कोलकाता: कोलकाता हाईकोर्ट से हर्षवर्धन लोढ़ा को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि हर्षवर्धन लोढ़ा को सीमेंट बनाने वाली कंपनी बिड़ला कॉर्पोरेशन और एमपी बिड़ला ग्रुप की कंपनियां में सभी पदों से तत्काल प्रभाव से हटाया जाता है। कोर्ट ने कहा कि बिड़ला कॉर्पोरेशन के चेयरमैन कंपनी की मालिकाना हक वाली प्रियंवदा बिड़ला एस्टेट के खिलाफ लगातार काम कर रहे थे। इसलिए उन्हें तत्काल प्रभाव से कंपनी में अपना सभी पद छोड़ना होगा।
दरअसल, हर्षवर्धन लोढ़ा एक दशक से अधिक समय से इन दोनों कंपनियों का नियंत्रण अपने पास रखने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। दोनों पक्ष पिछले 16 सालों से प्रियंवदा बिड़ला की वसीयत को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। ऐसे में कलकत्ता हाईकोर्ट का यह आदेश बिड़ला परिवार के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि वे लंबे समय से प्रियंवदा बिड़ला की वसीयत की कानूनी वैधता को चुनौती देते हुए इसे गलत करार देने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
प्रियंवदा बिड़ला ने अपनी वसीयत में 25,000 करोड़ रुपये की मालिकाना हक वाली एमपी बिरला एम्पायर को अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट आरएस लोढ़ा और उनके दूसरे बेटे हर्षवर्धन लोढ़ा को सौंप दिया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक, हर्षवर्धन लोढ़ा को बिड़ला कॉर्पोरेशन के चेयरमैन का पद छोड़ना होगा। इसके अलावा उन्हें एमपी बिड़ला ग्रुप की दूसरी कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में निदेशक का पद छोड़ना होगा, जिनमें विंध्य टेलीलिंक लिमिटेड, बिड़ला केबल्स और यूनिवर्सल केबल्स लिमिटेडशामिल है।