उत्तराखंड: हिंदू धर्म में धार्मिक यात्राओं का बहुत महत्व है और केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, की यात्रा करने के बाद श्रद्धालुओं के आनंद की कोई सीमा नहीं होती। लेकिन उत्तराखंड में चार धाम यात्रा अपने चरम पर है बताया जा रहा है कि अब तक करीब साढ़े आठ लाख से अधिक श्रद्धालु चार धाम के दर्शन का लाभ ले चुके हैं। लेकिन चारधाम यात्रा में मौत की संख्या में भी इजाफा हो रहा हैं। जानकारी के मुताबिक अभी तक 69 यात्रियों की मौत हो चुकी है। यमुनोत्री धाम में 19 श्रद्धालुओं की मौत की खबर सामने आई है, तो वहीं गंगोत्री में 4 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, केदारनाथ धाम में भी करीब 30 श्रद्धालुओं की मौत की खबर सामने आई है तो बताया जा रहा है कि बद्रीनाथ धाम में भी 12 यात्रियों की जान चली गई है। इन आंकड़ों पर ध्यान दे तो सबसे ज्यादा मौत केदारनाथ यात्रा में हुई है, अभी तक 34 तीर्थ यात्रियों की जान चली गई है।
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हदय गति रुक जाने की वजह से यात्रियों की मौत हुई है। बताया जा रहा है कि चारधाम यात्रा के दौरान यात्रियों के मौत के आंकड़े प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य विभाग के लिए लगातार चिंता का विषय भी बने हुए हैं। चारधाम यात्रा में जो सबसे ज्यादा मौतें हो रही है, उसका मुख्य कारण उन 69% यात्रियों में डायबिटीज और हाइपरटेंशन बताया जा रहा है ।
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केदारनाथ धाम की यात्रा काफी कठिन यात्रा मानी जाती है क्योंकि चढ़ाई पर पहुंचने में तीर्थ यात्रियों को खास ध्यान रखने की जरूरत होती है। क्योंकि पैदल चलते समय सांस की दिक्कत होती है हाई एल्टीट्यूड में आने पर ऑक्सीजन की समस्या उत्पन्न होने की वजह से हार्ट अटैक जैसी घटनाएं सामने आती है। इसीलिए यात्रियों को पैदल यात्रा शुरू करने से पहले अपने स्वास्थ्य का परीक्षण करवाने के लिए कहा जाता हैं। इस दौरान तीर्थ यात्रियों को अपनी दवाइयों के साथ ही तीर्थ यात्रा पर आना चाहिए। यात्रियों को यात्रा पर आने से पहले दवाई, गर्म कपड़े की पूरी व्यवस्था के साथ ही यात्रा करनी चाहिए।