ये है अराजकता की नई परिभाषा

Piru lal kumbhkaar
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हर मुद्दे पर राजनीति और धार्मिक आस्था के नाम पर जनता को बरगलाते हुए रोटियां सेंकना नेताओं का प्रिय शगल है… जिस नगर निगम ने इंदौर को देश और दुनिया में स्वच्छता के मामले में गौरवान्वित किया और उसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री से लेकर पार्षद तक हर मंच पर करते है, उसी निगम को फिजूल बातों पर खलनायक की तरह प्रस्तुत कर दिया जाता है..
.ताजा मामला रणजीत हनुमान मंदिर से निकली प्रभात फेरी का है, जिसके चलते डिवाइडर पर लगी हरियाली चौपट होने से निगम ने मंदिर प्रबंधन समिति को 30 हजार जुर्माने का नोटिस थमाया, जिसे समिति ने जमा भी कर दिया… मगर इस नोटिस को लेकर कतिपय राजनेताओं का छाती-माथा कूटना शुरू हो गया…ऐसा प्रचारित किया जा रहा है मानों जुर्माना प्रबंधन समिति पर नहीं, बजरंग बली पर लगाया हो… जबकि हकीकत यह है कि इसके पूर्व भी निगम ऐसे आयोजनों पर इसी तरह नोटिस देकर आयोजकों से जुर्माने की राशि वसूल चुका है..
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2017 में सिख समाज के प्रकाश पर्व के दौरान भी निगम ने इसी तरह जुर्माना वसूल किया था और उसी तरह 2018 में कर्बला मैदान पर लगने वाले मेले के दौरान भी हुई गंदगी के मद्देनजर निगम ने जुर्माना लगाते हुए वसूली भी की… आये दिन तमाम संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर भी इसी तरह स्पॉट फाइन लगाया जाता रहा है… भाजपा के पूर्व विधायक जीतू जिराती ने तो हद ही कर दी… उन्होंने निगम को लिखे अपने पत्र में एक तरह से स्वच्छता, आवारा पशुओं से मुक्ति के साथ सड़कों के चौड़ीकरण को अराजकता ही बता डाला, तो दूसरी तरफ पूर्व महापौर और विधायक मालिनी गौड़ और उनके पुत्र एकलव्य गौड़ ने भी इसे आस्था पर चोट बताते हुए विरोध किया… जबकि उन्हें पता होना चाहिए कि उनके कार्यकाल में ही निगम ने ऐसे अन्य अवसरों पर जुर्माना राशि आरोपित की है…
जिराती-गौड़ या कांग्रेस के संजय शुक्ला सहित अन्य को बजाय विरोध करने के नष्ट हुई हरियाली को सुधारने के लिए कारसेवा करना थी, जिससे एक सकारात्मक संदेश जाता और आस्था को चोट लगने की बजाय वह और मजबूत होती… कल से कोई यह भी कह सकता है कि मंदिर की हरियाली नष्ट करने से उसकी धार्मिक आस्था को चोंट पहुंची… क्या हम हमारे मंदिरों में साफ-सफाई, हरियाली या बेहतर प्रबंधन नहीं चाहते..? कल से अगर प्रबंध समिति कोई गड़बड़ी करती है तो क्या उस पर कार्रवाई नहीं होगी..? अभी महाकाल मंदिर के दो कर्मचारियों के खिलाफ घपला करने के मामले में कार्रवाई की गई, तो क्या उससे बाबा महाकाल के प्रति आस्था को चोट पहुंची..? कुल जमा ऐसी बातें मीडिया में सुर्खियां बटोरते हुए जनता की धार्मिक भावनाओं से खेलने और शासन-प्रशासन पर दबाव-प्रभाव की कवायद से ज्यादा कुछ नहीं है
राजेश ज्वेल