हर तरफ हार मिलने के बाद भी, टीचर्स ने नहीं छोड़ी उम्मीद, 12 साल से अंधेरे में था स्कूल जनिए कैसे लाये उजाला ?

Share on:

अगर दिल में कुछ कर गुजरने का जज़्बा हो तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं लगती रस्ते अपने आप बनते जाते है और लोग मंजिल तक पहोच ही जाते है ऐसा ही कुछ बांदा के एक छोटे से गांव में देखने को मिला अगर किसी गांव में, मोहल्ले में या सरकारी स्कूल में बिजली न हो तो इसके लिए जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी अपनी ओर से कदम उठाते हैं। लेकिन बांदा में एक पूर्व मंत्री के गांव में स्थित सरकारी स्कूल में पिछले 12 सालों से बिजली नहीं थी। इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों व जिले के जनप्रतिनिधियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। न ही इतने सालो से बिजली की कोई व्यवस्था की, मजबूर होकर इसी स्कूल के अध्यापकों ने मिलकर चंदा किया और डेढ़ लाख रुपए जमा करके स्कूल तक बिजली लाकर एक मिसाल कायम कर दी।

12 साल से अँधेरे में था स्कूल

बांदा जिले की बबेरू तहसील अंतर्गत पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा का पैतृक गांव पखरौली है। इसी गांव में 12 साल पहले राजकीय विद्यालय 2010 में शुरू हुआ। स्कूल के पास बिजली सबस्टेशन है। इसके बाद ही स्कूल में कनेक्शन नहीं था। कई बार जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक कर्मचारियों में से किसी ने स्कूल की इस समस्या को सुलझाने की झेलत नहीं उठाई तभी से यह स्कूल अँधेरे में है

गर्मी में परेशान होते थे बच्चे

बिजली नहीं हों के कारण गर्मी में बच्चे पसीने से तरबतर हो जाते थे। जिससे पढ़ाई भी उनकी बाधित होती थी। इसके लिए विद्यालय के अध्यापकों ने कई बार जनप्रतिनिधियों के दरवाजे में दस्तक देकर स्कूल में बिजली चालू कराने की मांग की गई थी । इसके बाद विभागीय अधिकारियों व प्रशासनिक अधिकारियों के भी चक्कर काटे लेकिन किसी ने इस समस्या का निदान नहीं किया।

Also Read – MP के इन जिलों में जमकर बरसेंगे बादल, होगी ओलावृष्टि, मौसम बदलेगा अपना मिजाज, IMD ने जारी किया अलर्ट

शिक्षकों ने की मिसाल पेश

शिक्षकों को विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों की दशा देखी नहीं गई। उन्होंने इस संबंध में आपस में मिलकर फैसला किया। इस फैसले के तहत प्रधानाचार्य के अलावा अध्यापक गौरी शंकर, शिक्षिका पिंकी सिंह, सोनल सागर, चंद्रावती और प्रतिभा ने 25-25 हजार रुपए आपस में चंदा करके डेढ़ लाख रुपए जमा कर ट्रांसफार्मर व खंभा आदि के लिए विद्युत विभाग में पैसा जमा किया। इसके बाद स्कूल में बिजली आ गई।प्रधानाचार्य डॉ रवि करण सिंह ने एमसीबी पर फूल माला चढ़ाकर एमसीबी की बटन दबाकर विद्धयुत सप्लाई शुरू कर दी। स्कूल में विद्युत आपूर्ति शुरू होते ही छात्र-छात्राओं व अभिभावकों में खुशी की लहर छा गई। सभी ने इसके लिए विद्यालय के अध्यापकों की सराहना की। उनका कहना है कि जो काम जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को करना चाहिए वह कार्य इन अध्यापकों ने अपने वेतन से सहयोग कर कर दिखाया, यह एक मिसाल है।

शिक्षा विभाग ने भी नहीं दिया साथ

इस बारे में प्रधानाचार्य डॉ रवि करण सिंह ने बताया कि विद्युत विभाग के अफसरों को कनेक्शन के लिए पत्र लिखा। इस पर स्टीमेट में लगभग डेढ़ लाख रुपए खर्च होना बताया गया। इसके बाद जनप्रतिनिधि व शिक्षा विभाग के अफसरों को इस बारे में पत्र लिखा गया फिर भी इस पर कुछ नहीं हुआ।

रंग लाई टीचरों की मेहनत

उसके बाद प्रिंसिपल ने स्कूल के स्टॉफ से बातचीत कर अपने वेतन से स्टीमेट की राशि चंदा कर जमा करने का निर्णय लिया। सभी शिक्षक व शिक्षकों शिक्षिकाओं ने 25 -25 हजार की धनराशि जमा की। तब जाकर ट्रांसफार्मर और खंभा लगाकर बिजली विभाग ने बिजली का कनेक्शन कर दिया।

 

Also Read – इंदौर में 30 जनवरी को आयोजित होगा एक दिवसीय रोजगार मेला