पद्मविभूषण एवं राज्यसभा की मनोनीत सदस्य कपिला वात्स्यायन (92) का बुधवार को निधन हो गया। वो दक्षिणी दिल्ली स्थित गुलमोहर पार्क इलाके में रहतीं थी। वह हिंदी के यशस्वी साहित्यकार सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन “अज्ञेय’ की पत्नी थी। कपिला जी इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन न्यासी थी।
डॉ वात्स्यायन 1930-40 के दशक से भारतीय नृत्य संबंधी अनुसंधानों के लिए जीती जागती रिकार्ड की तरह थी। यह दशक नृत्य संस्थानों के निर्माण का एक दशक था। वह न केवल एक नृत्य विद्वान और इतिहासकार थीं बल्कि भरतनाट्यम और ओडिसी, कथक और मणिपुरी नृत्य विधा में पारंगत थी।
इनका जन्म दिल्ली में 25 दिसंबर 1928 में हुआ था। डॉ. कपिला वात्स्यायन ने वर्ष 1946 में हिंदू कॉलेज से स्नातक व 1948 में इंग्लिश विभाग से स्नातकोत्तर किया था। वह भारतीय संगीत और कला की अच्छी जानकार थीं। संगीत नाटक अकादमी फेलो रह चुकी कपिला जी प्रख्यात नर्तक शम्भू महाराज और प्रख्यात इतिहासकार वासुदेव शरण अग्रवाल की शिष्या भी थीं।
सन 2006 में वो राज्यसभा की मनोनीत सदस्य नियुक्त हुई थी। वात्स्यायन राष्ट्रीय इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद, की संस्थापक सचिव थी और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की आजीवन न्यासी भी थी। उन्होंने भारतीय नाट्यशास्त्रऔर भारतीय पारंपरिक कला पर गंभीर पुस्तकें भी लिखी थी। वह देश में भारतीय कला शास्त्र की आधिकारिक विद्वान मानी जाती थी।