अरविंद तिवारी
तीन दिन पहले भगवान महाकाल के दर्शन कर लौटे गुजरात के एक मित्र ने दर्शन करने में हुए संघर्ष को बयां करते हुए जो कहा मध्यप्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महाकाल लोक का लोकार्पण करवाकर दर्शन करने वालों पर तो टोल टैक्स ही लगा दिया है। पैसा देने के बाद भी सुकून से दर्शन हो जाएं तो बड़ी बात है। कभी हमारे सोमनाथ आइए और देखिए कितने आराम से दर्शन हो जाते हैं। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए वे बोले यही फर्क है मोदी के गुजरात और शिवराज के मध्यप्रदेश में। यहां महाकाल को पैसे वालों का भगवान बना दिया गया है और वहां सबके लिए समान व्यवस्था।
इन दिनों महाकाल के दर्शन करने उज्जैन पहुंचने और वापस लौटने वाले 100 में से 80 श्रद्धालु दर्शन में आ रही दिक्कतों से बहुत खिन्न हैं। यदि आपको इसका आंखों देखा हाल सुनना है तो किसी दिन इंदौर से सरायरोहिल्ला तक जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस में उज्जैन से सवार हो जाइए और कोटा तक चार-पांच कोच में घूम लीजिए। बहुत उम्मीद और आस्था से राजाधिराज महाकाल के दर्शन करने वाले श्रद्धालु बरस पड़ते हैं। बोलते हैं इससे तो बाबा पहले ही अच्छे थे। आराम से दर्शन तो हो जाते थे। अब इतना तामझाम करने के बाद भी दर्शन को लेकर मारामारी। यदि आप पैसा देकर दर्शन की पात्रता हासिल कर रहे हैं तो भी जरूरी नहीं कि आराम से दर्शन हो जाएं। यदि आप 750 रुपए का टिकट लेकर गर्भगृह में दर्शन करना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि यदि कोई रुतबेदार आ गया तो फिर आधा-पौन घंटा तो कतार में इंतजार करना पड़ सकता है।
बाबा के दर्शन को पैसे के मुताबिक कैटेगरी में बांट दिया गया है। यदि आपके पास पैसा है तो ही आप बाबा के ठीक से दर्शन कर सकते हैं, अन्यथा इतनी दूर से बाबा दिखाए जाते हैं कि ठीक से दर्शन ही न हों। ऑनलाइन और ऑफलाइन सिस्टम की आड़ में आम श्रद्धालु ही पिस रहा है। जिसके पास पैसा है, संपर्क है, संबंध हैं या फिर किसी नेता या अफसर का टेका है, उसे कोई दिक्कत नहीं है। इनको आराम से दर्शन हो जाते हैं और हजारों किलोमीटर दूर से आकर घंटों से लाईन में खड़े श्रद्धालु टकटकी लगाकर देखते रहते हैं। भस्म आरती के लिए यदि आपको बुकिंग मिल जाए तो मानो आपने बहुत बड़ा किला जीत लिया। इस मामले में ‘प्रोटोकॉल’ सब पर भारी है।
बाबा के दर्शन के लिए दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और गुजरात से बड़ी संख्या में हजारों श्रद्धालु रोज उज्जैन पहुंच रहे हैं। इनकी पीड़ा यह है कि भले ही महाकाल के परिसर को भव्य स्वरूप दे दिया गया हो, लेकिन दर्शन दिन-ब-दिन मुश्किल होते जा रहे हैं। महाकाल लोक के आकार लेने के बाद ऐसा लग रहा है कि करोड़ों रुपए खर्च कर नया स्वरूप देने वाली सरकार अब इसकी लागत श्रद्धालुओं से ही वसूलना चाहती है। आए दिन व्यवस्थाओं में बदलाव कर दिए जाते हैं और परेशान जनता को होना पड़ता है।
अब यह मुद्दा प्रधानमंत्री के दरबार में पहुंचता नजर आ रहा है। इसकी पहल अहमदाबाद से उज्जैन नियमित दर्शन के लिए आने वाले एक समूह ने की है। वे कहते हैं जिन प्रधानमंत्री ने महाकाल लोक का लोकार्पण करते समय इसकी खूब तारीफ की थी उन तक अब हकीकत भी पहुंचना चाहिए। रोज बाबा के दर्शन के लिए पहुंचने वाले उज्जैन के एक श्रद्धालु का कहना है कि यह छोटा-मोटा मुद्दा नहीं है, महाकाल लोक की तारीफ करने वाले दर्शन में आने वाली परेशानी पर बहुत मुखर हैं। उनकी यह माउथ पब्लिसिटी सरकार को बहुत भारी पडऩे वाली है। वे उज्जैन के जनप्रतिनिधियों को सीधे निशाने पर लेते हैं और कहते हैं कि अफसरों की हां में हां मिलाने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं।