निकाय चुनाव में कमलनाथ ने कैसे किया कमाल

Shraddha Pancholi
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पीयूष बबेले। मध्यप्रदेश में करीब 1 महीने की गहमागहमी के बाद 20 जुलाई को दूसरे चरण की मतगणना संपन्न होने के साथ ही नगर निकाय के चुनाव पूरे हुए। प्रदेश में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के रूप में दो ही प्रमुख पार्टियां हैं, लेकिन इस चुनाव में आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित जीत दर्ज करते हुए मुकाबले को, कहने के लिए ही सही, त्रिकोणीय बना दिया। निकाय चुनाव अचानक ही प्रदेश के सामने आ गए थे क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसा करना जरूरी हो गया था। चुनाव विश्लेषक यह मानकर चल रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी के पास एक सुव्यवस्थित संगठन है, जो लोग धन के बल पर देश में कहीं भी सरकार बना लेते हैं, उनके पास पैसे की कोई कमी नहीं है और सबसे बढ़कर वे प्रदेश की सत्ता में काबिज हैं। नगर निगम चुनावों का इतिहास भी पूरी तरह भाजपा के साथ था, क्योंकि प्रदेश के 16 नगर निगम में से सारे के सारे पिछले चुनाव में भाजपा ने जीत लिए थे।

ऐसे में उनके सामने वह कांग्रेस पार्टी थी जो डेढ़ साल पहले सत्ता की खरीद-फरोख्त के कारण सत्ता से बाहर हो गई थी। 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में वह सिर्फ 9 विधानसभा सीटें ही जीत सकी थी। निकाय चुनाव को लेकर उसका इतिहास भी जोरदार नहीं था। कांग्रेस के पास भी बड़ा संगठन है, लेकिन पैसे और सत्ता के दमन का मुकाबला करने का उसके पास कोई सीधा तरीका नहीं था। यानी चुनाव की शुरुआत में पलड़ा साफ-साफ भारतीय जनता पार्टी का भारी था।
लेकिन आज जो नतीजे सामने आए हैं, वह बताते हैं कि अगर प्रशासन का इस्तेमाल नहीं किया गया होता तो नगर निगम की 7 सीटें कांग्रेस के पास, 7 सीटें भाजपा के पास, एक आम आदमी पार्टी के पास और एक निर्दलीय प्रत्याशी के पास होती।
तो आखिर वह क्या चीज थी जिसने पूरी तरह भाजपा के जबड़े में जा चुके हैं निकाय चुनावों को बराबरी पर लाकर खड़ा कर दिया। उस शय का नाम है कमलनाथ। कमलनाथ ने निकाय चुनावों को शतरंज की एक ऐसी बिसात में बदल दिया, जहां भारतीय जनता पार्टी हमला करने के बजाय बचाव करने की मुद्रा में आ गई। कमलनाथ ने अपने संगठन के सामने वही सीधी चुनौती रख दी कि जो जिस प्रत्याशी को टिकट दिलाएगा, उसे उस प्रत्याशी को जिताने की गारंटी भी लेनी होगी। प्रत्याशी के चयन के लिए इतना ही काफी नहीं होगा, उस प्रत्याशी को कमलनाथ के त्रिस्तरीय सर्वे की रिपोर्ट में भी टॉप टू में होना होगा। कांग्रेस की पुरानी रवायतों को एक तरफ रखते हुए कमलनाथ ने इस अदा से टिकट बांटे कि कहीं से कोई विरोध नहीं हुआ। चुनाव शुरू होने से पहले ही राजनीतिक विश्लेषक और पत्रकार यह कहने लगे कि कमलनाथ में जो टिकट पाते हैं वे बेजोड़ हैं और उनके प्रत्याशियों का कोई मुकाबला नहीं है।

कमलनाथ यहीं नहीं रुके उनका प्राइवेट जेट और हेलीकॉप्टर मिशन 2022 पर निकल गया। हर नगर निगम में उन्होंने रैली की रोड शो किया प्रबुद्ध वर्ग के लोगों से बैठक की व्यापारियों के सम्मेलन को संबोधित किया मंडलम और सेक्टर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और जहां जैसा मौका मिला पत्रकारों से बातचीत करने का कोई समय नहीं छोड़ा। इस सब के साथ ही फिर पूरे चुनाव अभियान में हर जगह किसी ना किसी धार्मिक स्थल यह साधु सन्यासी के दर्शन करने अवश्य गए। उज्जैन से जब पीतांबर में कमलनाथ की तस्वीरें वायरल हुई तो जनता में यह स्पष्ट संदेश चला गया कि हनुमान भक्त कमलनाथ किसी सॉफ्ट हिंदुत्व पर नहीं चल रहे हैं बल्कि महात्मा गांधी की उस महान परंपरा पर चल रहे हैं, जिसमें हिंदू अपने धर्म का पालन करता है, मुसलमान अपने धर्म का पालन करता है, सिख और ईसाई अपने अपने धर्म का पालन करता है। हर व्यक्ति अपने धर्म को मानता है और दूसरे के धर्म का सम्मान करता है। सर्वधर्म समभाव की कमलनाथ की यह नीति मध्य प्रदेश की जनता को पसंद आई।

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कमलनाथ यहां भी नहीं रुके उन्होंने बार-बार ऐसे बयान जारी किए जिससे अधिकारियों के बीच यह स्पष्ट संदेश गया कि अगर वे संविधान और कानून के मुताबिक काम नहीं करेंगे तो मध्य प्रदेश की जनता समय आने पर उन्हें दंडित जरूर करेगी। मतदान के दिन कई जगहों पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को परेशान किया गया, उनके ऊपर झूठे मुकदमे डाले गए, चुनौती की इस घड़ी में कमलनाथ अपने फोन पर हर समय हॉट लाइन पर उपलब्ध थे और जरूरत पड़ने पर पुलिस और प्रशासन से खुद बात कर रहे थे। हर काम को परफेक्शन के साथ करने की आदी कमलनाथ ने मतगणना के दिन हर नगर निगम क्षेत्र में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की ड्यूटी लगा दी। जब पत्रकारों और लोगों ने यह बात पढ़ी कि दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, विवेक तंखा जैसे दिग्गज नेता नगर निगम की मतगणना पर खुद निगाह रखेंगे तो माहौल बदलने लगा।
और मतगणना के 1 दिन पहले जब यह खबर सार्वजनिक हुई की कमलनाथ खुद कंट्रोल रूम में बैठेंगे और जहां कहीं मतगणना में गड़बड़ी की शिकायत आएगी हेलीकॉप्टर से उड़कर उस जगह पहुंच जाएंगे तो बाजी पूरी तरह से पलट चुकी थी।

जिस मध्यप्रदेश में पिछले 23 साल में कांग्रेस पार्टी तीन महापौर से अधिक कभी नहीं जीत सकी और 2014 के चुनाव में सारी सीटें गंवा बैठी थी, वहां कमलनाथ के कमाल कमाल ने एक झटके में पांच नगर निगम में कांग्रेस को जीत दिला दी। अगर पुलिस पैसा और प्रशासन का इस्तेमाल नहीं हुआ होता तो बाजी बिल्कुल 7 और 7 पर आकर टिक जाती।
यह कमलनाथ का करिश्मा है। नगर निगम में ऐतिहासिक जीत के बाद उन्होंने बड़ी विनम्रता से इसका श्रेय अपने कार्यकर्ताओं को दिया और उन सब का आव्हान किया कि 14 महीने बाद 2023 में मध्यप्रदेश में प्रचंड बहुमत से कॉन्ग्रेस की सरकार बनानी है। शतरंज की ऐसी बाजियां, संगठन का ऐसा संचालन, प्रशासन पर ऐसा नियंत्रण और भविष्य की ऐसी रणनीति कमलनाथ के सिवा दूसरा कोई तैयार नहीं कर सकता।