मेरी सरकार में उद्योगपतियों के काम रुकते तो अधिकारी को भोपाल आना पड़ता- पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ

Shraddha Pancholi
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इंदौर। बरसों पुरानी, पुश्तैनी दुकानें तोड़ दी जाए यह कोई स्मार्ट सिटी का माडल नहीं है। व्यापारी उद्योगपतियों को छोटी-छोटी एनओसी के लिए सरकारी विभागों के चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। जबकि सरकार सिंगल विंडों सिस्टम का झूठा दावा कर रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को शहर के व्यापारियों और उद्योगपतियों के साथ चाय पर चर्चा करते हुए यह बात कही।उन्होंने कहा कि मेरे समय यदि किसी उद्योग की भूमि आवंटन की फाइल रुकती या कोई अनुमति रोकी जाती तो अधिकारी को फाइल लेकर सीधे मेरे पास भोपाल आना पड़ता था। मैं खुद उससे जवाब मांगता था। मप्र कांग्रेस के उद्योग व व्यापार प्रकोष्ठ ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री का उद्योग और व्यापार जगत के प्रमुख लोगों के साथ संवाद आयोजित किया था।

बुधवार शाम ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित हुए संवाद में पूर्व मुख्यमंत्री उद्योगपति और व्यापारियों से चर्चा करने उन्हीं की टेबल पर पहुंच गए। कमलनाथ व्यापारियों और उद्योग जगत के लोगों से संवाद करने उनके पास जाकर बैठे। उद्योगपतियों और व्यापारियों ने दिल खोल कर अपनी समस्याएं और सुझाव पूर्व मुख्यमंत्री से साझा किए। राजबाड़ा गोपाल मंदिर काम्प्लेक्स व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक खत्री के साथ पहुंचे व्यापारियों ने कमलनाथ से कहा कि पहले स्मार्ट सिटी के नाम पर उनकी दुकानें तोड़ी गई। अब काम्प्लेक्स में अंदर दुकानें दी गई है लेकिन वे व्यापार नहीं कर पा रहे। बाहर की सड़कों पर असामाजिक तत्व कब्जा कर रहे हैं और स्थानीय राजनेता उनकों संरक्षण दे रहे हैं। निगम भी कार्रवाई नहीं कर रहा। 9 दिनों से हम दुकानें बंद कर बैठे हैं। इन व्यापारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंप दिया।

उद्योगपतियों ने पूर्व मुख्यमंत्री के सामने मुद्दा उठाया कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल की एनओसी के नाम पर उन्हें परेशान किया जाता है। उद्योग क्षेत्रों में दोहरे टैक्स, संपत्तिकर और सीवरेज के बिल का भुगतान भी उन्हें करना पड़ रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर व्यापारियों के कैसे परेशान किया जा रहा है यह मैं अच्छे से जानता हूं। उन्होंने कहा कि इंदौर के व्यापारी चंदाखोरी से भी परेशान है। यह किसी से छुपा नहीं। कोरोना काल में बंद फैक्ट्रियों और दुकानों का भी उनसे पूरा बिजली का बिल लिया गया। सरकार ने इंदौर को आर्थिक राजधानी का दर्जा दिलवाने वाले उद्योगपतियों के बारे में भी नहीं सोचा। पूर्व मुख्यमंत्री से चर्चा में इंदौर व आसपास के 100 से ज्यादा प्रमुख उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मौजूद थे।

संवाद कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए मप्र कांग्रेस के उद्योग व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय चौरड़िया ने कहा कि कहने के लिए भाजपा सरकार व्यापारी की है लेकिन इस दौर में सबसे ज्यादा परेशान व्यापारी और उद्योगपति है। जीएसटी से लेकर तमाम नए कानूनों का पेंच फंसाकर उनकी परेशानी बढ़ाई जा रही है। स्मार्ट सिटी में दुकानें तोड़ने के बाद अब नक्शों के नाम पर 10-10 लाख रुपये मांगे जा रहे हैं। व्यापार उद्योग प्रकोष्ठ के शहर अध्यक्ष अखिलेश जैन गोपी व प्रदेश सचिव मोहम्मद पीठावाला भी मौजूद थे।

कमलनाथ ने मुख्य रूप से सीआईआई के चैयरमेन सुनील चौरड़िया, प्रताप स्नैक्स के अमित कुमट, 420 समूह के प्रमुख अनुप अग्रवाल, कैट के उपाध्यक्ष उमेश तिवारी, इलैक्ट्रानिक काम्प्लेक्स एसोसिएशन की उद्यमी नीता गोयल, उद्यमी राशि गुप्ता, रियल इस्टेट से सौरभ जैन, फैलेक्सी पैक्स इंडस्ट्री के अजय चौरड़िया, एपिक रिसर्च के मुस्तफा नदीम, इंदौर होटल आनर्स एसोसिएशन के सुमित सूरी, उद्योगपति अशोक जायसवाल, जश इंजीनियरिंग के प्रतीक देसाई, गोपाल मंदिर काम्प्लेक्स के दीपक खत्री, लोहा व्यापारी एसोसिएशन के इसहास चौधरी, मोहम्मद पीठावाला,. भगवती मोटर्स वैभव, फ्रांसिस ट्रेव्लस के रोनाल्ड फ्रांसिस, फटाका व्यापारी एसोसिएशन के शंकर होतचंदानी, लोहा व्यापारी अजीत ललवामी, सुशील अजमेरा से चर्चा की। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री से चर्चा के लिए खंडवा से राजू चांदमल जैन, खरगोन से राजकुमार जैन, मंदसौर से निर्विकार रातड़िया, जुगल किशोर पाटनी और खलघाट से विजय डोंगले भी संवाद में शामिल हुए