आज रविवार, चैत्र कृष्ण द्वितीया तिथि है।
आज चित्रा नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
-( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
-चतुर्थी व्रत कल सोमवार को है।
-पञ्च नदी – गङ्गा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी और नर्मदा – यह पॉंच मुख्य नदियॉं हैं।
-पञ्चपल्लव – पीपल, गूलर, अशोक, आम और वट – इनके पत्ते पञ्च पल्लव हैं।
-पञ्चपुष्प – चमेली, आम, शमी (खेजड़ा), पद्म (कमल) और करवीर (कनेर) के पुष्प पञ्चपुष्प हैं।
-पञ्च गन्ध – चूर्ण किया हुआ, घिसा हुआ, दाह से खींचा हुआ, रस से मथा हुआ और प्राणी के अङ्ग से पैदा हुआ (कस्तूरी) – यह पञ्चगन्ध हैं।
-पञ्चगव्य – ताम्बे के वर्ण जैसी गो का मूत्र, लाल गाय का गोबर, सफेद गाय का दूध, काली गाय के दूध का दही, नीली (काली) गाय के दूध का घी – यह पञ्चगव्य है।
-पञ्चामृत – गो के दूध, दही और घी में चीनी और शहद मिलाकर पञ्चामृत बनता है।
-पञ्चरत्न – सोना, हीरा, नीलमणि, पद्मराग और मोती – यह पॉंच रत्न हैं।
-पञ्चाङ्ग – तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का ज्ञापक है। इससे व्रत आदि निश्चय होते हैं।
– षट्कर्म – स्नान, सन्ध्या – जप, होम, पठन-पाठन, देवार्चन और वैश्वदेव तथा अतिथि सत्कार – यह छह कर्म हैं।
-सप्त गोत्र – पिता, माता, पत्नी, बहिन, पुत्री, फूफा और मौसी – यह सात गोत्र ( कुटुम्ब) हैं।
-सप्तधान्य – जौ, गेहूॅं, धान, तिल, कॉंगनी, श्यामाक (सावॉं) और देवधान्य – यह सप्तधान्य हैं।
-सप्तधातु – सोना, चॉंदी, ताम्बा, ऑरकुट, लोहा, रॉंगा और सीसा – यह सप्तधातु हैं।