इंदौर शहर के पटेल नगर स्थित बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुई दुर्घटना पर मप्र मानव अधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है। आयोग ने प्रकरण क्रमांक 2250/इंदौर/2023 दर्जकर कलेक्टर इंदौर और कमिश्नर, नगर निगम, इंदौर से निम्न बिंदुओं पर एक माह में स्पष्ट प्रतिवेदन मांगा है:-
(01) घटनास्थल पर बताई गई बावड़ी पर बने निर्माण को अतिक्रमण मानकर कब से उसे हटाये जाने की कार्यवाही नगर निगम द्वारा प्रारंभ की गई थी ? ऐसी कार्यवाही इस घटना के पूर्व तक क्यों नहीं हो सकी?
(02) क्या इस संबंध में किसी न्यायालय अथवा अन्य किसी शासन के आदेश से ऐसी कार्यवाही न करने के संबंध में कोई स्थगन आदेश दिया गया था ?
(03) अतिक्रमण और जोखिमपूर्ण परिस्थिति में पायी गई ऐसी बावड़ी पर किये निर्माण को अतिक्रमण मान्य किये जाने के उपरांत भी इतने विलम्ब तक उसे हटाये जाने की कार्यवाही न किये जाने के संबंध में किन-किन अधिकारियों की जिम्मेदारी रही है ? इस संबंध में उनके विरूद्ध विभागीय स्तर पर नगर निगम, इंदौर द्वारा क्या कार्यवाही की गई है ?
(04) घटना के संबंध में विस्तृत प्रतिवेदन, मृतकों और घायलों की संख्या, उनके संबंध में शासन स्तर पर स्वीकृत मुआवजा राशि, इलाज आदि की व्यवस्थाओं के संबंध में स्पष्ट जानकारी पे्रषित करें।
आयोग ने उपरोक्त दोनों अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये हैं कि ऐसी घटना की जांच कराकर इस संबंध में भी प्रतिवेदन दें, जिससे इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में न हो। इस संबंध में राज्य शासन द्वारा की गई या प्रस्तावित कार्यवाही की भी स्पष्ट जानकारी दें। इस प्रकार के अतिक्रमण और जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में नगर निगम अथवा राज्य शासन की जानकारी में आने और उनको हटाये जाने के संबंध में कार्यवाही प्रारंभ करने के उपरांत भी उसमें अनुचित विलम्ब न हो, इस संबंध में स्पष्ट निर्देश और संबंधित अधिकारियों के उत्तरदायित्व के निर्धारण की सीमा भी स्पष्ट करें। आयोग ने इन बिन्दुओं एक माह के भीतर जवाब मांगा है। प्रकरण की आयोग में अगली सुनवाई चार मई 2023 को होगी।
पन्द्रह दिनों से समस्या, जबलपुर के बिलहरी क्षेत्र में नल के पानी में आ रहे हैं कीड़े
जबलपुर शहर के बिलहरी क्षेत्र में नगर निगम के नल के पानी में कीड़े निकल रहे हैं। यहां पर मटमैले पानी की सप्लाई हो रही है। यह स्थिति पिछले 15 दिन से बनी हुई है। बिलहरी क्षेत्र के लोगों ने नगर निगम के नल के पानी का उपयोग करना बंद कर दिया है और क्षेत्र के निवासियों द्वारा इसकी शिकायत नगर निगम को करने के बाद भी उसमें कोई सुधार कार्य नहीं किया जा रहा है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मामले में कमिश्नर, नगर निगम, जबलपुर से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में 15 दिन में प्रतिवेदन मांगा है।
रेत खदान का लाईव वीडियो बनाने पर सामाजिक कार्यकर्ता का अपहरण किया और पीटा
नर्मदापुरम जिले के पिपरिया निवासी एक सामाजिक कार्यकर्ता को नर्मदापुरम और रायसेन जिले की सीमा पर स्थित नर्मदा घाट में अवैध रूप से हो रहे रेत खनन कार्य का लाईव वीडियो बनाने पर 20 से अधिक लोगों द्वारा उसका अपहरण कर सामाजिक कार्यकर्ता के शरीर पर लाठी और डंडों से वार कर उस पर जानलेवा हमला करने का मामला सामने आया है। सामाजिक कार्यकर्ता सचिन शर्मा के साथ यह घटना हुई। पीड़ित ने एसडीओपी पिपरिया को ज्ञापन देकर दोषियों पर सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मामले में एसपी नर्मदापुरम से प्रकरण की जांच कराकर की गई कार्यवाही के संबंध में तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।
विचाराधीन बंदिनी ने जेल में की आत्महत्या
आयोग ने की अनुशंसा – मृतिका के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये दो माह में दे दें
मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने जेल में एक विचाराधीन बंदिनी द्वारा फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने के मामले में राज्य शासन से अनुशंसा की है कि मृतिका के वैध वारिसों को पांच लाख रूपये क्षतिपूर्ति राशि अगले दो माह में भुगतान कर दी जाये। मामला रायसेन जिले का है। जिला जेल रायसेन में 28 फरवरी 2021 को एक विचाराधीन बंदिनी बेनीबाई उर्फ फूलबाई (25 साल) ने जेल के महिला वार्ड के स्नानागार के रौशनदान के जंगले में अपनी ही साड़ी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। सूचना मिलने पर आयोग ने प्रकरण क्रमांक 1634/रायसेन/2021 दर्ज कर लिया। आयोग ने पाया कि विचाराधीन बंदिनी बेनीबाई उर्फ फूलबाई की जीवन सुरक्षा व उनके मानव अधिकारों के संरक्षण के मामले में जेल प्रबंधन द्वारा घोर लापरवाही की गई। जेल प्रबंधन की उपेक्षा को रेखांकित करते हुये अनुशंसा में आयोग ने यह भी कहा है कि अभिरक्षा के दौरान बंदियों पर विशेष निगरानी रखें, जिससे उन्हें आत्महत्या कर सकने का कोई अवसर ही न मिले।
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मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा संज्ञान लेने पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गौरझामर में हुई डाॅक्टर्स की तैनाती
मप्र मानव अधिकार आयोग द्वारा संज्ञान लेने पर सागर जिले के गौरझामर के शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दो डाक्टर्स की तैनाती कर दी गई है। कलेक्टर सागर के हवाले से सीएमएचओ सागर ने आयोग को इस आशय की सूचना दी है। मप्र मानव अधिकार आयोग ने सागर जिले से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के 23 फरवरी 2022 के अंक में शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गौरझामर में डाक्टर्स न होने के कारण क्षेत्र के मरीजों को उपचार लाभ से नितांत वंचित रहने संबंधी खबर पर संज्ञान लेकर कलेक्टर एवं सीएमएचओ, सागर से जांच-रिपोर्ट के साथ प्रतिवेदन मांगा था। खबर के अनुसार उपरोक्त सरकारी अस्पताल में तीन-तीन डाॅक्टर्स तैनात हैं, जो हमेशा यहां अनुपस्थित रहते हैं और जिन्हें वेतन गौरझामर हाॅस्पिटल से ही दिया जाता है। यह किसी को नहीं पता, कि यह डाॅक्टर्स अपनी नियमित सेवाएं कहां और किस अस्पताल में दे रहे हैं ? मामले में सीएमएचओ सागर ने रिपोर्ट दी हैे कि दो डाक्टर्स को किसी अन्य स्थान पर किये गये संलग्नीकरण से मुक्त कर उन्हें शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, गौरझामर में ही स्थायी रूप से तैनात कर दिया गया है, जो मरीजों का इलाज कर रहे हैं। चूंकि समस्या का निदान हो चुका है। अतः आयोग में भी यह मामला अब समाप्त कर दिया गया है।