रही थी। लाखों रुपए का पैकेज छोड़कर यह संकल्प लिया कि देश में भिक्षावृत्ति के खिलाफ एक अभियान चलाऊ और इन लोगों को भी समाज की मुख्यधारा से जोड सकू। भिक्षावृत्ति अभियान के अंतर्गत मैंने एक और संकल्प लिया है जिसके तहत में ऐसे लोगों का अंतिम संस्कार भी कर रही हूं जिनके कोई परिजन नहीं होते हैं। अभी तक मैंने अपने खर्च पर 20 लोगों का अंतिम संस्कार किया है।
सवाल. आपके संकल्प को पूरा करने में आपके ग्रुप में आपके साथ कौन-कौन हैं
जवाब.हमारे ग्रुप में अनुपम पाठक, सुरभि दोषी, ज्योति गुर्जर, अंकित सोनी, चेतक सेंगर और अन्य लोग इस संकल्प को पूरा करने के लिए कार्यरत हैं। इस संकल्प के तहत भिक्षावृत्ति में पड़े लोगों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम किया जाएगा जिसमें अगरबत्ती बनाना, दीये बनाना, हैंडीक्राफ्ट के आइटम बनाना, लाइट की सीरीज बनाना, फल-फूल सब्जी बेचना, ऐसे तमाम आत्मनिर्भरता के काम हमारे यहां की भिक्षुक कर रहे हैं और आत्मनिर्भर बन चुके है। भिक्षावृत्ति अपने आप में एक अभिशाप है इसलिए हम सभी को अपने शहर और समाज को भिक्षावृत्ति मुक्त बनाना है और इसी उद्देश्य से यात्रा निकाली जा रही है।