साल की पहली माघ अमावस्या पर त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब, जानिए इस पर्व का क्या महत्व है?

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21 जनवरी को इस वर्ष की पहली शनिश्चरी अमावस्या पड़ी जिस पर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पर्व स्नान एवं भगवान शनि देव के दर्शन का लाभ लिया, माघ माह में की अमावस्या का वैसे ही बड़ा महत्त्व है ऐसे में उस दिन शनिवार पड़ने से इसका महत्व और बढ़ गया. पुरे देश ने इस पर्व पर आस्था की डुबकी लगाई अलग अलग परज्यो और शहरो में बहने वाली पवित्र नदियों पर भक्तों का दिन भर ताता लगा रहा ऐसे में उज्जैन की शिप्रा नदी पर भी उज्जैन व् आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी श्रद्धालुओं के सुगम दर्शन के लिए जिला प्रशासन द्वारा व्यापक व्यवस्था की गई थी, विभिन्न घाटों पर स्नान हेतु फव्वारे की की व्यवस्था की गई थी, इसकी सराहना श्रद्धालुओं ने करते हुए कहा है कि प्रशासन की व्यवस्थाओं के कारण उन्हें मंदिर में आसानी से दर्शन हुए व बिना किसी समस्या के स्नान की सुविधा मिली है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं ने प्रशासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं की सराहना की है।

महत्व

ज्योतिष शास्त्र व धार्मिक दृष्टि से मौनी अमावस्या की तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह तिथि चुपचाप मौन रहकर ऋषि मुनियों की तरह आचरण पूर्ण स्नान करने के विशेष महत्व के कारण ही मौनी अमावस्या कहलाती है। माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है। इसलिए माघ स्नान के लिये माघी अमावस्या यानि मौनी अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है।

पितृ दोष से मुक्ति

पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए इस तिथि का विशेष महत्व होता है, क्योंकि इस तिथि को तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत ही पुण्य फलदायी माना जाता है। किसी व्यक्ति की कुंडली में यदि पितृ दोष है, तो उससे मुक्ति के उपाय के लिए भी अमावस्या तिथि काफी कारगर मानी जाती है। इसलिए इस मौनी अमावस्या का विशेष महत्व हमारे शास्त्रों में बताया गया है।