पितृ दोष दूर करेगा यह अद्भुत रत्न, जीवन में आने वाली हर बाधा होंगी दूर, सफलता के लिए खुलेंगे नए द्वार

Meghraj
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Ruby : हर व्यक्ति का जीवन सुख, समृद्धि और तरक्की की ओर बढ़ने का सपना होता है, लेकिन कई बार हम अपनी मेहनत के बावजूद वांछित परिणाम नहीं प्राप्त कर पाते। इसका कारण ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हमारी कुंडली में मौजूद ग्रहों की स्थिति हो सकती है। कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव हमारे जीवन के हर पहलू पर पड़ता है, जिससे कभी हम मानसिक तनाव, आर्थिक संकट या रिश्तों में परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसा होने पर ज्योतिष की सलाह से हम पितृ दोष जैसे समस्याओं का समाधान खोजते हैं।

क्या है पितृ दोष ?

पितृ दोष का संबंध हमारे पूर्वजों से होता है। जब हमारे पूर्वजों के आशीर्वाद में कमी होती है या वे किसी अशुभ कर्म से जुड़े होते हैं, तो हमें इसका असर जीवन में महसूस होता है। ज्योतिष के अनुसार, पितृ दोष का कारण सूर्य, राहु और केतु जैसे ग्रहों की अशुभ स्थिति हो सकती है। जब ये ग्रह अपनी मजबूत स्थिति में नहीं होते या अशुभ परिणाम देते हैं, तो व्यक्ति को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

पितृ दोष के लक्षण

  1. आर्थिक संकट – जीवन में लगातार आर्थिक परेशानियां आना।
  2. मानसिक तनाव – मानसिक शांति की कमी और लगातार चिंताओं का होना।
  3. संतान समस्या – संतान सुख में विघ्न और संतान संबंधी समस्याएं उत्पन्न होना।
  4. जीवन में रुकावटें – कार्यों में रुकावटें और असफलताएं आना।

पितृ दोष से मुक्ति के उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पितृ दोष से मुक्ति के लिए विशेष रत्नों का उपयोग किया जाता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण रत्न है रूबी (जिसे माणिक्य भी कहा जाता है)। इस रत्न को पहनने से पितृ दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति हो सकती है।

रूबी (Ruby) का महत्व

रूबी एक बेहद आकर्षक और शक्तिशाली रत्न है, जिसे माणिक्य के नाम से भी जाना जाता है। यह रत्न सूर्य ग्रह के प्रभाव को बढ़ाता है, जिससे पितृ दोष में कमी आती है और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। अगर आपकी कुंडली में सूर्य ग्रह की स्थिति कमजोर हो, तो माणिक्य धारण करना विशेष रूप से लाभकारी हो सकता है।

माणिक्य पहनने के लाभ

  • सूर्य ग्रह की स्थिति को मजबूत करना : माणिक्य के धारण से सूर्य ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, जिससे पितृ दोष की शांति होती है।
  • पूर्वजों का आशीर्वाद : माणिक्य पहनने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।
  • पितृ दोष से मुक्ति : पितृ दोष के प्रभाव को कम करने में यह रत्न सहायक होता है और जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा दिलाता है।

कब पहनें माणिक्य?

कुंडली में सूर्य, राहु और केतु की स्थिति का विशेष ध्यान रखना होता है। माणिक्य पहनने के लिए निम्नलिखित समय सबसे उत्तम होते हैं:

  • जब सूर्य, राहु और केतु का मेल हो।
  • सूर्य द्वादश, अष्टम या छठे भाव में स्थित हो।
  • सूर्य की स्थिति कमजोर हो और पितृ दोष का संकेत मिल रहा हो।

माणिक्य पहनने का तरीका

  • सोने या तांबे की अंगूठी में जड़वाएं : माणिक्य को पहनने के लिए इसे सोने या तांबे की अंगूठी में जड़वाना चाहिए।
  • रविवार को पहनें : इसे रविवार के दिन अनामिका उंगली में धारण करना विशेष लाभकारी होता है।
  • सूर्योदय के समय पहनें : माणिक्य को सूर्योदय के समय पहनने से अधिक लाभ मिलता है।
  • शुद्धिकरण और मंत्र जाप : माणिक्य पहनने से पहले इसे गंगाजल, दूध और शहद से शुद्ध करें और सूर्य मंत्र का जाप करते हुए पहनें।

Disclaimer : यहां दी गई सूचना सामान्य जानकारी के आधार पर बताई गई है।  Ghamasan.com इनके सत्य और सटीक होने का दावा नहीं करता।