गरीबों को ठगी से बचाने के लिए यश गुप्ता ने की ‘दानपात्र पाठशाला’ की शुरुआत

Share on:

इंदौर : आमतौर पर हम देखते है कि गरीब लोग शिक्षित नहीं होने और उन्हें सही जानकारी नहीं होने से लोग उनको ठगी का शिकार बना लेते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए शहर के यश गुप्ता ने दानपात्र पाठशाला की शुरुआत की जिसमें शहर के गरीब बच्चे, महिलाएं, पुरुष और अन्य लोग फ्री में सामान्य ज्ञान की शिक्षा हासिल करते हैं। इसकी शुरुआत करने के पीछे का कारण उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कुछ समय पहले की बात है जब हम मार्केट जा रहे थे उस दौरान फुटपाथ पर एक नन्हा बच्चा गुब्बारे बेच रहा था। उस बच्चे को जब पास बुलाकर पूछा कि एक गुब्बारा कितने का है तो उसने बताया 20 रुपए का उससे 2 की कीमत पूछी तो उसने 40 बताया जब उसे सभी गुब्बारों की कीमत पूछी तो उसने 200 बताई जबकि उसके पास कम से कम 20 गुब्बारे थे जिनकी कीमत लगभग 400 रुपए थी। वह बच्चा सही ज्ञान नहीं होने पर अपनी चीज की कीमत का कैलकुलेशन नहीं कर पाया। इस बात से में काफी प्रभावित हुआ मैने तब से गरीब वर्ग के लोगों को बेसिक शिक्षा देने का संकल्प लिया। यह विचार दानपात्र पाठशाला की शुरुआत करने वाले यश गुप्ता के हैं।इसी को ध्यान में रखते अप्रैल 2019 में दानपात्र पाठशाला की शुरुआत की।

सवाल. गरीबों को शिक्षा के साथ पाठशाला के माध्यम से और क्या देने का उद्देश्य रखा है

जवाब.गरीबों को सही जानकारी नहीं होने की बात पता चलने के बाद से यह तय किया कि शहर में कई लोग हैं जो ठेला लगाते हैं, कई बाई लोगों के घर में काम करती है, कई ऑटो रिक्शा चालक और अन्य लोग जो मेहनत मजदूरी करके अपना पेट भरते हैं उन्हें जनरल नॉलेज नहीं होने से उन लोगों की ठगी का शिकार बनने से बचाना है और साथ ही उन्हें जनरल नॉलेज भी देना है। ताकि आगे चलकर उन्हें अपनी आजीविका चलाने में किसी प्रकार की समस्या का सामना ना करना पड़े।

संस्था की मैनेजिंग डायरेक्टर शीतल जायसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि दानपात्र पाठशाला एक ऐसी संस्था है जो गरीब बच्चों और लोगों को मुफ्त पढ़ाने और उनके स्किल डेवलपमेेंट के लिए कार्यरत है।इस पाठशाला में 5 साल के बच्चे से लेकर 80 साल तक की बुजुर्ग भी आते है इन्हे शिक्षा देने शहर के और बाहर से हजारों वॉलेंटियर्स जुड़े हैं जो देश के कई राज्यों व शहरों में अपना समय देकर पढ़ा रहे हैं। इन वॉलेंटियर्स में से करीब 80 प्रतिशत युवा ही हैं। जो स्कूल, कॉलेज स्टूडेंट, बिजनेसमैन या अन्य फील्ड से जुड़े हैं। इस संस्था की खास बात यह है कि यहां न तो सीखने आने वालों से कोई फीस ली जाती है और न ही दानपात्र में शिक्षा देने वाले को कोई फीस देता है। सारा काम निशुल्क, सेवा और ऊर्जा के साथ होता है। ताकि इन लोगों को बेहतर शिक्षा हासिल हो सके।

सवाल. इस पाठशाला की शुरुआत कहा से हुई थी, पाठशाला में क्या कोई प्रोफेसनल शिक्षा प्रदान करने आते है

जवाब. वर्तमान में यह पाठशाला शहर के 5 स्थानों पर लगाई जा रही है। शहर के माधव विद्यापीठ दयानंद स्कूल में 15 महिलाओं और 20 बच्चों के साथ इसकी शुरुआत हुई इसके बाद यह सिलसिला चलता गया। इसी क्रम में दशहरा मैदान, चंदन नगर, एयरपोर्ट क्षेत्र और अन्य जगह पर शहर में दानपात्र पाठशाला की क्लास लगाई जा रही है। शहर के डॉक्टर, इंजीनियर, एडवोकेट और अन्य प्रोफेशनल अपनी शिक्षा प्रदान करने के लिए इस पाठशाला में आते हैं। इसी के साथ शहर के कई लोग जन्मदिन की खुशियां मनाने, सालगिराह और अन्य चीजें बच्चों के साथ सेलिब्रेट करने आते हैं और उन्हें भोजन और अन्य सामग्री बांटते हैं।

सवाल.पाठशाला में शिक्षा किस किस क्षेत्र में दी जा रही है, क्या महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी भी दी जाती है

जवाब.इंदौर से शुरू हुई दानपात्र पाठशाला देश के कई राज्यों में लगाई जा रही है। दानपात्र में समाज की सेवा करने वाले वॉलेंटियर्स ने बताया कि निःशुल्क पाठशाला से कल तक जो बच्चे और लोग पढ़ाई से दूर थे,वह आज ए फॉर एप्पल और गणित का ज्ञान हासिल कर रहे हैं। इस नि:शुल्क पाठशाला में हजारों बच्चे और महिलाएं पढ़ाई कर रहे हैं। कुछ दिन पहले तक जिन्हें कुछ नहीं आता था आज वे बच्चे और महिलाएं अब लिखना पढ़ना सीख गए हैं। कई स्कूलों द्वारा पढ़ाने के लिए जगह देकर इस नेक काम में सहयोग दिया जा रहा है। इसी के साथ महिलाओं को उनके स्वास्थ्य से संबंधित जानकारी के लिए शहर के डॉक्टर्स भी आकर उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन देते हैं। इसी के साथ लड़कियों को गुड टच, बैड टच की जानकारी भी दी जाती है। साथ ही योग प्राणायाम और अन्य चीजों के बारे में भी जानकारी दी जाती है। टेक्नोलॉजी की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए सप्ताह में 1 दिन स्मार्ट क्लास का आयोजन भी किया जाता है जिसमें उन्हें टेक्नोलॉजी से संबंधित जानकारी प्रदान की जाती है।

सवाल.पढाई के साथ पाठशाला में और किस प्रकार की गतिविधियां करवाई जाती है

जवाब.पाठशाला में सोमवार से गुरुवार तक पढ़ाई कराई जाती है। इसी के साथ शुक्रवार और शनिवार को पाठशाला में अन्य रोचक गतिविधियां कराई जाती हैं। यहां पढ़ने वाले बच्चे और महिलाए और पुरुष स्किल डेवलप हो सकें इसके लिए उन्हें कबाड़ से जुगाड़, गुड टच, बैड टच, जूडो-कराटे, संविधान, स्वास्थ्य, टेक्नोलॉजी की बेसिक जानकारी, म्यूजिक, पेंटिंग, डांस जैसी कई चीजें सिखाई जाती हैं। ताकि वह आगे चलकर अपनी जीविका चला सके। सारे वर्किंग प्रोफेशनल का पढ़ाने का सेड्यूल फिक्स रहता है जो समय निकालकर इन गरीब वर्ग के लोगों और बच्चों को शिक्षा प्रदान करते हैं।

सवाल. क्या शहर के साथ साथ अन्य शहरों और अन्य प्रदेशो में भी पाठशाला चलाई जा रही है

जवाब. कुछ सालों पहले इंदौर से शुरू हुई यह संस्था इंदौर, भोपाल, उज्जैन, धार, रतलाम, जबलपुर, मुंबई मथुरा, बिहार, ,सूरत व ओर भी अन्य शहरों में शिक्षा देने की सेवा का काम कर रही है। संस्था जल्द ही पूरे भारत के साथ साथ अन्य देशों में भी सेवा का कार्य शुरू करने की योजना पर काम कर रही है। संस्था का नाम वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड के साथ ही 2 बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है। इसी के साथ शहर के कई आयोजनों में संस्था को अपने बेहतर कार्य के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है।