किसान आंदोलन : अन्ना हजारे ने दी अनशन पर बैठने की चेतावनी, गडकरी बोले- मुझे नहीं लगता वो…’

Akanksha
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नई दिल्ली : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ जारी हरियाणा और पंजाब के किसानों के आंदोलन को आज 20 दिन हो चुके हैं. अब तक सरकार और किसानों के बीच किसानों की समस्याओं को लेकर 6 दौर की वार्ता हो चुकी है. हालांकि अब तक कोई हल नहीं निकला है. किसान लगातार अपने आंदोलन को गति दे रहे हैं. दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसानों का प्रदर्शन धीरे-धीरे विस्तृत रूप ले रहा है. बीते दिनों किसानों ने भारत बंद बुलाया था तो उन्हें मिली-जुली प्रतिक्रया मिली थी, इस दौरान सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने किसानों को समर्थन दिया था और वे एक दिन के अनशन पर बैठे थे.

अन्ना हजारे ने अब एक बार फिर किसानों के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की है और उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को एक पत्र लिखा है. तोमर को लिखे पत्र में उन्होंने मोदी सरकार द्वारा कई तरह की मांग न पूरी की जाने और किसानों की मांग न माने जाने को लेकर सरकार को चेताते हुए अनशन पर बैठने की चेतावनी दी है. अन्ना हजारे ने पत्र में लिखा है कि, ‘केन्द्र ने आश्वासन दिया था कि मांगों को लेकर समिति की रिपोर्ट के आधार पर उचित कदम उठाए जाएंगे. क्योंकि तय तिथि तक कुछ नहीं हुआ है, इसलिये मैं पांच फरवरी 2019 को खत्म किया गया अनशन फिर से शुरू करने पर विचार कर रहा हूं.’ साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन पर भी सरकार को अनशन की चेतावनी दी है.

किसान आंदोलन पर लगातार केंद्रीय मंत्रियों के भी बयान सामने आ रहे हैं. जहां विपक्ष सरकार पर हमलावर है, तो वहीं केंद्रीय मंत्री भी पलटवार कर रहे हैं. साथ ही वे किसानों को कृषि कानूनों के फायदों से भी अवगत करा रहे हैं. अन्ना हजारे के अनशन शुरू करने की आशंका पर नितिन गडकरी ने कहा है कि, ‘मुझे नहीं लगता है कि अन्ना हजारे जी इसमें शामिल होंगे. हमने किसानों के खिलाफ कुछ भी गलत नहीं किया है. किसानों को मंडी में व्यापारियों को या कहीं भी बेचने का अधिकार दिया गया है.’

विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि कुछ लोग किसान आंदोलन का गलत फायदा उठा रहे हैं और उन्हें गुमराह करने में लगे हुए हैं. केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा कि, ‘मैं विदर्भ से आता हूं. यहां पर 10,000 से अधिक गरीब किसानों ने आत्महत्या की. इस मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. किसानों, किसान संगठनों द्वारा जो सुझाव सही हैं, हम उन बदलावों के लिए तैयार हैं.’