दीपावली (Diwali) के दूसरे गोवर्धन भगवान की पूजा की जाती है। दरअसल, शास्त्रों में कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा का काफी ज्यादा महत्व बताया गया है। ऐसे में हर साल दिवाली के दूसरे दिन सबसे पहले गोवर्धन पूजा की जाती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आखिर दिवाली के दूसरे दिन ही क्यों मनाई जाती है गोवर्धन पूजा। तो चलिए जानते है –
श्री कृष्ण ने की थी ब्रजवासियों की रक्षा –
मान्यताओं के मुताबिक, ब्रजवासी इंद्र की पूजा करते थे ऐसे में जब भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र की जगह गोवर्धन पूजा करने की बात कही तो इंद्र रुष्ट हो गए और उन्होंने अपना प्रभाव दिखाते हुए ब्रजमंडल में मूसलधार बारिश शुरू कर दी। ऐसे में हुई इस वर्षा से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया और ब्रजवासियों की रक्षा की थी।
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बताया जाता है कि गोवर्धन पर्वत के नीचे 7 दिन तक सभी ग्रामीणों के साथ गोप-गोपिकाएं उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे है। उसके बाद ब्रह्माजी ने इंद्र को बताया कि पृथ्वी पर विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में जन्म ले लिया है, उनसे बैर लेना उचित नहीं है। इस बात को जानकर इंद्रदेव ने भगवान श्रीकृष्ण से क्षमा-याचना की। भगवान श्रीकृष्ण ने 7वें दिन गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और हर वर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। उस दिन से ही ये उत्सव ‘अन्नकूट’ के नाम से मनाया जाने लगा। जिसे कार्तिक अमावस्या के दूसरे दिन मनाया जाता है।
शुभ मुहूर्त –
जानकारी के मुताबिक, भगवान गोवर्धन की पूजा पूरे उत्तर भारत में होती है। ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह-06: 35 से 08: 47 तक रहेगा। वहीं शाम के वक्त 03:21 से 05:33 तक शुभ मुहूर्त होगा। इस समय पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।