इंदौर। वर्तमान समय में बदलती लाइफस्टाइल के चलते 80 से 90% बीमारियां हमारे शरीर में जगह बना रही है। जिसमें हमारा बदलता रहन-सहन, खान-पान, कार्यशैली शामिल है। भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोग मल्टीनेशनल कंपनी या कॉल सेंटर में काम करते हैं जहां पर वह लोग यूएस के टाइम के हिसाब से काम कर रहे होते हैं ऐसे में उनके खानपान में काफी बदलाव आता है इसी के साथ हमारे भोजन में पहले के मुकाबले पौष्टिक आहार की जगह केमिकल से परिपूर्ण चीजों ने ले ली है।
वही टेक्नोलॉजी के चलते सब कुछ एक क्लिक पर उपलब्ध होने लगा है इस वजह से हमारा व्यायाम भी काफी कम हो गया है इन सब चीजों के परिणाम से बढ़ता मोटापा, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और अन्य बीमारियों का कारण बनता है जो कि आगे चलकर दूसरी बीमारियों को बढ़ावा देती है। यह बात डॉक्टर अमित गांगुली ने अपने साक्षात्कार के दौरान कही व शहर के प्रतिष्ठित सीएचएल केयर हॉस्पिटल में गेस्ट्रो और लेप्रोस्कोपिक सर्जन के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सवाल आज के दौर में लिवर से संबंधित कौनसे समस्या देखने में आ रही है क्या यह अल्कोहल का सेवन नहीं करने वालों मैं भी देखने को मिलती है
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जवाब.आज के दौर में सबसे चिंता का अगर विषय है तो बढ़ती लीवर से संबंधित बीमारियां है इसके केस दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं। जिसमें नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर के केस भी लोगों में देखे जा रहे हैं। अक्सर जब दूसरी बीमारियों के चलते हम पेशेंट की सोनोग्राफी करवाते हैं तो उसे फैटी लीवर और लीवर से संबंधित समस्या देखने को मिलती है। आमतौर पर लोग समझते हैं कि वह अल्कोहल, मटन, चिकन ऐसी दूसरी चीज नहीं लेते है ऐसे में लीवर से संबंधित समस्या नहीं हो सकती लेकिन यह सोचना गलत है आजकल बढ़ता मोटापा इसका मेन कारण हो गया है। इसी के साथ हमारा तेल, घी से बने पदार्थ का सेवन और कम श्रम इसकी वजह बन चुका है। लिवर से संबंधित समस्या से निपटने के लिए सही समय पर इसका इलाज और हमारे खानपान में बदलाव बेहद जरूरी है वही कई बार लोगों द्वारा इसका नुस्खों से इलाज करवाया जाता है जो कि समस्या को और बढ़ा देता है।
सवाल. फैटी लीवर के केस की मात्रा किस हद तक बढ़ रही है इसका सही समय पर इलाज नहीं करवाने से क्या हो सकता है
जवाब. फैटी लीवर की समस्या में जरूरत से ज्यादा फैट का डिपोजिशन होता है इससे धीरे-धीरे हमारा लीवर कड़क होने लग जाता है और उसकी फंक्शनिंग लगभग खत्म हो जाती है जिसे लीवर सिरोसिस कहा जाता है। अगर बात फैटी लीवर के बढ़ते आंकड़ों की करी जाए तो वर्तमान में यह 30% लोगों में पाया जाता है इसका सही समय पर इलाज नहीं करवाने पर यह 30 से 40 साल की उम्र तक लिवर सिरोसिस यानी समस्या का रूप ले लेता है। और लीवर पूरी तरह काम करना बंद कर देता है। जैसे-जैसे इसकी समस्या बढ़ती है वैसे ही मरीज को पीलिया, पेट में पानी भरना, भूख नहीं लगना, पाचन क्रिया ठीक नहीं होना, पांव में सूजन जैसी समस्या देखने को मिलती है। इसे नजरअंदाज करने के बजाएं सही समय पर इलाज कर और प्रिकॉशन लेकर इसे ठीक किया जा सकता है।
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सवाल. वर्तमान समय में पाचन से संबंधित समस्या किस प्रकार बड़ी है और इससे बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए
जवाब. पाचन शक्ति में एक उम्र के बाद धीरे-धीरे हमारी शक्ति कम होती चली जाती हैं हमारी आंत स्लो हो जाती है। अक्सर या देखने में आता है कि 40 की उम्र के बाद कई लोगों में एक या दो रोटी खाने पर भी पेट भर जाता है और उन्हें भूख नहीं लगती है। इसमें हमारी बदलती लाइफस्टाइल और व्यायाम शामिल है। हमारी जीवन शैली में व्यायाम का कम होना, लोगों द्वारा चाय, धूम्रपान, बैठे-बैठे काम शामिल है। कई बार लोगों में मोशन ठीक से नहीं हो पाता है कब्जियत बनी रहती है। अगर बात एज फैक्टर की करी जाए तो जो बीमारी पहले 70 साल में देखना कि मिलती थी आज वह 30 से 40 की उम्र में देखने को मिलती है। हमें पाचन संबंधित समस्या से बचने के लिए हमारी खानपान और जीवनशैली में बदलाव की बहुत आवश्यकता है कम से कम एक घंटा अपने शरीर के लिए रोजाना निकालना बेहद जरूरी है ताकि आगे चलकर भविष्य में इस तरह की समस्याएं ना हो।
सवाल. पेट संबंधित कैंसर में कितने प्रतिशत की बढ़त हुई है इस के सामान्य लक्षण क्या होते हैं
जवाब. बात अगर पेट से संबंधित समस्या की करी जाए तो आजकल पेट से संबंधित कैंसर के केस में काफी ज्यादा बढ़त हो रही है। जिसमें बड़ी आंत का कैंसर, रेक्टल कैंसर, पेनक्रियाज कैंसर, लिवर कैंसर शामिल है। इन सभी कैंसर के लक्षण अलग-अलग होते हैं अगर बात बड़ी आंत के कैंसर की करी जाए तो खानपान में फल फ्रूट, फाइबर और सब्जियों की कमी की वजह से यह समस्या देखी जाती है इसमें लैट्रिन के साथ खून आना शामिल है। वही लीवर और पेनक्रियाज के कैंसर में ज्यादा अल्कोहल का सेवन, हेपेटाइटिस की वजह से यह समस्या देखने को आती है इसमें मरीज को पीलिया होने के लक्षण दिखाई देते हैं। अगर बात इन सभी कैंसर मैं कॉमन लक्षण की करी जाए तो कमजोरी, दुबला होना, कम खाना पीना जैसी समस्या सामने आती है। इससे संबंधित समस्या होने पर सही समय पर पहली स्टेज पर ही इसका इलाज करना ठीक रहता है।
सवाल. आपने अपनी मेडिकल फील्ड की पढ़ाई कहां से और किस क्षेत्र में पूरी की है।
जवाब. मैंने अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई शहर के प्रतिष्ठित एमजीएम मेडिकल कॉलेज से पूरी की इसके बाद एमएस की पढ़ाई श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा से पूरी की है इसी के साथ सर्जिकल गैस्ट्रो मैं स्पेशलाइजेशन निजाम इंस्टीट्यूट हैदराबाद से पूरा किया है । मैंने लेप्रोस्कोपिक और गैस्ट्रो सर्जरी से संबंधित कई रिसर्च पेपर देश-विदेश में प्रस्तुत किए हैं इसमें फ्रांस, कोरिया जैसे बड़े देश के हॉस्पिटल शामिल है। अपनी पढ़ाई पूर्ण होने के पश्चात मैंने 2010 से सीएचएल हॉस्पिटल ज्वाइन किया तब से लेकर आज तक यहां अपनी सेवाएं दे रहा हूं।