भाजपा में संगठन के बाद अब निगम चुनाव में भी अधेड़, पुराने कार्यकर्ताओं हाशिए पर

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संजय त्रिपाठी

अपनी पूरी जवानी, संगठन को देने वाले समर्पित भाजपा कार्यकर्ता आज हाशिए पर जा रहे हैं आज मीडिया में छपी रिपोर्ट को सच मानें तो तुगलकी फरमान आया है आज का महान भाजपा संगठन 80% युवाओं को टिकट देगा मतलब साफ है, सालों तक विचारधारा के नाम पर मैदान पकड़ कर लड़ने वाले कार्यकर्ताओं का वार्ड उनके अनुकूल हो गया था, खुद ही अपने परिजन को लडाना चाहते थे सालों संगठन में काम करने के बाद आप सत्ता में कुछ भागीदारी चाहते थे, अब वह पार्षद का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

कार्यकर्ता पूछ रहा है,जब भाजपा विपक्ष में थी और संघर्ष का काल था तब यह डॉक्टर, इंजीनियर, अकाउंटेंट और वकील कहां थे,? डंडे पढ़ रहे थे,और मुकदमे लग रहे थे, भाजपा के नेताओं ने यह क्यों नहीं बोला कि, मुकदमे तुम्हें झेलने हैं, डंडे तुम्हें खाने हैं, पर जब टिकट का मौका आएगा तो तुम्हें नहीं मिलेगा, युवाओं और तथाकथित इन बुद्धिजीवियों को मिलेगा। लाख तुमने सालों संघर्ष किया हो बलिदान दिया हो पर समय आने पर पार्टी में चुनाव लड़ने का अधिकार सिर्फ कुछ लोगों को होगा।

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जिसमें 80% युवा होंगे आप अपनी पूरी जवानी खपा कर मैदान से बाहर हो जाओगे तब संगठन ने यह क्यों नहीं कहा कि पहले मुकदमे और डंडे डॉक्टर इंजीनियर वकील और सिर्फ युवा खाएंगे बड़ा मजेदार फरमान है, 3 बार से अधिक कोई पार्षद नहीं लड सकता, पर सांसद और विधायक बन सकता है देश के मुख्यमंत्री भी 3 बार से अधिक बन सकता है,, फिर इस गरीब संघर्ष करने वाले कार्यकर्ता का क्या दोष है।

मजेदार बात तो यह है कि अगर किसी को पार्षद का टिकट मिलेगा तो उसे संगठन का पद छोड़ना पड़ेगा, मतदान केंद्र वार्ड इकाई मंडल  प्रकोष्ठ, नगर आदि, निष्ठा का और एक व्यक्ति एक पद का आदर्श उदाहरण, अच्छी बात है  यह फार्मूला छोटे कार्यकर्ता पर ही क्यों लागू हो रहा है भाजपा में आकर सीधे महामंत्री बने आज के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा जो भिंड के रहने वाले हैं खजुराहो जाकर लॉकसभा का चुनाव लड़ते हैं।

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छोटे कार्यकर्ताओं को आज एक व्यक्ति एक पद का संदेश देने वाले प्रदेश अध्यक्ष स्वयं सांसद और महामंत्री सांसद और प्रदेश अध्यक्ष के दोनों पदों पर विराजमान है, छोटा कार्यकर्ता यह पूछ रहा है, तब विष्णु दत्त शर्मा ने प्रदेश महामंत्री पद से इस्तीफा क्यों नहीं दिया था। राजनीति में आदर्श, व्यक्ति एक पद का उदाहरण क्या सिर्फ छोटे कार्यकर्ता के भाग्य में ही है।

जो प्रदेश पदाधिकारी संगठन में भी है, फिर सांसद, राज्यसभा और विधायक, मंत्री, निगम मंडलों का अध्यक्ष क्यों बन जाते हैं?, पहले संगठन फिर सत्ता या फिर सत्ता ना मिले तो संगठन में क्यों छा जाते हैं? छोटे गरीब कार्यकर्ताओं को आंखें दिखाते हो जब खुद का समय आता है तो लाल बत्ती पाते हो। 80प्रतिशत युवाओं को ही पार्षद का टिकट देना है तो फिर लोकसभा और विधानसभा में बूढ़े और अधिक उम्र के नेताओं को क्यों झेल रहे हो खुद शर्मा भी 50 साल से अधिक की उम्र के हैं इस किस्म के सैकड़ों नेता भाजपा में हैं, उनका टिकट भी अगली लोकसभा विधान सभा चुनाव में कटने आज ऐलान होना चाहिए।

एक व्यक्ति एक पद की बात वह करें जो स्वयं एक व्यक्ति एक पद की जिम्मेदारी को निभाते हो, पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष स्वयं 2 पदों पर प्रदेश अध्यक्ष और सांसद पद पर है जिस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा स्वयं राज्यसभा के सांसद और संगठन के मुखिया के पद पर विराजमान हैं वह छोटे कार्यकर्ता को ऐसे आदर्श के झूठे संदेश क्यों दे रहे हैं फिर कार्यकर्ता के मन में यह विचार भी उठ रहा है, कि जब सिर्फ युवा डॉक्टर इंजीनियर उद्योगपति ऐसे महान गणमान्य लोगों को ही टिकट देना है, तो फिर आम भाजपा कार्यकर्ता काम क्यों करें खैर यह भाजपा को सोचना है,और कार्यकर्ताओं के सामने भी निर्णायक समय है। अगर आज वह खड़े नहीं हुए तो फिर उनके साथ अन्याय लगातार होता रहेगा?