मध्य प्रदेश के जबलपुर में बिजली विभाग से एक हैरान करने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। दो अधिकारियों ने नकली दस्तावेज़ों के आधार पर न सिर्फ नौकरी हासिल की, बल्कि बीते 12 से 13 वर्षों तक विभाग में कार्यरत रहते हुए वेतन के रूप में लाखों रुपये भी हड़प लिए। यह पूरा मामला तब उजागर हुआ, जब कंपनी द्वारा दस्तावेज़ों की जांच की प्रक्रिया शुरू की गई और धोखाधड़ी की परतें खुलने लगीं।
जाति प्रमाणपत्र निकला फर्जी
बिजली विभाग द्वारा दोनों अधिकारियों के जाति प्रमाणपत्रों की जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि प्रस्तुत दस्तावेज़ फर्जी हैं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कंपनी ने तत्काल प्रभाव से दोनों को निलंबित कर दिया और मामले की विस्तृत जांच प्रारंभ कर दी गई। इनमें एक अधिकारी का नाम विनोद है, जबकि दूसरे का नाम अमित बताया गया है। विनोद से जुड़े मामले में कंपनी ने हाल ही में पिछड़ा वर्ग आयोग को एक पत्र भेजकर आवश्यक जानकारी की मांग की है, ताकि आगामी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।
स्पष्टीकरण देने के निर्देश
अमित को कारण बताओ नोटिस दिया गया था, लेकिन अब तक वह ऐसा कोई प्रमाण प्रस्तुत नहीं कर पाया है जिससे उसके जाति प्रमाणपत्र की वैधता सिद्ध हो सके। मामले की जांच अभी जारी है और अधिकारियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर दिया गया है।
एक के निलंबन के बाद अब दूसरे पर फोकस
कंपनी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्परता से कार्रवाई करते हुए अधिकारी अमित को निलंबन के आदेश जारी किए हैं, जबकि विनोद के खिलाफ जांच प्रक्रिया अभी जारी है। इन दोनों अधिकारियों ने बीते 12 से 13 वर्षों के दौरान वेतन के रूप में लाखों रुपये प्राप्त किए। जांच में यह भी सामने आया है कि यदि उनके जाति प्रमाणपत्र वैध होते, तो वे इन पदों के लिए पात्र नहीं होते।
फर्जीवाड़े की पुष्टि को लेकर आयोग से संपर्क
विनोद से जुड़े मामले में कंपनी ने पिछड़ा वर्ग आयोग को एक पत्र भेजा है, जिसमें यह अनुरोध किया गया है कि उनके जाति प्रमाणपत्र की वैधता की जांच किस प्रक्रिया से की जा सकती है, इस संबंध में आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई जाए। आयोग से जवाब मिलने के बाद आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।