राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर बीजेपी नेता रविशंकर ने किया पलटवार

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By Rohit KanudePublished On: August 5, 2022

कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेता व संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तीखा पलटवार किया हैं। राहुल ने पीसी में कहा कि हम लोकतंत्र की मौत के गवाह बन रहे हैं। इस पर बीजेपी नेता प्रह्लाद जोशी ने पलटवार करते हुए कहा, ”उनकी पार्टी में लोकतंत्र कहां है, उदाहरण गिनाएं.” प्रह्लाद जोशी ने यह भी कहा, ”ये नकली गांधी हैं और नकली इनकी विचारधारा है।”

राहुल को जबाव देते हुए रविशंकर कहते है कि, ”अभी राहुल गांधी की प्रेस कांफ्रेस देखी हमने, घबराये हुए, सहमें हुए राहुल गांधी, मंहगाई और बेरोजगारी की चर्चा एक बहाना है, मूलरूप से ईडी को डराना, धमकाना है। राहुल गांधी जी को क्या कहें, उनकी दादी इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी, बड़े-बड़े संपादकों को जेल भेजा था। ”जब देश की जनता आपको हरा रही है तो उसके लिए हमें क्यों जिम्मेदार मानते हैं? आपने देश के प्रधानमंत्री के बारे में क्या-क्या नहीं कहा। सही सवाल यह है कि कांग्रेस का लोकतंत्र भ्रष्टाचार का तंत्र था।’

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पीसी में कई सवाल दगों थे- राहुल ने

गौरतलब है कि, आज कांग्रेस पार्टी ने महंगाई के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। इस मौके पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर जमकर बरसे। उन्होंने पीएम मोदी की तुलना तानाशाह हिटलर करते हुए कहा “हिटलर भी चुनाव जीतता था”। पीसी में पत्रकारों ने सवाल पूच्छे राहुल से क्या महंगाई बहाना है, असल वजह ईडी की आपसे और सोनिया गांधी से पूछताछ तो नहीं?

इस पर राहुल गांधी ने कहा, ”ऐसा बिल्कुल नहीं है। वे जितना हमला कर रहे, चाहो तो उससे ज्यादा सवाल पूछ लो, कोई बात नहीं, वे जितना चाहें, उन्हें हम पर हमला करने दें।” संभावित गिरफ्तारी को लेकर किए गए सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि ”गिरफ्तार करना है करिये, मैं नहीं डरता।”

आपको बता दे, राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस में बांह पर काली पट्टी बांधकर आए थे। उन्होंने कहा, ”जो हिंदुस्तान ने 70 साल में बनाया उसे आठ साल में खत्म कर दिया गया। संसद में हमें बोलने नहीं दिया जाता, हमें गिरफ्तार किया जाता है, यह आज हिंदुस्तान की हालत है। हम लोकतंत्र की मौत के गवाह बन रहे हैं। देश में चार लोगों की तानाशाही चल रही है, आइडिया यह है कि जो लोगों के मुद्दे हैं वे न उठाए जाएं, यही सरकार की मंशा है।”