इंदौर। ‘जो नहीं कहा गया, उसको कहने का उपक्रम है कहानी। साहित्यकार ने परकाया में प्रवेश कर लिखा।’ यह बात वरिष्ठ कवि एवं कुशल संचालक श्री सत्यनारायण सत्तन गुरु के हैं, जो उन्होंने वरिष्ठ कथाकार डॉ. नीहार गीते के कहानी संग्रह ”पिया मेहंदी लिया द मोतीझील से” के विमोचन समारोह में अध्यक्षीय उद्बोधन में कहे।
मातृभाषा डॉट कॉम द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. विकास दवे, अध्यक्षता राष्ट्रकवि सत्यनारायण सत्तन ने की, एवं मंच पर वरिष्ठ कथाकार कृष्णा अग्निहोत्री मातृभाषा की सह संस्थापिका शिखा जैन, डॉ. नीहार गीते उपस्थित रहे।
सत्तन ने आगे कहा कि लेखिका ने अपनी कृति में जिस अनुभव को जिया, उसे साहस के साथ बेबाकी से लिखा और सुंदर शब्दो का प्रयोग किया।लेखिका की मां कृष्णा जी सरस्वती है और बेटी रसवती। उन्होंने आगे कहा कि आलोचक, समालोचक का कार्य केवल गलतियां ही नही निकालना, कृति की अच्छाई भी बताना।
साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश के निदेशक डॉ. विकास दवे ने कहा कि ‘लेखिका को लिखने के संस्कार बचपन में माँ कृष्णा जी से मिले, लेकिन उन्होंने पुस्तक लेखन में बहुत अधिक धैर्य रखा, यह नए लेखकों को सीखना चाहिए।’ लेखिका ने भोगे हुए यथार्थ को बहुत सुंदर तरीके से कहानी के रूप में प्रस्तुत किया,जो सराहनीय है।
चर्चाकार प्रोफ़ेसर डॉ. किसलय पंचोली ने कहा कि ‘लेखिका ने अपनी कहानियों में रिश्तों को बहुत अधिक महत्त्व दिया है। कुछ कहानियों के शीर्षक बहुत ही अधिक आकर्षक हैं, जो पाठको को बहुत आकर्षित करते हैं। कहानियों में नए नए शब्द गढ़े है, यह सुंदर प्रयोग है।
चर्चाकार डॉ. शोभा जैन ने कहा कि ‘पुस्तक में 16 कहानियाँ हैं और सभी मानवीय मूल्यों की बात करती है। ऐसा लगता है जैसे लेखिका ने परकाया में प्रवेश कर लिखा है। हर कहानी पठनीय हैं जो पाठको के दिलो को छूती हैं।’
वरिष्ठ कथाकार डॉ. कृष्णा अग्निहोत्री ने कहा कि ‘ नीहार हार बहुत हिम्मतवाली लड़की है और उसने बचपन में ही तय कर लिया था कि कुछ बेहतर लिखना है इसलिए वह बड़े लेखकों की रचनाएं पढ़ती भी थी। इसके बाद नीहार ने पुस्तकों, फ़िल्मों और टीवी प्रोग्राम की समीक्षा की और लेखन में स्थापित किया।
अपनी पुस्तक के बारे में लेखिका डॉ. नीहार गीते ने कहा कि ‘माँ कृष्णा अग्निहोत्री की कहानियों को पढ़कर लिखने के संस्कार आए और हिंदी के दिग्गज लेखकों को पढ़कर भी बहुत सीखा।’ इस मौके पर लेखिका ने अपनी पुस्तक के कुछ अंश भी पढ़कर सुनाए। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ।
अतिथि स्वागत डॉ. नीहार गीते, कामिनी, मुकेश तिवारी, राहुल गीते ने किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.संगीता भरूका ने किया व अंत में आभार डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ ने माना। कार्यक्रम में विशेष रूप से प्रो. सरोज कुमार, नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, श्रवण गर्ग , डॉ. उषा गौर, डॉ.गरिमा दुबे, अलका भार्गव, ज्योति जैन , डॉ. दिवाकर भाई शाह , प्राचार्य डॉ. एस.पी . सिंह मंजुला भूतड़ा, प्रो . सौरभ पारिख मुकेश तिवारी, नितेश गुप्ता, प्रकाश चौधरी, प्रवीण जोशी, फादर वर्गीस सुषमा दुबे, डॉ. सुरेखा भारती, आलोक वाजपेई, आशीष त्रिवेदी , रवलीन कोर , कविता वर्मा, बनवारीलाल जाजोदिया, नीति अग्निहोत्री, सतीश राठी, अमर सिंह चड्ढा, विजय सिंह चौहान, विनीता सिंह चौहान, हरेश दवे, विध्नेश दवे , संध्या रॉय चौधरी, देवेंद्र सिंह सिसोदिया, अमृत कोर चड्डा , राकेश शर्मा, रुचि वाजपेई शर्मा ,निरुपम वर्मा, पदमा राजेंद्र, डॉ. छाया गोयल, डॉ.उषा नेवेद, शुभा प्रकाश सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।