इंदौर (Indore News) : जीगोमेटिक इंप्लांट के बारे में जानकारी देने के लिये शासकीय दंत चिकित्सा महाविद्यालय इंदौर द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से फिक्सड दांत लगाये जाने के बारे में जानकारी दी गई। कार्यशाला में बताया गया कि ऐसे मरीज जिनकी ऊपरी जबड़े की हड्डी गल जाती है या किसी कारणवश निकाल दी जाती है, उन मरीजों में जीगोमेटिक इंप्लांट द्वारा फिक्सड दांत लगाये जा सकतें हैं। इससे मरीज सही ढंग से खाना चबा सकते हैं। कार्यक्रम में हैदराबाद के ओरल एवं मैक्सिलोफेशियल सर्जरी के विशेषज्ञ डॉ. आकाश चक्रवर्ती ने छात्रों को जीगोमेटिक सर्जरी की जानकारी दी।
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इस कार्यक्रम में जीगोमेटिक इंप्लांट की सर्जरी द्वारा दो मरीजों को फिक्सड़ दांत लगाये गये। कार्यक्रम का आयोजन प्रोस्थोडोंटिक्स एवं ओरल सर्जरी विभाग के तत्वावधान में किया गया। इस कार्यक्रम को नॉरिस इंडिया कंपनी एवं डेनमेड का सहयोग प्राप्त हुआ। कार्यशाला में स्वागत भाषण डीन डॉ. देशराज जैन द्वारा दिया गया। डॉ. अलका गुप्ता ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताई। डॉ. संध्या जैन ने बताया की इस महाविद्यालय में इस प्रकार के शैक्षणिक कार्यशाला का सतत आयोजन होता रहता है। डॉ. अमित रावत ने समस्त उपस्थित दंत चिकित्सकों एवं विशेषज्ञ डॉ. आकाश चक्रवर्ती का आभार व्यक्त किया।
इस कार्यशाला में महाविद्यालय में पी.जी. अध्ययनरत छात्र छात्राओं, महाविद्यालय के अन्य शिक्षक एवं बाहरी दंत चिकित्सक सम्मिलित हुए। इस दो दिवसीय कार्यशाला में जीगोमेटिक इंप्लांट सर्जरी की जानकारी मिलने से मरीजों को उचित उपचार एवं लाभ प्राप्त हो सकेगा।
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कोविड के दौरान ब्लैक फंगस का संक्रमण होने से हड्डी में नेक्रोसिस होने के कारण ऊपरी जबड़े की हड्डी निकालना आवश्यक हो जाता है, अथवा कैंसर एवं ट्रामा होने के कारण भी हड्डी निकाल दी जाती है। कई मरीजों में पायरिया के कारण दांत ढीले हो जाते हैं एवं हड्डी गल जाती है, ऐसे मरीजों में ग्राफ्ट द्वारा हड्डी बनाई जाती है। जायगोमेटिक इंप्लांट सर्जरी द्वारा इन मरीजों में बिना ग्राफ्ट के दांत लगाए जा सकते हैं।