हमारे चारों तरफ लोग समाज सेवा से दूर भागते दिखते है। या समाज सेवक परिस्थिति का रोना रोते है। जो इस बात का परिचय देता है कि वे पलायन वादी है। या केवल सरलता से ही जीवन मे उतीर्ण हो जाना चाहते है। जबकि यह अवसर होता है आपको अपने भीतर छुपी क्षमता और कार्यकुशलता को प्रदर्शित करने का। उसे अपने आसपास के लोगो सहित समाज व देश को कुछ कर दिखाने का मौका होता है।
आपकी योग्यता का, आपके विचारों का, आपके निर्णय का, आपकी वाकपटुता का, आपकी कार्य क्षमता का प्रदर्शन, आपके व्यक्तित्व के साथ प्रमाणिकता से जुड़ता है। समाजसेवा भी नेतृत्व क्षमता की पाठशाला की तरह है। जहाँ कोई पाठ्यक्रम नही होता है। कोई शिक्षक आपको सीखाता नहीं है। बस, सीधे आपको टास्क देकर,हर व्यक्ति, आपकी परीक्षा करता है। यथासम्भव लोग बाधाएं खड़ी करते है। जिसमे से आपको आगे बढ़ना होता है।
यह बात सदैव याद रखनी चाहिए कि आपको कोई तस्तरी में चीजे देने नही आएगा। साथ ही जिन्होंने सेवा चुनी है। उनसे भी यही कहना है कि वे इस कार्य को चेलेंज के रूप में ले और नेतृत्व क्षमता का कार्यकुशलता के साथ अपनी हृदयी व बुद्धिमता का परिचय दे। यह आपके कहने से नही बल्कि लोग कहे कि आप वास्तव में संगठक है। आपकी योग्यता का विस्तार आपकी कीर्ति में सहायक बने। लोगो को आपमें भरोसा बढ़ना चाहिए। यही भरोसा आपकी प्रमाणित योग्यता भी है।
इसलिए सभी समाजसेवकों से यही कहना है कि इसने यह नही किया, यह मत करो, उसने यह कर दिया, उसकी वजह से यह काम बिगड़ गया। आदि-आदि रोना मत रोइये। यह आपकी छबि को कमजोर करता है। आपके नेतृत्व क्षमता की पोल खोलता है। अयोग्यता का परिचय देता है। बल्कि जैसी भी परिस्थिति हो, उसका सामना करिए। किसी को दोष देने के लिए आप नहीं जन्में है।
आप बेहतर सृजन कर दोषों को समाप्त करने के लिए आए है। यह भी आपके लिए एक पाठशाला है जिससे आप बहुत कुछ सीखते है। और बड़ी जिम्मेदारी के लिए तैयार हो सकते है। उसी में आपकी कीर्ति है। तभी आप समाज में बड़ा बदलाव कर पाएंगे। तथा यह योग्यता आपको कल से किसी अन्य जगह पर बहुत प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता बना सकती है। यह सीखने का शुभ अवसर की तरह है।