स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अपने पुराने राजसी वैभव को संभाले हुए गोपाल मंदिर परिसर को पुनः सजाया और संवारा जा रहा है। परिसर में बनी हुई जर्जर इमारतों को पुराने स्वरूप में लाने के लिए दिन-रात कारीगर काम कर रहे हैं। लकड़ी की नक्काशी के साथ ही दीवारों को पुरानी विधि से बनाया जा रहा है। यहां बने मेहराबों खिड़कियों को नई पुरानी लकड़ियों से भी वही आकार दिया जा रहा है जिस तरह कि वह पहले थी। अब गोपाल मंदिर परिसर में चारों ओर होलकर रियासत का राजसी वैभव नजर आने लगा है।
गोपाल मंदिर के काले पत्थरों को तराशा गया है और उन्हें मूल स्वरूप में लाया गया है। वहीं आसपास बनी पुरानी ऐतिहासिक इमारतों में झरोखों और खिड़कियों को पुराना आकार दिया गया है। अबे इस परिसर में जहां भी नजर डालें लकड़ियों पर खूबसूरत कलाकृतियां दिखाई देंगी। यहां छत के वजन को कम करने के लिए मटकिया बिछाकर नई छत बनाई गई है। समीप ही शासकीय मुद्रणालय के पुराने भवन को आकर्षक रूप में सजाया संवारा गया है। अब यहां भवन के बीचो बीच खूबसूरत आंगन नजर आने लगा है। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि इस काम को कर रहे कांट्रेक्टर को 3 माह के भीतर अपना काम पूरा करने का नोटिस दिया गया है। संभव है कि इस अवधि में उक्त भवन का काम पूरा कर लिया जाएगा और जल्द ही गोपाल मंदिर परिसर इंदौर की ऐतिहासिक विरासत के रूप में लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगी बनेगा।