प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. समिट थीम “वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ: मानव-केंद्रित विकास” है. इस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 120 से अधिक देशों को आमंत्रित किया गया है. पीएम मोदी ने समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, “इस शिखर सम्मेलन में आपका स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से हमारे साथ जुड़ने के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। हम एक नए साल की शुरुआत के रूप में मिल रहे हैं, नई उम्मीदें और नई ऊर्जा लेकर आ रहे हैं। 130 करोड़ भारतीयों की ओर से, मैं आप सभी को और आपके देशों को 2023 के सुखद और संतोषप्रद होने की शुभकामनाएं देता हूं।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि , यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि वैश्विक पटल पर छाई अस्थिरता की स्थिति कब तक बनी रहेगी। ऐसे में हमारा (ग्लोबल साउथ) भविष्य सबसे अधिक दांव पर लगा है। हमारे देशों में तीन-चौथाई मानवता रहती है। भारत ने हमेशा अपने विकास के अनुभव को ग्लोबल साउथ के साथ साझा किया है। हमारी विकास साझेदारी में सभी भौगोलिक और विविध क्षेत्र शामिल है। भारत ने इस वर्ष अपनी G20 अध्यक्षता शुरू की है, यह स्वाभाविक है कि हमारा उद्देश्य वैश्विक दक्षिण की आवाज को उठाना है।
हमारा समय आ रहा है
विकासशील दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों के बावजूद, मैं आशान्वित हूं कि हमारा समय आ रहा है. समय की मांग सरल, मापनीय और टिकाऊ समाधानों की पहचान करना है, जो हमारे समाजों और अर्थव्यवस्थाओं को बदल सकते हैं. इस तरह के दृष्टिकोण से, हम कठिन चुनौतियों पर काबू पा लेंगे. फिर चाहे वो गरीबी हो, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा हो या मानव क्षमता निर्माण. पिछली शताब्दी में हमने विदेशी शासन के विरुद्ध अपनी लड़ाई में एक-दूसरे का समर्थन किया. हम इस शताब्दी में फिर से ऐसा कर सकते हैं, एक नई विश्व व्यवस्था बनाने के लिए जो हमारे नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करेगी. जहां तक भारत का संबंध है, आपकी आवाज भारत की आवाज है. आपकी प्राथमिकताएं भारत की प्राथमिकताएं हैं. अगले दो दिनों में वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में 8 प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर चर्चा होगी. मुझे विश्वास है कि ग्लोबल साउथ मिलकर नए और रचनात्मक विचार पैदा कर सकता है. ये विचार जी-20 और अन्य मंचों में हमारी आवाज का आधार बन सकते हैं.
संबोधन केआखिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत में हमारी एक प्रार्थना है- आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतः। इसका अर्थ है, ब्रह्मांड की सभी दिशाओं से हमारे पास अच्छे विचार आ सकते हैं। यह वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट हमारे सामूहिक भविष्य के लिए नेक विचार हासिल करने का एक सामूहिक प्रयास है।