( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-आज जया एकादशी व्रत (गन्ना) है।
-भगवान राम के दादा एवं दशरथ जी के पिता चक्रवर्ती सम्राट अज ने विचार किया कि केवल तपस्या की शक्ति से अपने राज्य को निष्कण्टक बनाए रखना चाहिए।
-महाराज अज ने तपस्या कर देवी को प्रसन्न ने किया और ज्ञान युक्त विचित्र – विचित्र अस्त्र तथा प्रभावशाली मन्त्र प्राप्त किए।
-अपराधियों को स्वत: दण्ड मिलने लगा। राजा के स्पर्श करते ही प्रजा के समस्त रोग – व्याधियों का शीघ्र निवारण हो जाता था।
-राजा ने अपनी पत्नी इन्दुमती और पुत्र दशरथ को छोड़कर शेष समस्त पदार्थों और हाथी, घोड़े आदि उपकरण, शस्त्र ब्राह्मणों की सेवा में दान कर दिए। प्रजा से कर वसूली नहीं की जाती थी।
-उनके राज्य में कोई छिपकर भी अपराध नहीं कर पाता था। यदि कोई पाप करता तो राजा के दिव्यास्त्र किसी की दृष्टि में ना आकर भी वध अथवा बन्धन आदि दण्ड तत्काल देते थे।
-रोगों पर नियन्त्रण हो जाने के कारण सब मनुष्यों को उत्तम सुख प्राप्त होता था।
-इस प्रकार संसार से जब पाप का भय निवृत्त हो गया तो यमलोक सूना हो गया।
-यमराज की व्यथा सुनकर भगवान शंकर ने व्याघ्र का रूप धर राजा अज से युद्ध किया। बाद में प्रसन्न होकर राजा अज को उनकी पत्नी इन्दुमती सहित माघ शुक्ल चतुर्दशी के दिन देवीकुण्ड के जल में गोता लगाकर पाताल लोक स्थित हाटकेश्वर धाम ले गए।
-मानव शरीर से राजा अज अपनी रानी के साथ आज भी अजर – अमर होकर पाताल में हाटकेश्वर भगवान की श्रद्धा पूर्वक आराधना कर रहे हैं।