शास्त्रीय से फ़िल्मी तक हर शैली की गणेश वंदनाओं से सजी यादगार संगीत संध्या – मंगलमूर्ति मोरया

Shraddha Pancholi
Published on:

इंदौर। प्रथम पूज्य श्रीगणेश कलाकारों के भी प्रिय देवता हैं। अनेक भाषाओं में विभिन्न स्तर की आराधनाएँ श्रीगणेश की तारीफ़ में रची गई हैं। अभिनव कला समाज में सम्पन्न कार्यक्रम “मंगलमूर्ति मोरया” इस मायने में ख़ास था कि इसमें शास्त्रीय संगीत से लगाकर लोकगीत, भजन, फ़िल्मी गीतों तक में आईं श्रीगणेश वंदनाओं को एक साथ प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। गायक एवं बाँसुरी वादक आलोक बाजपेयी ने जहाँ विभिन्न गायकों की शैली अपनाते हुए अपनी ज़ोरदार प्रस्तुति में अपनी रेंज से प्रभावित किया, वहीं सूत्र संचालन कर रहीं सुगंधा बेहरे ने श्रीगणेश से जुड़ी रोचक जानकारियों के साथ आध्यात्मिक पुट भी दिया। अतिथि कलाकार शिल्पा मसूरकर ने शास्त्रीय संगीत के अन्दाज़ से महफ़िल को पूर्णता प्रदान की। विविधताओं के बाद भी विशुद्ध रूप से श्रीगणेश पर एकाग्र अपनी तरह की अनूठी ये प्रस्तुति दर्शकों को खूब आनंदित करने के साथ उनकी स्मृति में लम्बे समय के लिए जगह बनाने में सफल हुई।

Must Read- Anant Chaturdashi : रोशनी से जगमग होगा इंदौर, आज रात निकलेंगी झिलमिलाती झांकियां
गणपति बप्पा आम देशवासी के जीवन का अभिन्न हिस्सा भी हैं। अभिनव कला समाज एवं अभ्युदय बहुविध सांस्कृतिक संस्थान द्वारा आयोजित गणपति बप्पा के विविध रंगी भजनों, स्तुतियों और फ़िल्मी गीतों की मिली -जुली संगीत संध्या “मंगलमूर्ति मोरया” का श्रीगणेश युवा शास्त्रीय गायिका डॉ. शिल्पा मसूरकर ने “प्रथम सुमिर श्रीगणेश” एवं “गाइए गणपति जगवंदन” को शास्त्रीय संगीत के पुट के साथ प्रस्तुत कर दर्शकों को आल्हादित किया। मसूरकर की मीठी आवाज़ एवं सधे हुए अन्दाज़ ने दर्शकों को खूब प्रभावित किया। इसके बाद आयोजन के मुख्य कलाकार आलोक बाजपेयी “जय गणपति वंदन गणनायक” को मूल गायक अनूप जलोटा की शैली में ही प्रस्तुत दर्शकों को आनंदित कर दिया। उसके बाद क़व्वाली शैली में “सजा दो घर को गुलशन सा, मेरे गणराज आए हैं” में दर्शक झूम उठे।

राजस्थानी लोकशैली के “म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ”, गुजराती लोकरंग के “गणपति आयो बापा”, उत्तरप्रदेश के देशज “घर में पधारो गजाननजी” आदि में अपनी रेंज दिखाई। शंकर महादेवन के गाए गीत “गणनायकाय गणदेवताय” में श्री बाजपेयी ने अपनी तरफ़ से जो हरकतें जोड़ीं उन्हें भी दर्शकों की ख़ूब दाद मिली।फ़िल्मी गीतों – देवा हो देवा गणपति देवा, देवा श्रीगणेशा आदि में भी दर्शक झूम उठे। “उज्जैन का महाराजा ने घणी खम्मा” में दर्शकों ने भक्ति भाव में भगवान महाकाल के जयकारे लगाए। सुगंधा बेहरे ने अपनी सधी हुई आवाज़ में बेहतरीन शब्द चयन के साथ आध्यात्मिकता से ओतप्रोत बातों से दर्शकों को ख़ासा प्रभावित किया। कुल मिलाकर “मंगलमूर्ति मोरया” के विविधरंग दर्शकों को आनंदित कर गए और यह संगीत संध्या दर्शकों के दिल में जगह बनाने में सफल रही। हिन्दी और मराठी गणेश आरतियों के साथ आयोजन सम्पन्न हुआ।

रेवा रिसोर्ट एवं संजय लुनावत समूह के सहभाग से आयोजित इस संगीत संध्या के प्रारम्भ में वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम बाजपेयी, अभिनव कला समाज के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल, वरिष्ठ शास्त्रीय गायक सुनील मसूरकर एवं पत्रकार  कमल कस्तूरी ने दीप प्रज्ज्वलन किया। “मंगलमूर्ति मोरया” में पूर्व महापौर  कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता, भाजपा नेता जे. पी. मूलचंदानी इत्यादि सहित बड़ी संख्या में संगीतप्रेमी शामिल हुए।