कावड़ यात्रा रूट पर नेमप्लेट के मुद्दे पर योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा है. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कुछ दुकानों के नाम बताए. एक दुकान का नाम है ‘पंडित जी का ढाबा’. लेकिन दुकान का मालिक एक मुस्लिम है. यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करते हुए अपनी बातों का समर्थन किया है. कावड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने की दुकानों की तस्वीरें संलग्न हैं। ‘राजा राम भोज फैमिली टूरिस्ट ढाबा’ नाम से ढाबा चलाने वाले दुकानदार का नाम वसीम है। ‘राजस्थानी खालसा ढाबा’ के मालिक का नाम फुरकान है। ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ के मालिक का नाम सनव्वर राठौड़ है।
कावड़ यात्रा मार्ग पर खाने-पीने को लेकर गलतफहमियां, विवाद और तनाव होता रहा है. ऐसी कोई अप्रिय घटना न हो, नंगे पैर पवित्र जल ले जा रहे करोड़ों कावड़ियों की धार्मिक भावनाएं आहत न हों, इसके लिए दुकानों के बाहर नाम लिखने के निर्देश दिए गए. कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा गया है कि योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था के लिए एहतियात के तौर पर यह कदम उठाया है. अनुच्छेद 71 के तहत सौहार्द बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया.
इस मामले की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई
नेम प्लेट आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका का यूपी सरकार ने विरोध किया. कोर्ट से याचिका खारिज करने का अनुरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी. योगी सरकार ने आदेश दिया था कि कावड़ मार्ग पर दुकानदारों को अपना नाम और पहचान बताना अनिवार्य होगा. सुप्रीम कोर्ट ने यूपी, उत्तराखंड और एमपी सरकार को नोटिस जारी किया था. सबसे पहले इस मामले की शुरुआत मुजफ्फरनगर से हुई थी. योगी सरकार के आदेश के बाद ये नियम पूरे प्रदेश में लागू कर दिए गए हैं.