इंदौर (Indore) के देवगुराड़िया (Devguradiya) मंदिर की गिनती शहर के सबसे प्राचीन धर्मस्थलों में होती है। यह मंदिर रामायण काल से संबंधित बताया जाता है, जोकि हजारों वर्ष पुराना है । कालांतर में इंदौर की महारानी पुण्यश्लोक अहिल्या देवी ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। यहां गुटकेश्वर महादेव के नाम से एक शिवलिंग स्थापित है, जिसकी बहुत ही अधिक धार्मिक मान्यता है, माना जाता है की यह स्वयंभू शिवलिंग है ।
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गौमुख से होता है जलाभिषेक
सावन और भादौ के महीने में देवगुराड़िया पर्वत से रिसकर जल की पवित्र धारा मंदिर में स्थित भगवान गुटकेश्वर महादेव का प्राकृतिक जलाभिषेक करती है। यह जल धारा शिवलिंग के ऊपर बनी गौमुख आकृति से निकलती है। वर्तमान में यह प्राकृतिक अभिषेक भादौ माह होने की वजह से प्रारम्भ हो चुका है। इस दौरान दर्शनर्थियों की विशेष भीड़ भगवान गुटकेश्वर महादेव के दर्शन के लिए उपस्थित होती है।
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कहलाता है गरुड़ तीर्थ
देवगुराड़िया को गरुड़ तीर्थ भी कहा जाता है। मानयता है कि यहां रामायण के महत्चपूर्ण पात्र गरुड़ भगवान ने तपस्या की थी और फिर उसके बाद लक्ष्मण जी को नागफांस से मुक्त किया था। इस आधार पर इस पवित्र मंदिर की महिमा और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। महाशिवरात्रि के दौरान इस मंदिर में विशाल मेले का भी आयोजन किया जाता है।