विपिन नीमा
इंदौर। श्रीनाथजी की नगरी नाथव्दारा में दुनिया की सबसे ऊंची शिवजी की प्रतिमा स्थापित की गई है। 369 फीट ऊंची इस प्रतिमा का पिछले दिनों लोकार्पण हुआ। इंदौर के लिए गौरव की बात यह है कि विश्व की पहली सबसे ऊंची प्रतिमा का स्ट्रक्चरल डिजाइन इंदौर में तैयार हुआ है। इंदौर की जिस कंपनी को यह कार्य मिला उस कंपनी का नाम स्केलेटन कंसलटेंट्स प्रायवेट लिमिटेड है। कंपनी का आफिस स्किम नंबर 54 में स्थित है।
स्ट्रक्चरल डिजाइन तैयार करने में लगे दो साल
राजस्थान के राजसमंद जिले के नाथव्दारा की गणेश टेकरी नामक पहाड़ी पर स्थापित शिवजी की विशाल प्रतिमा का स्ट्रक्चरल डिजाइन (संरचनात्मक डिजाइन) इंदौर की स्केलेटन कंसलटेंट्स प्रायवेट लिमिटेड ने किया है। कंपनी के मुख्य कर्ताधर्ता डॉ अभय गुप्ता , प्रो. जयेश जेन तथा अरुण सोडानी की टीम ने शिवजी की प्रतिमा का सुंदर तरीके से स्ट्रक्चरल डिजाइन बनाया। बताया गया है की इंदौर की इस टीम को यह डिजाइन तैयार करने के लिए लगभग डेढ़ से दो साल का समय लगा।
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शिवजी की प्रतिमा का नाम ‘विश्वास स्वरूपम’ रखा गया है
ध्यान मुद्रा में विराजमान शिव की ये प्रतिमा 20 किलोमीटर से ही नजर आने लग जाती है। रात के समय शिव प्रतिमा सफा दिखाई दे इसके लिए खास लाइट्स से सेज सजाया गया है। विश्व की इस सबसे ऊंची शिव प्रतिमा का नाम ‘विश्वास स्वरूपम’ रखा गया है।
तेज चलने वाली हवाओं के सामने टिकी रहेगी प्रतिमा
एक स्ट्रक्चरल इंजीनियर का कार्य ऊंची इमारतों और अन्य संरचनाओं पर हवा और तापमान में उतार – चढ़ाव के प्रभाव को मापना है। इस प्रतिमा का स्ट्रक्चरल डिजाइन ऐसा ही तैयार किया गया है की, अगर 250 किमी रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी मूर्ति को प्रभावित नहीं करेगी। इस प्रतिमा की कल्पना मिराज ग्रुप, उदयपुर के चेयरमैन मदन पालीवाल ने की थी। जबकि संरचनात्मक डिजाइन स्केलेटन कंसल्टेंट्स इंदौर द्वारा प्रदान किया गया।
प्रतिमा को एक पहाड़ी पर स्थापित करना एक बड़ा दुष्कर कार्य था
इंदौर के वरिष्ठ इंजीनियर अतुल शेठ ने कहा कि वास्तव में यह हम इंदौरियों के लिए यह गर्व के क्षण है । 369 फीट ऊंची शिवजी की प्रतिमा को एक पहाड़ी पर स्थापित करना एक बडी दुष्कर कार्य था । विशेष कर ऊंचाई में हवा के दबाव से सुरक्षित रखना। इस चुनोती को स्वीकार किया हमारे इंदौर की विशेषज्ञ कम्पनी ” स्केलेटन कंसल्टेंट प्रा. लि ने , जिसका नेतृत्व करने वाले हमारे साथी प्रमुख संचालक इंदौर में पढ़े -बढे है। मेरे कक्षा के साथी, एसजीएसआईटीएस में ही इनका न केवल शिक्षण हुआ है । साथ ही इसी कॉलेज में अध्यापन भी किया है । वे है अरुण सोडानी, अभय गुप्ता ओर प्रो. जयेश जैन। इसी टीम ने प्रतिमा की सरचनात्मक डिजाइन किया।