महाकाल मंदिर में वीआईपी को सुविधा नहीं मिलती इसलिए करते हैं दुष्प्रचार मामला

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इंदौर, राजेश राठौर। महाकाल मंदिर में दर्शन की सुविधा को लेकर आए दिन नेता हंगामा करते हैं,और छूटभए पत्रकार भी वहां के अफसरों को परेशान करते हैं। जबकि दर्शन की सुविधा में इतना बदलाव कर दिया है कि रोजाना सिर्फ चार हजार वीआईपी दर्शन करते हैं। एक लाख दस हजार से ज्यादा आम श्रद्धालु आसानी से दर्शन कर पाते हैं। दर्शन को लेकर उठे सवाल और राजनीतिक बयानबाजी के बीच कुछ सच्चाई को हम ने जानने की कोशिश की। वह इस तरह से है। महाकाल मंदिर में भस्म आरती में हर रोज रात को बारह बजे टिकट खिड़की चालू होती है।

जिस पर श्रद्धालु टिकट ले सकते हैं। जिनकी संख्या लगभग चार सौ रोज होती है। इसके अलावा वीआईपी के लिए अलग से कोई दर्शन की व्यवस्था नहीं है। वीआईपी को भी भस्म आरती में जाना है। तो उनको ऑनलाइन बुकिंग कराना होती है। सिर्फ न्यायमूर्ति, सांसद, विधायक, अधिमान्य पत्रकार को ही मुफ्त में दर्शन करने की सुविधा है। इसके अलावा उनके परिवार के भी यदि कोई सदस्य आते हैं। तो उनके भी पैसे बकायदा जमा होते हैं। निशुल्क दर्शन की व्यवस्था लगातार बढ़ती जा रही है। गर्भग्रह का एक और सच यह है कि मंगलवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को दोपहर 12 से 4 तक आम जनता के लिए ही सुविधा रहती है। जो गर्भग्रह तक जाकर दर्शन करके आते हैं।

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इसके अलावा उस दौरान वीआईपी को गर्भग्रह में नहीं जाने दिया जाता है। वीआईपी भी जो गर्भ में दर्शन करने जाते हैं। उन्हें 750 रूपए की टिकट कटाना होती है। शीघ्र दर्शन का मामला है ,तो वह नंदीग्राम के पास रेलिंग तक जाने की सुविधा रहती है। जिसके लिए सभी को रवाना होती है। लगातार टिकट की व्यवस्था में सुधार करते हुए सभी सुविधाएं की जा रही है। रोजाना एक लाख दस हजार से ज्यादा लोग बिना शुल्क के दर्शन कर रहे हैं। जो आम श्रद्धालु है, उन्हें किसी से कोई शिकायत नहीं होती। अक्टूबर महीने में तीन करोड रुपए महाकाल मंदिर को आय हुई थी। उसके बाद महाकाल लोक बनने पर हर महीने पांच करोड़ मिल रहे थे। जिला प्रशासन ने व्यवस्था में बदलाव किया। जो चार हजार लोग वीआईपी के नाम पर या जनप्रतिनिधियों के लेटर पैड का दुरुपयोग करके मुफ्त में दर्शन करने जाते थे।

वह सुविधा बंद कर दी है। इसी कारण परेशानी हो रही है। अब कही के भी मंत्री, विधायक, सांसद को यदि किसी को दर्शन कराना होते हैं। तो उन्हें पैसे जमा कराना होते हैं। लगातार मुफ्त दर्शन वीआईपी को कराने के मामले में सख्ती की गई, तो उसका नतीजा मिला कि अप्रैल महीने में महाकाल मंदिर को 14 करोड़ की आय हुई है। जो लोग वीआय पी बनकर गर्भगृह में जाकर मुफ्त में दर्शन करना चाहते हैं। उनको ही सबसे ज्यादा परेशानी है। कुछ पत्रकार भी रोजाना दर्शन कराने के नाम पर वसूली करते हैं। इन सबके मुफ्त दर्शन की व्यवस्था बंद हो गई।

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इसी कारण सोशल मीडिया पर भी गलत खबरें कई बार चलाई जाती है। सोमनाथ मंदिर से लेकर साउथ के तमाम मंदिरों में जो व्यवस्था दर्शन के लिए है। जिसको सभी मान्य करते हैं। उसी के मुताबिक ही महाकाल मंदिर में दर्शन की व्यवस्था की गई है। इतना सब कुछ होने के कारण महाकाल लोक के दूसरे चरण का काम तेजी से चल रहा है। जो 31 अगस्त तक पूरा होने की उम्मीद है। भीड़ बढ़ने के कारण कई बार प्रशासन को व्यवस्था में बदलाव समय को लेकर करना पड़ता है। इसी तरह के मौके का फायदा उठाकर कुछ लोग लगातार महाकाल दर्शन की व्यवस्था को लेकर बोलते हैं। यदि वाकई महाकाल मंदिर में समाप्त हो जाएगी। तो कोई विवाद नहीं होगा।

क्या गर्भ ग्रह में पुजारियों के अलावा सब की इंट्री बंद कर देना चाहिए

एक बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि देश के दूसरे प्रसिद्ध मंदिरों की तर्ज पर उज्जैन महाकाल मंदिर में भी गर्भ ग्रह में पुजारियों के अलावा बाकी सभी लोगों की एंट्री अनिवार्य बंद कर देना चाहिए। टिकट व्यवस्था भी बंद कर देना चाहिए। ताकि गर्भग्रह तक कोई नहीं जा सके। गर्भग्रह में वी आय पी के जाने को लेकर ही हमेशा विवाद होता है।