Union Carbide Toxic Waste : 40 साल बाद भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड संयंत्र से 337 टन जहरीला कचरा सुरक्षा के बीच पीथमपुर, धार जिले में ले जाया गया। यह कचरा सुबह 4:17 बजे 12 कंटेनरों में भरकर वहां पहुंचाया गया। हालांकि, कचरे को वहां पहुंचाए जाने के बाद स्थानीय लोगों का विरोध तेज हो गया है। इस विरोध प्रदर्शन में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और सामाजिक संगठन भी शामिल हुए।
स्थानीय विरोध और प्रदर्शन
पीथमपुर के हाराणा प्रताप बस स्टैंड पर बुधवार को सर्व संगठन ने कचरा जलाए जाने के विरोध में जोरदार धरना प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में कांग्रेस और बीजेपी के नेता भी सक्रिय रूप से शामिल हुए। इसके अलावा, पीथमपुर बचाओ समिति, स्कूली बच्चे और स्थानीय नागरिकों के साथ पीथमपुर रक्षा समिति के सदस्य भी बड़ी संख्या में शामिल हुए।
विरोध का केंद्र बिंदु यह था कि स्थानीय लोग इस कचरे के निपटान के दौरान मानव और पर्यावरण पर इसके संभावित दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित थे। इस विरोध प्रदर्शन के बाद, पीथमपुर बचाओ समिति और सर्व दल संगठन ने 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का ऐलान भी कर दिया है।
कचरे के निपटान पर चिंताएं
स्थानीय नागरिकों ने इस जहरीले कचरे को पीथमपुर में जलाए जाने से मनुष्यों और पर्यावरण पर गंभीर दुष्प्रभावों की आशंका जताई है। हालांकि, प्रदेश सरकार ने यह भरोसा दिलाया है कि कचरे का सुरक्षित निपटान किया जाएगा, लेकिन लोग इसे यहां न जलाने की लगातार मांग कर रहे हैं। भाजपा नेता संजय वैष्णव ने कहा कि शुक्रवार, 3 जनवरी को स्थानीय विधायक और केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करेंगे। उनका आग्रह है कि कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर करके बंजर भूमि पर प्लांट स्थापित कर इस कचरे का सुरक्षित निपटान किया जाए।
स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं ने बताया कि साल 2015 में भी यहां परीक्षण के तौर पर यूनियन कार्बाइड के 10 टन कचरे को जलाया गया था। उनका दावा है कि इस प्रक्रिया के बाद आस-पास के गांवों की मिट्टी, जलाशय, और ग्राउंड वाटर प्रदूषित हो गए थे। हालांकि, सरकार ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि 2015 के परीक्षण की रिपोर्ट और सभी आपत्तियों की जांच के बाद ही इस बार पीथमपुर में कचरे के निपटान का निर्णय लिया गया है।