दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है। इस त्योहार को सभी लोग बड़े ही धूमधाम से मानते है। ये त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और इसे भाई दूज तक मनाया जाता है। इस त्योहार को अंधकार पर प्रकाश की विजय का त्योहार माना जाता है। क्योंकि दिवाली के दिन ही श्रीराम अयोध्या लौटे थे। तब पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था।
अब दिवाली की तैयारियां अब खत्म होने के कगार पर है। कपड़ों से लेकर घर की सजावट तक और गिफ्ट्स से लेकर मिठाइयों तक हर चीज की शॉपिंग पूरी हो चुकी है। 14 नवंबर को देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। ऐसे में घरों में महालक्ष्मी के स्वागत के लिए दीप जलाए जाते हैं साथ ही पूजा भी की जाती है। वहीं मुख्य दरवाजे पर रंगोली बना कर और घरों को लाइट से जगमगा कर रोशन किया जाता है। इस खास दिन में मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं।
आपको बता दे, दिवाली को मां लक्ष्मी के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। साथ ही इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की साथ में पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि कहते हैं कि इसी दिन उनकी शादी हुई थी। वहीं पूजा के बाद उनकी आरती भी की जाती है जिससे उन्हें प्रसन्न किया जाता है। आज हम आपको इस दिन पढ़ने वाली आरती बताने जा रहे है जिसको पढ़ने के बाद घर में खुशियां ही खुशियां आ जाएगी। तो चलिए जानते हैं कौन सी है।
ये है मां लक्ष्मी की वो आरती –
मां लक्ष्मी की आरती
मां लक्ष्मी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता,
मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत,
हर विष्णु विधाता ॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी,
तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत,
नारद ऋषि गाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रूप निरंजनि,
सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता,
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासनी,
तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,
भव निधि की त्राता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो,
ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता,
मन नहीं घबराता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता,
वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव,
सब तुमसे आता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर,
क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन,
कोई नहीं पाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती,
जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता,
पाप उतर जाता ॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥