अयं बन्धुरयं नेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्। यानि पूरा संसार एक कुटुंब है, विश्व के समस्त मानव मिलजुल कर रहे, इसमें हमारी शान है।
मानव जीवन मे परिवार के महत्व को स्वीकारते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया भर में परिवारों की भलाई के लिए प्रमुख मुद्दों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, बच्चों के अधिकार, लिंग समानता, कार्य-परिवार संतुलन और दूसरों के बीच सामाजिक समावेश आदि को ध्यान में रखते हुए 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प क्रमांक (ए / आरईएस / 47/237) द्वारा हर वर्ष 15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने का फैसला लिया था। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस उचित परिस्थितियों को बढ़ावा देने के अलावा परिवारों से संबंधित मुद्दों पर जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है।
इस आधुनिक काल में लोग स्वतंत्र और एकल जीवनशैली की दिशा मे बढ़ते जा रहे हैं और वे धीरे-धीरे समाज की उस अद्भुत रचना से भी दूर जा रहे हैं जिसे ‘परिवार’ कहा जाता है। विश्व परिवार दिवस मनाने का उद्देश्य उन सभी मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना है जिनका संबंध परिवार से होता है। इस दिन लोग अपने परिवार के लिए, अपनी नुकसानदेह आदतों, जैसे धूम्रपान आदि को छोड़कर स्वस्थ और अच्छी आदतें अपनाने का संकल्प लेते हैं। समस्त संसार में परिवार के प्रति आदर, प्यार, सम्मान देना ही इस दिवस का उद्देश्य है। विश्व परिवार दिवस को मनाने की शुरुआत करने के पीछे की वजह दुनियाभर के लोगों को परिवार से जोड़े रखना और परिवार से जुड़े मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाना था। हर साल इस दिन को मनाकर युवाओं को परिवार की अहमियत के बारे में बताया जाता है।
परिवार सामाजिक संगठन की मौलिक इकाई है जो हमें सामंजस्य के साथ जीना और एक-दूसरे से सहयोगात्मक और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाना सिखाती है। समाज की सबसे छोटी इकाई होते हुए भी यह सबसे मजबूत इकाई है, जो एक सभ्य समाज के निर्माण में मुख्य योगदान देती है। परिवार के बिना जीवन की कल्पना करना बहुत मुश्किल है। वैश्विक संस्कृति और सभ्यता मे आए अनेकों बदलावो के चलते परिवार के स्वरूप में परिवर्तन आये है और उसके मूल्यों में परिवर्तन भी हुआ है। परिवार बनते है और बन कर टूटते भी है लेकिन हमारे जीवन मे परिवार के महत्व को कभी नकारा नहीं गया। उसके अस्तित्व पर सवाल नहीं उठाया गया।
दुनिया में कोई कितना ही आधुनिक क्यों न हो जाए, कितना भी व्यस्त हो जाए, लेकिन परिवार के साथ जो खुशी और सुकून है उसका कोई मुकाबला नहीं। हमने देखा है कि कोरोना जनित विपदा काल मे हज़ारों लोग पैदल ही घर के लिए निकल गए कुछ अपने घर पहुंचे तो कुछ हमेशा के लिए खो गए लेकिन इसके बाद भी घर पहुँचने का लोगों का जूनून कम नहीं हुआ। कइयों की नौकरी चली गई, काम ठप हो गये लेकिन इस हाल में भी लोग लोग अपने परिवार के साथ रहना चाहते थे। हमेशा से परिवार का एक खास महत्त्व रहा है और इस मुश्किल समय ने फिर से सबको साथ खड़ा कर दिया है।
हमें समझना होगा कि कुछ लोगों के साथ रहने भर से परिवार नहीं बन जाता। इसमें रिश्तों की एक मज़बूत डोर होती है, सहयोग के अटूट बंधन होते हैं, एक-दूसरे की सुरक्षा के वादे और इरादे होते हैं। हमारी संस्कृति में, परंपरा में पारिवारिक एकता पर हमेशा से बल दिया जाता रहा है। परिवार एक संस्थान की तरह होता है। आर्थिक संकट के समय गरीबी बढ़ती है, अनिश्चितता के समय तनाव बढ़ता है ऐसे कठिन समय मे परिवार हमें सुरक्षित महसूस कराता है, यह हमें जीवन में किसी के साथ होने का एहसास दिलाता है जिसके साथ आप अपनी समस्याओं के बारे मे खुलकर बात कर सकते हैं। परिवार के प्रति हमारी कुछ अहम ज़िम्मेदारियां भी होती हैं। हमारा यह कर्तव्य है एक मजबूत परिवार के सदस्य के रूप मे हम रिश्तों की गरिमा को बनाए रखें।
अलग अलग विचार, पसंद के लोग एक परिवार के रूप मे एक संयुक्त इकाई की तरह साथ अपना जीवन व्यतीत करते है। परिवार लोगों को आपसी मतभेदों को भुलाकर प्रेम से रहने के लिए प्रेरित करता है और भावनात्नक तौर पर एकदूसरे का सहारा देने व अकेलेपन को दूर करने का काम भी परिवार ही करता है।
एक अच्छा परिवार बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर व्यक्ति की सफ़लता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवार के बीच रहकर ही वह अच्छे बुरे आचरण में फ़र्क करने तथा अपने भविष्य को अच्छा बनाने के लिए प्रेरित होता है। परिवार को एकजुट रखने के लिए हर सदस्य को त्याग करना होता है, स्वयम से अधिक महत्व घर के दूसरे बड़े बुजुर्गों, सदस्यों को देना होता है। मैं का भाव हृदय से निकालकर, पहले आप का भाव स्वीकारना होगा तभी हम परिवार को एकजुट रखने में सफल होंगे।
अतः यह कहा जा सकता है कि विश्व परिवार दिवस 15 मई एक महत्वपूर्ण दिवस है क्योंकि परिवार से बड़ा कोई धन नहीं है पिता से बड़ा कोई सलाहकार नही, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया नही, भाई से बड़ा भागीदार नही और बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक इस दुनिया में नहीं। परिवार की शांति में ही विश्व शांति का आधार है। विश्व परिवार दिवस के बहाने इस आधुनिक डिजिटल युग में युवाओं को परिवार के महत्व के बारे में समझाना अति आवश्यक है।
– राजकुमार जैन (स्वतंत्र विचारक)