अगर सर्दी में कान दर्द हो तो ईएनटी डॉक्टर से ले सलाह, सायनोसाइटीस के संक्रमित जीवाणु से हो सकती पर्दे को क्षति

mukti_gupta
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आबिद कामदार, इंदौर। शहर में ठंड फिर रोजाना बढ़ती जा रही है, पारा गिरता जा रहा है। ऐसे में मौसम में हो रहे बदलाव का असर लोगों के स्वास्थ्य पर पढ़ रहा है। जिसकी वजह से सर्दी, खांसी होना आम बात हो गई है। ज्यादातर लोग सर्दी जुकाम पर ध्यान नहीं देते और धीरे धीरे यह मरीज के कान और गले को संक्रमित कर देता है। जिससे कान से संबंधित संक्रमण हो जाते है। और कान से मवाद निकलने लगता है और कान के पर्दे को क्षति भी पहुंच सकती है।

एक या दो दिन से ज्यादा की सर्दी होने से हो जाता सायनोसाइटीस संक्रमण

शहर के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर विजय चौरडिया बताते है सायनोसाइटिस से साइनस में सूजन आ जाती है और यह किसी नाक में संक्रमण के कारण होती है। इसमें आप सिर दर्द या अपने चेहरे में दर्द और नाक बंद होने का अनुभव कर सकते हैं। कई बार इसमें नाक पदार्थ बहने लगता है। इसमें दर्द इस बात पर निर्भर करता है कि पीड़ित व्यक्ति किस प्रकार के सायनोसाइटिस से प्रभावित है।

कान में 1 क्यूब से ज्यादा पस जमा होने से कान के पर्दे को हो सकती है क्षति

वहीं वह बताते है कि, आमतौर पर सर्दी के दौरान जीवाणुओं से सायनस संक्रमण होता है। हमारे दोनों कान एक नली द्वारा पीछे खुलते है। सर्दी होने पर कई प्रकार के लापरवाहीयो के चलते संक्रमित जीवाणु कान तक पहुंच जाते है। जिसमें कान में हवा का जाना, नाक का जोर से साफ करदेना शामिल है।


शूरुआत में कान में संक्रमण पहुंचने से सूजन और भारीपन लगता है, इसके बाद कान में पस बनने से दर्द शुरू हो जाता है। सामान्य रूप से पर्दे पर 1 क्यूब सेंटीमीटर से ज्यादा पस बनने पर यह कान के पर्दे को क्षति पहुंचा सकता है। जिससे सुनने में समस्या हो सकती है।

सर्दी जुकाम में लापरवाही का असर इस तरह पढ़ता है गले पर

सायनोसाइटीस संक्रमण के बाद संक्रमित जीवाणु से जो कान में पस बनता है, वह नाक के पीछे से होते हुए गले में जाता है, जिससे गले में बलगम और कफ जमा हो जाता है। और खराश पैदा हो जाती है। वहीं इन सब इन्फेक्शन का असर गले के कॉर्ड पर पढ़ता है, जिससे आवाज सामान्य रूप से बैठ जाती है।

मौसम के अलावा इन लोगों में बनी रहती सायनोसायटीस संक्रमण की समस्या

मौसम में बदलाव के अलावा ऐसे कई मरीज होते है, जिनमें कान और नाक से संबंधित समस्या सायनोसायटीस संक्रमण बनी रहती है। यह समस्या खासकर उन लोगों में होती है, जिनकी नाक में एलर्जी, नाक की हड्डी टेडी होना या नाक में कोई डिफेक्ट होना पाया जाता है। ऐसे लोगों में कान से संबंधित और सायनोसायटीस संक्रमण की संभावना ज्यादा बनी रहती है।

अगर सर्दी के साथ कान में दर्द हो तो तुरंत ईएनटी डॉक्टर को दिखाकर उपचार ले।

सामान्य रूप से सर्दी 2 या 3 दिन तक रहती है, वही कई लोगों में इसके असर एक या दो सप्ताह तक देखे जा सकते है, ऐसे में कान में दर्द होना आम बात होती है। वहीं अगर सर्दी तेज हो तो दो दिन की सर्दी में भी साइनोसाइटिस संक्रमण हो जाता है। यह संक्रमण एक या दोनों कान में हो सकता है, वहीं बच्चों में इस संक्रमण का असर दोनों कान में होता है।

सामान्य जुकाम के मरीजों में लगभग 20 प्रतिशत मरीज होते सायनोसाइटिस संक्रमण के शिकार

अगर बात सायनोसाइटिस संक्रमण की करी जाए तो यह संक्रमण ज्यादा समय से जुकाम होने और तेज जुकाम के एक दो दिन के भीतर भी हो सकता है। यह संक्रमण धीरे धीरे बढ़ता है, और कान नाक को प्रभावित करता है। सामान्य रूप से मौसम की वजह से हुए जुकाम में लगभग बीस प्रतिशत मरीज सायनोसाइटिस संक्रमण के हो सकते है। इसलिए सर्दी होने पर लापरवाही ना करे और डॉक्टर से सलाह लेना उचित होता है।