देश की 15वीं राष्ट्रपति बनीं द्रौपदी मुर्मू, सीजेआई रमणा ने दिलाई शपथ

Pinal Patidar
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आज 25 जुलाई यानी सोमवार को द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ले ली है। खास बात तो यह है कि वे पहली आदिवासी महिला हैं, जो इस पद तक पहुंचीं हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमणा ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को खत्म हो गया है। वहीं द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई यानि आज राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। अब देश के राष्ट्रपति पद की कमान द्रौपदी के हाथों होगी।

राष्ट्रपति ने करगिल दिवस की शुभकामनाएं दीं

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, 26 जुलाई को करगिल विजय दिवस है। ये दिन भारतीय सेनाओं के शौर्य और संयम का प्रतीक है। मैं सभी नागरिकों और सेनाओं को करगिल दिवस की शुभकामनाएं देती हूं।

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मैं कॉलेज जाने वाली गांव की पहली लड़की थी’

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, मैंने अपनी जीवन यात्रा ओडिशा के एक छोटे से आदिवासी गांव से शुरू की थी। मैं जिस पृष्ठभूमि से आती हूं, वहां मेरे लिये प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करना भी एक सपने जैसा ही था। लेकिन अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा संकल्प दृढ़ रहा और मैं कॉलेज जाने वाली अपने गांव की पहली बेटी बनी। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है।

‘राष्ट्रपति बनना मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं’

महामहिम मुर्मू ने कहा, राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।

ये एक संयोग है

द्रोपदी मुर्मू ने कहा, मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा। ये भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का पर्व मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे ये नया दायित्व मिला है।

लोकतंत्र की ये शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया- मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू ने संसद भवन के सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कहा, मैं देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं, जिसका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ था। स्वतंत्र भारत के नागरिकों के साथ हमारे स्वतंत्रता सेनानियों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए हमें अपने प्रयासों में तेजी लानी होगी। द्रोपदी मुर्मू ने कहा, मेरा जन्म ओडिशा के एक आदिवासी गांव में हुआ। लेकिन देश के लोकतंत्र की यह शक्ति है कि मुझे यहां तक पहुंचाया।

थोड़ी देर में शपथ लेंगी द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति भवन से संसद भवन के लिए रवाना हुईं द्रौपदी मुर्मू