अथ श्री एमपी की टाइगर कथा

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ब्रजेश राजपूत

मध्यप्रदेश वैसे भी पुराना टाइगर स्टेट हैं। पीली काली धारियों वाले टाइगर से लेकर सफेद टाइगर की दहाडें यहां के छह टाइगर रिजर्व पार्क में सालों से सुनायीं देती रहीं हैं। ये भी संयोग ही है कि कुछ साल पहले टाइगर की संख्या में कमी आने पर प्रदेश से टाइगर स्टेट का दर्जा छिन गया था मगर पिछले साल मध्यप्रदेश में बाघों की संख्या पांच सौ से ज्यादा होते ही टाइगर स्टेट का दर्जा मिला और अब जंगल तो जंगल राजधानी से भी टाइगर की दहाडें सुनाई देनीं लगीं है। टाइगरअभी जिंदा है नाम की सलमान खान की साधारण फिल्म मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों गजब प्रासंगिक हो गयी है।

पंद्रह साल बाद जब बीजेपी मध्यप्रदेश की सत्ता से हटी और विपक्ष में गयी तो उसे जिस किसी जुमले से सबसे ज्यादा सहारा मिला तो वो यही था टाइगर जिंदा है। जैसा कि प्रदेश की जनता ने देखा कि सत्ता से हटने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिहं ने हार नहीं मानी और वो कुछ दिनों बाद ही सडकों पर उतर पडे। प्रदेश के लंबे लंबे दौरे करने लगे।बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हमले होते या फिर उन पर जहां परेशानी होती शिवराज अपने काफिले के साथ दूर दूर तकनिकल पडते। किसानों के बीच जाते उनकी परेशानी अपनी बताकर उनकी लडाई लडने का जज्बा जगाते और इसी बीच किसी दिन उनके मुंह से ये जुमला निकल पडा चिंता नहीं करना क्योंकि टाइगर अभी जिंदा है। शायद सबसे पहले ये जुमला उन्होंने सिहोर जिले की किसानों की सभा में बोला था। इस जुमले में दम था और टीवी चैनलों पर ये डायलाग जमकर चला। फिर क्या था ये डाइलोग शिवराज अपनी हर सभा में बोलने लगे और जनता उस पर खूब ताली पीटती।हांलाकि शिवराज फिल्मी नेता नहीं है गांव जमीन और खेती किसानी वाले आदमी हैं तो उनकी जबान से ये बात उतनी जमती नहीं थी मगर जनता थी कि इस डायलाग पर रीझ कर तालियां पीटती।

इस दरम्यान उनसे मुलाकात होने पर हमने उत्सुकतावश पूछा कि मंचीय सभाओं में तो आप चौपाई दोहे और सूक्तियां बोलते हो ये टाइगर अभी जिंदा है सरीखा फिल्मी डायलाग आपको कहां से याद आ गय। आप तो फिल्में विल्में वैसे ही कम ही देखते हो, तो जैसा कि होता है शिवराज अपने राज को राज ही रखते हैं हंस कर कहा अरे बस याद आ गया कि हमारे लोगों को सताओगे तो हम पीछे नहीं हटेंगे और लडता तोटाइगर ही है तो हमने हाथ उठाया और कह दिया कि चिंता मत करो टाइगर अभी जिंदा है जनता खुश हुयी तो लगा कि अब तो टाइगर बन कर ही लडना है इस कांग्रेस की सरकार से।

षिवराज लडे कांग्रेस की सरकार से और पंद्रह महीने बाद अकल्पनीय से तरीके से बीजेपी की सरकार में वापसी हो गयी। सरकार वापस ही नहीं आयी मुख्यमंत्री भी शिवराज सिंह चौहान ही बने। वो भी चौथी बार। जो लोग ये कयास लगा रहे थे कि इस बार आलाकमान अपने मन की करेगा और शिवराज को साइड लाइन कर यहां भी हरियाणा और झारखंड दोहराया जायेगा यानिकी किसी अंजान चेहरे को सीएम बनाया जायेगा मगर एक बार फिर तमाम अनुमान झूठे निकले और जिंदा टाइगर फिर मुख्यमंत्री बन गया।

मगर सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल गठन के बाद मध्यप्रदेष की राजनीति में एक टाइगर और आ गया। ये ज्योतिरादित्य सिंधिया थे जिन्होंने राजभवन से निकल कर टीवी कैमरों की भीड के सामने कहा कि जो लोग दो महीने से उनके खिलाफ चरित्र हनन की कोशिश कर रहे हैं वो जान लें कि टाइगर अभीजिंदा है। मगर पुराने टाइगर डायलाग और नये टाइगर डागलाग में अंतर था। पुराना डायलाग अनगढ अचानक और बिना तैयारी का था। नये वाले में टाइगर के बाद पाज और हल्की सी मुस्कुराहट थी ऐसा लगता था कि डायलाग बोलनेकी तैयारी थी। जैसा कि तय था नया डायलाग भी हिट होगया। सिंधिया ने दूसरे दिन भी बीजेपी दफतर में ये डायलागमारा कि कुछ चील मुझे नोंचना चाहती हैं मगर टाइगर अभी ( पाज ) जिंदा है।

तालियां यहां भी पिटीं। और इसी के साथ टाइगर को जबाव देने का सिलसिला षुरू हो गया। दिग्विजय ने छोटे सिंधिया को बताना चाहा कि वो बडे सिंधिया के साथ टाइगर का शिकार करते थे तो कमलनाथ ने कागजी और सर्कस का षेर तक कह कर सिंधिया की हंसी उडायी। और हमारे जैसे राजनीति पर लिखने और समझने की कोशिश करने वाले लोग ये अनुमान लगाने लगे कि मध्यप्रदेष की शांत सी राजनीति में अचानक टाइगर क्यों दहाडने लगे।
राजनीति में बडा नेता कुछ भी यूं ही नहीं बोलता और जो वो बोलता है उसके पीछे बहुत सारे मायने होते हैं ओर वो पहले से तय होता है। गुरूवार को सिंधिया राजभवन से अपने दस समर्थकों को शिवराज सरकार में मंत्री बनवा कर निकले थे।कमलनाथ सरकार में उनके छह मंत्री थे तो नयी सरकार में उनके बारह मंत्री हो गये हैं। स्वाभाविक है ये उनके अंदर की उमंग और अपने विरोधियों को संदेश देने का समय था जो उनको बीजेपी की भीड में गुम होने वाला नेता करार देकर ख़ुशियाँ मना रहे थे। ये उनको सिंधिया का जबाव था।

अब बीजेपी में दो टाइगर हो गये हैं कौन सा टाइगर ज्यादा ताकतवर होगा। ये भी बडा सवाल है जिसका जबाव लोग अपने अपने तरीके से तलाश रहे हैं। पुराने टाइगर का रिकार्ड अदभुत है वो बिना गुर्राये बिना नाखुन दिखाये अपनी विनम्रता और सहजता में ही पिछले चौदह सालों में मध्यप्रदेश में बीजेपी के बडे बडे टाइगर और टाइग्रेस को प्रदेश कीराजनीति के जंगल से बाहर खदेड चुका है। तभी वो टाइगर चौदह साल सीएम रहने के बाद भी आलाकमान को ज्यादा मुफीद लगता है और बार बार उसे ही प्रदेश की कमान दे दी जाती है। वैसे दोनों टाइगरों की परीक्षा आने वाले दिनों में होने वाले चौबीस उपचुनावों में होनी है। जो ज्यादा सीटें जिताकर लायेगा वहीं टाइगर बडा कहलायेगा।