होलिका दहन मे पेड़ो को काटने से रोकने के लिए अनूठी पहल, गोबर के कंडो का होगा उपयोग

Author Picture
By Rishabh JogiPublished On: February 10, 2021
Holika Dahan Ke Upay

होलिका दहन पर हर साल हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार वर्षो से पेड़ो को काटकर होलिका को बनाया जाता है और इन लकड़ियों से बनी होलिका को जलाया जाता है, बात अगर पुराने समय की जाए तो उस समय पृथ्वी पर पेड़ो की संख्या अत्यधिक और जनसंख्या भी कम थी जिस कारण पर्यावरण पर इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था, लेकिन बात इस समय की करे तो आये दिन बढ़ रहे प्रदुषण के कारण यदि इसी तरह से पेड़ के कटाव को नहीं रोका गया तो भविष्य में एक भी पेड़ नहीं बचेगा जिससे पर्यावरण संतुलन भी बिगड़ सकता है।

इस बार होलिका दहन पर हरेभरे वृक्षों को बेवजह काटने से बचाने के लिए साथ ही इन पेड़ो पर बसे कई पक्षियों के घोसलो को बचाने के लिए शहर में एक अनूठी पहल शुरू की जा रही है, जिससे शहर में पेड़ो को कटने से बचाने के लिए एक अलग प्रतियोगिता रखी जाएगी इसमें गोशालाओं को स्वावलंबी बनाने का उद्देश्य भी निहित है। इस वर्ष गो-सेवा विभाग द्वारा ‘देशी गोमाता के कंडों से होलिका दहन’ स्पर्धा का आयोजन किया गया है, जिसमे इस तरह से बनायीं गयी होलिकाओ में से 40 सर्वश्रेष्ठ होलिकाओं के लिए संबंधित समितियों के 200 पदाधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा। इतना ही नहीं इस प्रतियोगिता के माध्यम से उन्हें पौने दो लाख रुपये मूल्य के गो-उत्पाद पुरस्कार में दिए जाएंगे।

इस वर्ष होलिका दहन 28 मार्च को जलाई जाएगी साथ ही इस प्रतियोगिता में सम्मिलित होने वाली होलिका के बारे में दहन समिति को एक हफ्ते पहले ही बताना होगा इसके लिए स्पर्धा के शहर को चालीस क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। इतना ही नहीं श्रेष्ठ होलिका के चयन की प्रक्रिया का पालन करने के लिए हर क्षेत्र में विभाग के एक कार्यकर्ता को नियुक्त किया जा रहा है। यदि प्रतियोगिता में शमिल होने वाली होलिका में कंडे की होलिका जलने संबंधी जानकारी भी देना होगी।

बता दे कि इसमें प्रतियोगिता के कार्यकर्ता पूरा ध्यान रखेंगे की कही पर भी होलिका ने लकड़ी का उपयोग तो नहीं किया गया है जिसके लिए होलिका का चित्र भी लिया जायेगा, इसके बाद हर क्षेत्र में से एक-एक सर्वश्रेष्ठ होलिका को चुना जायेगा। साथ ही इसमें पहले पांच विशेष होलिकाओं का चयन होगा और फिर पांच में से एक का सर्वश्रेष्ठ होलिका के रूप में चयन होगा।

बता दे कि शहरों में हर वर्ष हज़ारो होलिकाये जलाई जाती है, जिसमे से इंदौर में हर साल होलिका दहन के 1500 से अधिक आयोजन होते हैं, जिस कारण हजारो किवंटल लकडिया जलाई जाती है, जिससे पर्यावरण को नुक्सान भी पहुँचता है। इस पहल को पिछले 5 वर्षो से होलिका में कंडो का उपयोग करने के लिए लोगो को प्रेरित किया जा रहा है।