विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में पुलिसकर्मियों के लिए सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ आयोजित, 150 से ज्यादा पुलिस अधिकारी और कर्मचारी हुए शामिल

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इंदौर : पुलिस मुख्यालय, मध्यप्रदेश के आदेशानुसार, सभी पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सीपीआर संबंधी प्रशिक्षण देने के निर्देश के बाद इंदौर में 25 फरवरी, शनिवार को इंदौर पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी के निर्देशन में पुलिस उपायुक्त जोन-4 राजेश सिंह के मार्गदर्शन में विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में 150 से ज्यादा पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों को सीपीआर संबंधी प्रशिक्षण डॉ रवींद्र घावत और डॉ शैलेंद्र त्रिवेदी ने दिया। प्रशिक्षण में उपस्थित पुलिसकर्मियों को डमी पर सीपीआर प्रकिया करके भी दिखाई भी गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एडिशनल डीसीपी अभिनय विश्वकर्मा जोन-4, एसीपी सराफा एसकेएस तोमर, एसीपी दिशेष अग्रवाल और विशेष जुपिटर हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ राजेश कासलीवाल भी मौजूद रहे।

पुलिस उपायुक्त जोन-4 राजेश सिंह ने इस प्रशिक्षण के मौके पर उपस्थित पुलिसकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि पुलिस मुख्यालय से मिले निर्देश के बाद इस विशेष सीपीआर प्रशिक्षण का आयोजन विशेष रूप से किया गया है। सोशल मीडिया पर पिछले दिनों कई ऐसे उदाहरण भी देखे गए, जो बता रहे थे कि पुलिसकर्मी ने तत्काल सीपीआर देकर व्यक्ति की जान बचाई, जिसके बाद लगा कि प्रदेशभर के तमाम जिलों में इस तरह के प्रशिक्षण पुलिसकर्मियों के लिए आयोजित किए जा रहे हैं।

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डॉ शैलेंद्र त्रिवेदी ने अपने संबोधन में कहा कि यदि किसी को कार्डियक अरेस्ट आया हो, तो शुरू के पांच मिनट बेहद महत्वपूर्ण है, इसलिए बिना घबराए सही तरीके से सीपीआर देना है। ये उस व्यक्ति के लिए ईश्वर का वरदान की तरह साबित होगा। डॉ त्रिवेदी ने बताया कि ये बेहद सरल तकनीक है, जिसे सही तरीके से सीखने के बाद इस्तेमाल करते समय घबराना नहीं है। अस्पताल तक इस सही तरीके से दिया गया सीपीआर पेशेंट के सर्वाइकल के चांस को बढ़ा देता है।

विशेष जुपिटर हॉस्पिटल के कक्ष में आयोजित इस प्रशिक्षण में डॉ रवींद्र घावत और डॉ शैलेंद्र त्रिवेदी ने मार्गदर्शन दिया। डमी और प्रेजेंटेशन के माध्यम से तमाम मौजूद पुलिसकर्मियों को बेसिक लाइफ सपोर्ट के बारे में तमाम तकनीकी जानकारी दी गई। डॉ रवींद्र घावत ने बताया कि पुलिसकर्मियों को विशेष जुपिटर हॉस्पिटल में सीपीआर प्रशिक्षण में बीएलएस (बेसिक लाइफ सपोर्ट) की ट्रेनिंग दी गई। इसमें कई तरह के तकनीकी बिंदु बताए गए, जिसमें आकस्मिक परिस्थिति में घटना स्थल से अस्पताल की दूरी तक मरीज की देखभाल से लेकर उसे कृत्रिम रूप से सांसे देना भी शामिल रहा।

Source – PR