नितिनमोहन शर्मा
बेशरम सेंसर बोर्ड….जी हाँ ये ही तंज कसा था ख़ुलासा फर्स्ट ने फ़िल्म पठान के उस गीत के लिए जो अश्लीलता की हद तो पार कर ही रहा था, साथ ही केशरिया रंग को बेशरम बता रहा था। समूचा देश उद्वेलित हुआ। हिन्दू संगठनों ने तो सड़क पर मोर्चा खोल रखा था। सबके निशाने पर फ़िल्म डायरेक्टर, प्रोड्यूसर के साथ शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण थे। ऐसे समय ने आपके शहर के पक्का इंदौरी कहे जाने वाले अख़बार ने सीधे सेंसर बोर्ड को निशाने पर लिया।
बोर्ड अध्यक्ष प्रसुन्न जोशी और सदस्यो की जवाबदेही तय की। नामजद। अब उसी सेंसर बोर्ड ने पठान के डायरेक्टर, प्रोड्यूसर को बेशरम रंग वाले गाने पर कैंची चलाने का कह दिया। बोर्ड अध्यक्ष जोशी स्वयम सामने आए और उन्होंने फ़िल्म वालो का दो टूक कहा कि इस गीत को नए सिरे से पेश करें। ये नही चलेगा। हम इसे अकेले ख़ुलासा फर्स्ट की जीत नहीं कहना चाहते। न ऐसा कोई दावा करते है। लेकिन सुकून महसूस करते हैं कि हमने पत्रकारिता में सामजिक सरोकार धर्म का पालन किया और ऐसे वक्त सेंसर बोर्ड का ‘चमड़ा उधेड़ा’ जब शाहरुख, दीपिका ओर यशराज बैनर को ही इस सबके लिए जिम्मेदार बताया जा रहा था।
ख़ुलासा ने केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री और मंत्रालय को भी निशाने पर लिया था कि वे बताए इस प्रकार की अश्लीलता के साथ आपका क्या ‘अनुराग’ है। ख़ुलासा ने तब ख़ुलासा किया था कि पहला दोष हीरो हीरोइन नही, सेंसर बोर्ड और सूचना प्रसारण मंत्री का है जिनकी आंख से होकर ये अश्लील कंटेंट और दृश्य वाली फिल्म होकर गुजरी ओर उन्होंने आपत्ति नही ली। इस मामले में प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का भी साधुवाद। उन्होंने पहले ही दिन से इस मूददे पर न केवल समय पर मुखर हुए, बल्कि फ़िल्म निर्माता को दो टूक चेतावनी भी दी थी।
सामजिक सरोकारों से जुड़ाव और जवाबदेही वाली कलम ने फिर कमाल किया।