होली का त्यौहार हर वर्ष फाल्गुन मास की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लोग होली खेलने के लिए रंग-बिरंगे गुलाल और रंगों का उपयोग करते हैं तो वहीं इससे पहले होलिका दहन पूजा की परंपरा है, जो इस मास की पूर्णिमा तिथि को संपन्न की जाती है। इस बार 7 मार्च को होलिका दहन व 8 मार्च मतलब इसके ठीक अगले दिन होली मनाई जाएगी। होलिका दहन अनुष्ठान करने और प्रार्थना करने के लिए अतिरिक्त चारों ओर इकट्ठा होकर चिह्नित करते हैं।
यह परंपरा हिरण्यकशिपु के पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु के परम भक्त और उसकी राक्षसी बुआ होलिका से जुड़ी हुई है। इस तरह होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का सूचक भी माना जाता है। प्रतिपदा तिथि पर रंगों और गुलाल से होली खेली जाती है। शास्त्रों के मुताबिक होलिका दहन भद्रा रहित पूर्णिमा की रात को मनाना उचित होता है। इस बीच कुछ खास बातों का ध्यान भी रखा जाता है। कुछ लोगों को होलिका दहन के दिन होलिका की अग्नि को नहीं देखना चाहिए अन्यथा उन्हें कोई बहुत बड़ी हानि हो सकती है।
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इन लोगों को नहीं देखनी चाहिए होलिका की अग्नि
हिंदु मान्यताओं के मुताबिक नवविवाहित स्त्रियों को जलती हुई होलिका नहीं देखनी चाहिए। इसके अतिरिक्त जो स्त्रियां गर्भवती हैं उन्हें होलिका की परिक्रमा नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होता है।
क्यों नहीं देखनी चाहिए होलिका?
नवविवाहित महिलाओं को जलती हुई होलिका की अग्नि न देखने के पीछे एक बहुत ही खास कारण हैं। इससे जुड़े तथ्य के मुताबिक होलिका की अग्नि को लेकर माना जाता है कि आप पुराने वर्ष को जला रहे हैं, अर्थ आप अपने पुराने वर्ष को खुद जला रहे हों।। होलिका की अग्नि को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। इसलिए नवविवाहित महिलाओं को होलिका की जलती हुई अग्नि को देखने से बचना चाहिए।
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होलिका दहन पर न करें ये कार्य
होलिका दहन की पूजा करना और सम्मिलित होना अच्छा माना गया है। हालांकि धर्म-शास्त्रों में कुछ खास लोगों को होलिका दहन की अग्नि देखने की मनाही है। यह नियम नवविवाहित युवतियों के लिए है। दरअसल होलिका दहन की आग को जलते हुए शरीर का प्रतीक माना जाता है। यानी आप पुराने वर्ष के शरीर को जला रहे हैं। इस कारण नवविवाहित लड़कियों को होलिका दहन की अग्नि नहीं देखनी चाहिए। कहा जाता है कि इससे वैवाहिक जीवन में परेशानी आने लगती है।
होलिका दहन तिथि
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत : 6 मार्च 2023, सोमवार, सायं 04:18 मिनट से
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की समाप्ति : 7 मार्च 2023 मंगलवार, सायं 06:10 मिनट तक
उदयातिथि के मुताबिक होलिका दहन का फेस्टिवल 7 मार्च को ही मनाया जाएगा।
होलिका दहन 2023 मुहूर्त
होलिका दहन के लिए 7 मार्च को सायंकाल 06.31 से रात्रि 08.58 मिनट तक शुभ मुहूर्त है। इस बार होलिका दहन के लिए 02 घंटे 07 मिनट तक का वक्त मिलेगा।