नई दिल्ली। देश में प्रसिद्ध जिलों और शहरों के नाम बदलने की कवायद जारी है। ऐसे में अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में स्थित ‘ लाल किले’ का नाम बदलने की भी मांग उठने लगी है। दरअसल राजधानी दिल्ली का यह किला विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल है। ऐसे में अब इसका नाम बदलकर दिल्ली लाल किले की जगह भगवा किला रखने की मांग की जा रही है। यह वही लाल किला है जिस पर 26 जनवरी और 15 अगस्त को मुख्य कार्यक्रम किया जाता है। ऐसे में अगर पुरानी धरोहर का नाम बदल दिया जाएगा तो क्या कहेंगे। आखिर इसके नाम बदलने की मांग कहां से शुरू हुई है देखिए खास रिपोर्ट।
लाल किले से पहले हुआ करता था ये नाम
दरअसल नाम की खातिर लोग क्या कुछ नहीं कर जाते हैं कभी-कभी नाम कमाने के लिए पूरी जिंदगी गुजर जाती है। ऐसे में अगर विश्व में शामिल धरोहर लाल किले का नाम बदल दिया जाए तो क्या कहेंगे। नाम की कीमत क्या होती है इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन है, लेकिन इन दिनों जिले और शहरों के नाम बदलने की कवायद जारी है। दिल्ली का लाल किला नाम बदलने की लिस्ट में आ गया है। इस किले के बारे में कई कहानियां हैं।
इसका निर्माण मुगल सम्राट शाहजहां द्वारा 1638 ईस्वी में की गई थी। यह काम करीब 10 साल यानी 1648 ईसवी तक चला था। लाल किले का पहले नाम लाल कोट हुआ करता था इसका नाम अनंगपाल तोमर ने करवाया था, जोकि अभिमन्यु के वंशज एवं पृथ्वीराज चौहान के नाना थे। ऐसे में अब स्वामी चक्रपाणि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर दिल्ली के लाल किले का नाम बदलने की मांग की है।
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स्वामी चक्रपाणि ने एक पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखा है। जिसमें उन्होंने मुगलों के इतिहास के नामों को हटाने की मांग की है। ऐसे में उन्होंने लाल किले की जगह भगवा किला रखने का आग्रह किया है। स्वामी चक्रपाणि की ओर से की गई इस मांग की चर्चा अब राजधानी दिल्ली समेत देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। हालांकि अब देखने वाली बात यह होगी स्वामी चक्रपाणि के द्वारा की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लाल किले के नाम को बदलने की मांग कहां तक जायज है और सरकार इस पर किस तरह का फैसला लेती है।