Indore: आलू प्याज कमीशन एजेंट एसोसिएशन प्रेस कांफ्रेंस में हुई मुख्य बिंदुओं पर हुई विशेष चर्चा, कही ये बात

Author Picture
By Shraddha PancholiPublished On: June 6, 2022

इंदौर: हमारे आसपास जो आलू – प्याज मंडी के बारे में माहौल बन रहा है या यों कहें कि बनाया जा रहा है कि किसानों को प्याज बेचते वक़्त आढ़त देना पड़ रही है, उसी के बारे में वस्तुस्थिति बताने के लिए आप सभी को यहाँ आमंत्रित किया है. आपके (मीडिया) माध्यम से सभी को बताना चाहते हैं, कि इस जानकारी में बिलकुल भी सच्चाई नहीं है· वस्तुस्थिति यह है कि प्याज अनुसूची क्रमांक 8 में सब्जी के अंतर्गत आती है. जिसके अंतर्गत आढ़तियों को माल बेचने का अधिकार दिया गया है. जो यह प्रचारित किया जा रहा है कि हम किसानों से 5% आढ़त काटते  हैं, सर्वथा असत्य है क्योंकि वर्ष 2008 से हमने किसानों से किसी प्रकार का आढ़त नहीं लिया हैं. हमारे यहां आढ़त प्रथा बंद है बल्कि अवैध है.

Must Read- Deepika Padukone ने तोड़ा Ranveer Singh का दिल, मां बनने से किया इंकार

एक और बात जो प्याज के भावों के बारे में आप सुन रहे हैं कि प्याज के भाव नहीं मिल रहे हैं उसकी सच्चाई वह ये है कि हाल की फसल में वायरस की बीमारी लगी है और किसान हल्का माल पहले बाज़ार में बेच रहा है और अच्छा क्वालिटी का माल स्टॉक कर रहा है. इसलिए जो खराब माल मंडी में आ रहा है वह मंडी में 2 से 5 रुपये किलो बिक रहा है. अच्छा माल आज 12 से 15 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. हमारे यानिआढ़तियों और किसान भाइयों के बीच आज करीब 70 – 80 वर्षो का विश्वास का गहरा रिश्ता है. उदाहरण के लिए कोरोना काल में जब हम और किसान दोनों ही बहुत ही कठिन परिस्थिति से गुजर रहे थे उस समय किसान भाइयों ने अपने घर – खेत से हमारे यहाँ माल भेजा, जिसकी प्राप्ति हमने उनको व्हाट्स एप्प पर भेजी और पैसा उनको ऑनलाइन भेजा. हम अपने किसान भाइयों के और किसान भाई हमारे सुख दुःख के बरसों पुराने साथी हैं और एक अटूट विश्वास हमारे बीच में बना हुआ है , जिसे खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.

Must Read- मालवांचल यूनिवर्सिटी में विश्व पर्यावरण सप्ताह की हुई शुरुआत, कैम्पस में पौधारोपण और फोटो प्रदर्शनी का किया आयोजन

एक आदेश एम डी साहब ने निकाला है वह नियम के विरुद्ध है और हम इसका विरोध करते हैं. हम लोग व्यापारी हैं जिन्होंने मंडी में नगद में रवरीदकर उधार में बेचकर काफी बड़ी रकम अपने व्यवसाय में लगाए हुए हैं , यदि हमारी विश्वसनीयता पर सवाल उठाये जायेंगे तो, मंडी खत्म हो जाएगी, किसानों का नुकसान होगा और हम लोगों का लगाया हुआ पैसा डूब जाएगा इसीलिए हम यह चाहते हैं कि वर्तमान व्यवस्था जो चल रही है वह चलती रहे और किसान और हमारे बीच जो वर्षो से पीढ़ी दर पीढ़ी का संबंध बना हुआ है विश्वास बना हुआ है वह अटूट विश्वास बना रहे इसलिए इस नियम को निरस्त किया जाए.