मध्यप्रदेश में साल 2000 से नगरीय निकायों में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों (दैवेभो) की नियुक्ति पर रोक लगी हुई है। इसके बावजूद कई निकायों ने बड़ी संख्या में दैवेभो नियुक्त कर दिए हैं। वर्तमान में लगभग 80 हजार दैवेभो विभिन्न स्थानों पर कार्यरत हैं।
नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने अब इन नियुक्तियों पर रोक लगाते हुए 28 मार्च 2000 के बाद नियुक्त सभी दैवेभो की जानकारी 25 अक्टूबर तक निकायों से मांगी है। इसमें कर्मचारियों की संख्या, नियुक्ति से पहले सरकार से मिली अनुमति और अब तक का पारिश्रमिक भुगतान शामिल है। आशंका है कि इन कर्मचारियों को हटाया जा सकता है, और जो अधिकारी इन्हें नियुक्त कर चुके हैं, उन पर भी कार्रवाई हो सकती है।
बड़ी संख्या में दैवेभो हो सकते हैं बेरोजगार
सूत्रों के मुताबिक, विभाग को प्राप्त जानकारी के आधार पर इन नियुक्तियों को अवैध घोषित कर समाप्त किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में दैवेभो बेरोजगार हो सकते हैं, जिनमें से कई वर्षों से सेवा में हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने भविष्य पर जताई चिंता
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने नगरीय विकास विभाग की कार्रवाई को लेकर प्रदेश के लगभग 80,000 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों और उनके परिवारों के भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने दैवेभो को हटाने की संभावना पर आपत्ति जताई और इस कदम के खिलाफ अपनी नाराजगी भी दर्ज कराई।
सरकार के आदेशों का उल्लंघन
विभाग के उप सचिव प्रमोद शुक्ला द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि दैनिक वेतन पर किसी भी तरह की नियुक्ति पूरी तरह से प्रतिबंधित है। मार्च 2000 के आदेश का हवाला देते हुए यह निर्देश दिया गया है कि यह प्रतिबंध सार्वजनिक उपक्रमों, निगमों, मंडलों, नगरीय निकायों, विकास प्राधिकरणों और अन्य सरकारी संस्थाओं पर समान रूप से लागू होगा। इसके बावजूद, दैनिक वेतन पर कर्मचारियों की नियुक्तियों को सरकार के आदेशों का उल्लंघन माना जा रहा है।